अब इस्लामी कानून से ब्रिटेन को हाँक रहे मुस्लिम, चल रहे 85 शरिया कोर्ट: 4 बीवी की रवायत को बढ़ावा; भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण करने वालों को आंखें खोलनी चाहिए

इंग्लैंड का कानून इस्लामी कट्टरपंथ के आगे घुटने टेक रहा है। कभी दुनिया के एक बड़े हिस्से पर राज करने वाला इंग्लैंड अब मुस्लिम कट्टरपंथियों के नतमस्तक है। जिस इंग्लैंड ने ‘कानून का राज’ की अवधारणा दी थी, उस देश में अब इस्लामी अदालतें चल रही हैं। ब्रिटेन में दशकों से आदर्शवादी और लिबरल बनने के चक्कर में कट्टरपंथ पर मुंह बंद रखा गया था।

इंग्लैंड में जो कुछ घटित हो रहा है उसे देख भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले हिन्दू खासकर संघचालक मोहन भागवत जैसों को अपनी आंखें ही नहीं दिमाग भी खोलने की जरुरत है। मुस्लिम कट्टरपंथी जब फंसे होते है तभी संविधान की बात करते हैं, हकीकत में इनकी मंशा संविधान की आड़ में वही है जो इंग्लैंड में हो रहा है। भारत में संविधान सिर्फ तभी तक सुरक्षित है जब तक हिन्दू बहुसंख्यक है। 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले संविधान में जो संशोधन किये गए सभी देश को शरीयत का संकेत देते हैं। यही वजह है कि विपक्ष 2024 चुनावों में संविधान बचाओ का शोर मचाकर जनता को गुमराह करती है और मूर्ख जनता इनके झांसे में आ गयी। 

     

इस्लामी कट्टरपंथ के पैर पसारने को लेकर अगर कोई बोलता है तो उसे इस्लामोफोब करार दिया जाता है। इस्लाम पर इस चुप्पी का सबसे ज्वलंत उदाहरण ग्रूमिंग गैंग रहे हैं, जिन्होंने हजारों ब्रिटिश लड़कियों को निशाना बनाया। यह निशाना बनाने वाले मुस्लिम थे और उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

अब शरिया अदालतें खुल्लम-खुल्ला ब्रिटिश कानूनों की धज्जियाँ उड़ा रही हैं। ‘शरिया कोर्ट’ के नाम पर चलाई जा रहीं यह अदालतें ब्रिटेन 4 निकाह जैसी सामजिक कुरीतियों को बढ़ावा दे रही हैं। इन अदालतों पर ब्रिटिश सरकार अंकुश नहीं लगा पा रही है। यह अदालतें अवैध निकाह भी करवा रही हैं जिनका कानूनन कोई रिकॉर्ड नहीं है।

ब्रिटिश अखबार द टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंग्लैंड में वर्तमान में 85 ऐसी शरिया अदालतें चल रही हैं। मुस्लिमों के मसलों से निपटने के लिए बनाई गई यह शरिया अदालतें पूरे इंग्लैंड में फैली हुई हैं। यह अदालतें निकाह, तलाक, खुला और चार निकाह जैसे मामलों पर फैसले दे रही हैं। यह अदालतें ब्रिटिश कानून के खिलाफ जाकर तमाम फैसले देती हैं।

रिपोर्ट बताती है कि ऐसी पहली शरिया अदालत इंग्लैंड में लंदन में 1982 में खोली गई थी। तब से यह लगातार बढ़ रही हैं। इनमें से एक अदालत ने एक ऐसे एप को मंजूरी दे रखी थी जो मुस्लिम पुरुषों से उनकी बीवियों की संख्या पूछता था। इसके अलावा इंग्लैंड में चलने वाले एक और एप में भी मुस्लिम युवा निकाह के बाद कितनी बीवियाँ रखेंगे, इसकी जानकारी भर सकते हैं।

ब्रिटिश कानून के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति एक से अधिक शादी/निकाह नहीं कर सकता। ऐसा करने के लिए तलाक और उसका कानूनी आदेश जरूरी है। हालाँकि, यहः शरियाई अदालतें इन सब बातों को नहीं मानती हैं और धड़ल्ले से इन सब कामों में मशगूल हैं।

इन शरिया अदालतों ने लगभग 100000 ऐसे निकाह करवाए हुए हैं, जिनका ब्रिटिश कानून में कोई पंजीकरण नहीं हुआ है। इंग्लैंड के भीतर शरिया अदालतों की धाक इतनी बढ़ गई है कि अब यूरोप के बाकी देशों और अमेरिका से मुस्लिम यहाँ अपने इस्लामी मसले लेकर पहुँच रहे हैं।

यह अदालतें चार निकाह को बढ़ावा दे रही हैं लेकिन ब्रिटिश एजेंसियाँ इनके आगे लाचार हैं। लगातार मुस्लिम तुष्टिकरण में लगे रहने वाले ब्रिटिश नेताओं ने इस मसले पर आँखे मूँद ली हैं। इसी के चलते इंग्लैंड अब शरिया कोर्ट के पश्चिमी देशों का प्रमुख केंद्र है।

इंग्लैंड में इन शरिया अदालतों को लेकर धर्मनिरपेक्षता को लेकर काम करने वाले संगठन विरोध कर रहे हैं। इंग्लैंड के ऐसे ही एक संगठन नेशनल सेक्युलर सोसायटी ने माँग की है कि ब्रिटेन में चल रही इस समानांतर कानून व्यवस्था पर नकेल कसी जाए। उन्होंने कहा है कि इससे महिलाओं और बच्चों के अधिकारों पर असर पड़ रहा है। हालाँकि, सरकार इस मामले पर शांत है।

ब्रिटेन में इस्लामी कट्टरपंथ पर सरकार और लिबरल समाज का चुप रहना कोई विचित्र बात नहीं है। ग्रूमिंग गैंग के हाथों जब हजारों ब्रिटिश लड़कियाँ शिकार बन गईं तो एक टास्क फ़ोर्स बनाई गई। लेकिन इसी के साथ अब ब्रिटेन में इस्लामी कानून नाफ़िज करने की तैयारी है। ब्रिटिश सरकार ने इस दौरान शुतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन धँसा ली है।

ब्रिटिश सरकार इस पूरे इस्लामी कट्टरपंथ के तंत्र पर प्रहार नहीं करना चाहती। उसे लगता है कि इससे उसकी कथित उदार छवि पर असर पड़ेगा, जबकि सच्चाई यह है कि इसी का फायदा उठा कर इस्लामी कट्टरपंथी अपनी धाक इंग्लैंड में जमा रहे हैं। वह हिन्दुओं पर हमला करते हैं, महिलाओं को छेड़ते हैं यहाँ तक कि इंग्लैंड में धमाके भी हो चुके हैं।

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