अरब देशों की जंग के चलते एक भारतीय कंपनी को बड़ा नुकसान होता दिख रहा है। कतर एयरवेज (Qatar Airways) के सीईओ अकबर अल-बाकेर ने मंगलवार को कहा कि उनकी कंपनी जेट एयरवेज (Jet Airways) में पैसा निवेश नहीं कर सकती, क्योंकि उसमें एतिहाद एयरवेज (Etihad Airways) का बड़ा निवेश है। दरअसल एतिहाद एयरवेज, कतर के दुश्मन देश संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की कंपनी है। गौरतलब है कि जेट एयरवेज इन दिनों भारी कर्ज की समस्या से जूझ रही है।
विरोधी हों मालिक तो नहीं ले सकते हिस्सेदारी
अल-बाकेर ने मुंबई में एक एविएशन कांफ्रेंस के दौरान रॉयटर्स से बातचीत में कहा, ‘अगर एतिहाद अपनी 24 फीसदी हिस्सेदारी बेच दे तो हम निश्चित तौर पर जेट एयरवेज (Jet Airways) पर विचार करेंगे। मैं एक ऐसी एयरलाइन में हिस्सेदारी कैसे ले सकता हूं, जिसके मालिक हमारे विरोधी हों?’ एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एतिहाद की भारतीय एयरलाइन की मदद के लिए जेट एयरवेज में स्टेक बढ़ाने की योजना है।
इंडिगो में ले सकते हैं हिस्सेदारीः कतर एयरवेज
अल-बाकेर ने कहा कि कतर एयरवेज को भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो (IndiGo) में हिस्सेदारी लेने में खुशी होगी। भारत दुनिया का सबसे तेजी से उभरता हुआ एविएशन मार्केट है।
कतर की विमानन कंपनी ने पहले भी इंटरग्लोब एविएशन के स्वामित्व वाली इंडिगो में निवेश में दिलचस्पी जाहिर की थी। जेट के संबंध में उन्होंने कहा, ‘हम ऐसी एयरलाइन में हिस्सेदारी नहीं खरीदते, जिसमें मेरे दुश्मन देश की ओनरशिप हो।’
कतर की विमानन कंपनी ने पहले भी इंटरग्लोब एविएशन के स्वामित्व वाली इंडिगो में निवेश में दिलचस्पी जाहिर की थी। जेट के संबंध में उन्होंने कहा, ‘हम ऐसी एयरलाइन में हिस्सेदारी नहीं खरीदते, जिसमें मेरे दुश्मन देश की ओनरशिप हो।’
पिछले साल हुआ बड़ा नुकसान
अरब देशों के साथ चल रही राजनीतिक जंग के कारण कतर एयरवेज को 31 मार्च, 2018 में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान 25.2 करोड़ रियाल (6.718 करोड़ डॉलर) का नुकसान हुआ था। राजनीतिक जंग के कारण कंपनी ने 18 डेस्टिनेशन गंवा दिए थे। अपने घरेलू मार्केट के बाहर पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने के लिए कई विदेशी कंपनियों में हिस्सेदारी ली है।
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