अभी मनमोहन सिंह का दाह संस्कार भी नहीं हुआ कि कांग्रेस मोदी पर उनके “अपमान” करने का आरोप लगाने लगी; कांग्रेस ने जो मनमोहन का अपमान किया, वो भी लोग जान जाएंगे

सुभाष चन्द्र

अभी कांग्रेस बाबा साहब अंबेडकर के अपमान की “कलंक कथा” झेल ही रही थी कि अब मोदी पर मनमोहन सिंह का अपमान करने का आरोप लगा कर नया बखेड़ा खड़ा कर दिया। जैसे कांग्रेस द्वारा किए अंबेडकर के अपमान की बातें लोगों के सामने आ गई, वैसे ही जो अपमान कांग्रेस ने मनमोहन सिंह और अन्य नेताओं का किया और जो लोगों को पता नहीं था, वह भी सामने आ जाएगा

कांग्रेस मोदी पर मनमोहन का अपमान का आरोप लगाने से पहले याद करे कि उसकी “चापलूस” बरखा दत्त के सामने अमेरिका में नवाज शरीफ ने मनमोहन को “देहाती औरत” कहा था जिस पर वो हंस पड़ी थी लेकिन मोदी ने गुजरात का CM होते हुए, प्रधानमंत्री मनमोहन के अपमान करने  के लिए नवाज़ शरीफ की बखिया उधेड़ दी थी जबकि कांग्रेस का “शहजादा” मोदी की दुनिया भर में इज़्ज़त उतारता फिरता है

नरेंद्र मोदी ने जो मार्मिक श्रद्धांजलि मनमोहन सिंह को दी है, वो किसी कांग्रेस का नेता किसी को नहीं दे सकता स्वयं मनमोहन सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर केवल 4 लाइन में श्रद्धांजलि दे दी थी उन्होंने कहा था - 

“I have learnt with profound sorrow about the sad demise of Bharat Ratna Atal Bihari Vajpayee. An excellent orator, an impressive poet, an exceptional public servant, an outstanding parliamentarian and great PM”

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चर्चित YouTuber 
कांग्रेस की तरफ से मनमोहन सिंह को “आर्थिक सुधारों” का जनक कहा जा रहा है लेकिन वे सुधार प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के वित्त मंत्री रहते हुए किए गए और श्रेय राव को जाना चाहिए जैसे 1971 का युद्ध जीतने के लिए श्रेय इंदिरा गांधी को देते हैं न की भारतीय सेना को परंतु नरसिम्हा राव की कांग्रेस ने क्या दुर्गति की यह भी याद रखना चाहिए उनके शव को कांग्रेस कार्यालय में भी नहीं लाने दिया गया उसके बाद सीताराम केसरी का क्या हाल किया था कांग्रेस ने, यह उसे याद नहीं। यह होता है अपमान

कांग्रेस के जयराम रमेश ने मनमोहन सिंह की चिता अग्नि को समर्पित होने से पहले ही आरोप लगा दिया कि पहले सिख पीएम का जानबूझकर अपमान कर रही है मोदी सरकार जो उनके अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए ऐसा स्थान नहीं ढूंढ पाई जो उनके वैश्विक कद, उपलब्धियों के रिकॉर्ड और दशकों तक राष्ट्र के अनुकरणीय सेवा के अनुरूप हो

मोरारजी देसाई का निधन 10 अप्रैल,1995 को हुआ, नरसिम्हा राव का 23 दिसंबर, 2004, चंद्रशेखर का 8 जुलाई, 2007, VP SINGH का 27 नवंबर, 2008 और इंद्र कुमार गुजराल का 30 नवंबर, 2012 को हुआ मोरारजी देसाई को छोड़ कर बाकी सभी मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री काल में गए क्या इनके स्मारक बनाने का कांग्रेस सरकार ने सोचा?

स्मारक बने 156.95 एकड़ में 4 लोगों के (महात्मा गांधी- 44.35 एकड़ नेहरू- 52.60 एकड़; इंदिरा गांधी 45 एकड़ और राजीव गांधी 15 एकड़) स्वयं मनमोहन सिंह सरकार ने ही 16 मई, 2013 को अलग स्मारक बनाने पर रोक लगा दी थी और उनकी कैबिनेट ने दिल्ली में जगह की कमी को ध्यान में रख कर राजघाट पर “राष्ट्रीय स्मृति स्थल” के नाम से साझा स्मारक स्थल बनाने का फैसला किया था

राजघाट पर ही नेहरू, इंदिरा, राजीव और अब मनमोहन सिंह के स्मृति स्थल एक ही जगह बना देने चाहिए मनमोहन सिंह की इच्छाओं का कांग्रेस को आदर करना चाहिए

प्रणब मुख़र्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने दिसम्बर 28 को कहा है कि उनके पिता के साथ कांग्रेस ने भेदभाव किया और उनके लिए CWC की बैठक बुला कर शोक प्रस्ताव भी पारित नहीं किया लेकिन फिर भी शर्मिष्ठा आखिर कांग्रेस में क्यों बैठी हुई है, यह समझ से परे है प्रणब से कांग्रेस इसलिए नफरत करती है क्योंकि मोदी ने उनके चरण छुए थें, वो मोदी के प्रशंशक थे, मोदी ने उन्हें भारत रत्न दिया और वे RSS की सभा में गए

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