न्यायपालिका के इतिहास में वैसे तो बहुत शर्मनाक घटनाएं घटी हैं लेकिन एक भयंकर हिंदू विरोधी घटना सामने आई है लेकिन चीफ जस्टिस खन्ना का कॉलेजियम हिंदुओं के सम्मान में बोलने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव पर लट्ठ बजाने को तैयार था और उन्हें “सेकुलरिज्म” का पाठ पढ़ा दिया लेकिन मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के “बौद्ध” चीफ जस्टिस सुरेश कैत के हिंदुओं का घोर अपमान करने वाले कृत्य पर मुंह में दही जमा कर बैठ गया।
जस्टिस सुरेश कैत मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस 25 सितंबर, 2024 को बने और 24 मई, 2025 को 8 महीने बाद रिटायर हो जाएंगे। लेकिन “अल्पसंख्यक” बौद्ध संप्रदाय का होने की वजह से उन्हें हिंदुओं से इतनी घृणा है कि उन्होंने अपने बंगले में अति प्राचीन हनुमान मंदिर को ध्वस्त करा दिया।
मध्य प्रदेश बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धन्य कुमार जैन ने CJI संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई को पत्र लिखकर शिकायत भेजी है और कहा है कि वह मंदिर सरकार की संपत्ति थी;
उस बंगले में जस्टिस बोबडे, जस्टिस खानविलकर और जस्टिस हेमंत गुप्ता जैसे सुप्रीम कोर्ट के जज रहे हुए हैं जो उस मंदिर में रोज पूजा करते थे।
धन्य कुमार जैन ने यह भी लिखा है कि सुरेश कैत के बंगले में कभी मुस्लिम चीफ जस्टिस रफत आलम और रफ़ीक अहमद भी रहा करते थे लेकिन उन्होंने भी कभी मंदिर का विरोध नहीं किया और उनके बंगले के कर्मचारियों की मंदिर में पूजा करने पर उन्होंने कभी एतराज नहीं किया बल्कि कर्मचारियों की धार्मिक भावना का वे आदर किया करते थे।
लेखक चर्चित YouTuber |
पत्र में यह भी कहा गया है कि क्योंकि मंदिर सरकार की सम्पति था, इसलिए समय समय पर उसके रखरखाव और तरह तरह के निर्माण पर सरकारी पैसा खर्च होता रहा है।
इसका मतलब साफ़ है जस्टिस सुरेश कैत ने हिंदू और सनातन धर्म से नफरत के कारण ही मंदिर को तुड़वाया और यह एक अपराध किया है उन्होंने। लगता है सुरेश कैत को “आप” नेता राजेंद्र पाल गौतम की नए बने बौद्धों को दिलाई गई शपथ पसंद आई थी जिसमें कहा गया था कि “मैं कभी ब्रह्मा, विष्णु और महेश में विश्वास नहीं करूंगा और न कभी उनकी पूजा करूंगा”। यह भी हो सकता है, कैत ने वह शपथ घर बैठे बैठे ही ले ली हो या स्वयं ही उस सभा में शामिल हुए हों, किसी को क्या पता चलता कौन आया कौन नहीं आया?
सनातन विरोधी जजों की कोई कमी नहीं है न्यायपालिका में क्योंकि बहुत हैं जिन्हें “सेकुलरिज्म” की कीड़े ने काटा हुआ है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और उनके कॉलेजियम के जज भी इसी कीड़े की काटे के शिकार हैं। अभी ऐसे “सेकुलर कीड़े पूर्व जस्टिस नरीमन” को कांग्रेस NHRC का चेयरमैन बनाना चाहती थी जिससे वह हर मामले में हिंदुओं को “अत्याचारी” साबित करता फिरता।
इन सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सनातन विरोधियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि सेकुलरिज्म को एकतरफा चलाने का दुस्साहस कहीं इन्हीं पर भारी न पड़ जाए तब कोई छद्दम सेक्युलरिस्ट बचाने आगे नहीं आएगा।
CJI खन्ना और उनके कॉलेजियम ने हिंदू और सनातन धर्म का सम्मान करने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव पर लट्ठ बजा दिया लेकिन अभी तक जस्टिस सुरेश कैत के लिए कोई कार्यवाही सुनने में नहीं आई शायद इसलिए कि उन्होंने सनातन धर्म का अपमान करके बहुत महान काम किया है?
देखते हैं चीफ जस्टिस खन्ना क्या करते हैं, वैसे उम्मीद कुछ नहीं है क्योंकि हर चीफ जस्टिस अपने को Super Secularist साबित करने में लगा रहता है। लेकिन जस्टिस खन्ना को याद रखना चाहिए, आजकल जनता की नज़रें न्यायपालिका पर लगी हैं।
जस्टिस सुरेश कैत को त्यागपत्र देने के लिए कहें और मंदिर का पुनर्निर्माण अपने पैसे से करवा कर जनता को सौंपे।
No comments:
Post a Comment