CAG रिपोर्ट पर जनवरी 13 को दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता ने “आप” सरकार को फटकार मारते हुए कहा कि सरकार इस रिपोर्ट को विधानसभा में रखने से हाथ खींच रही है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है। अब सुनवाई 16 जनवरी को होगी।
दो दिन पहले मीडिया में खबर के अनुसार कथित CAG रिपोर्ट लीक में कहा गया कि केजरीवाल की नई आबकारी नीति से दिल्ली सरकार को 2026 करोड़ का नुकसान हुआ। इस पर “आप” पार्टी के भौंपू संजय सिंह ने कहा कि ये CAG रिपोर्ट क्या भाजपा के ऑफिस में बनाई गई है और इसका मतलब था वह रिपोर्ट को ही फर्जी बता रहा था।
दूसरी तरफ “आप” सरकार ने हाई कोर्ट में कहा था कि CAG रिपोर्ट उपराज्यपाल को भेज दी गई है और उन्होंने सरकार को निर्देश भी दिया था कि रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाए लेकिन आतिशी सरकार ने ऐसा नहीं किया। संजय सिंह का विलाप साबित करता है कि रिपोर्ट तो सही है जिसमें केजरीवाल गिरोह नंगा हो गया। रिपोर्ट को लीक होने की नौबत ही नहीं आती अगर “आप” सरकार उस रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रख देती।
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एक कारण तो केजरीवाल या उसकी “अस्थाई” मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि आखिर CAG रिपोर्ट विधानसभा में क्यों नहीं पेश की गई? आज कोर्ट में यह बात भी सामने आई कि 11 दिसंबर को LG ने कहा था कि 14 में से 10 रिपोर्ट उन्हें मिली हैं।
“आप” सरकार के वकील ने आज कोर्ट में कहा कि भाजपा कोर्ट को “आप” के खिलाफ एक Political Tool की तरह इस्तेमाल कर रही है। ऐसा बयान कोर्ट में देने का मतलब है कि माननीय जज के सामने ही कोर्ट का अपमान किया गया लेकिन अफ़सोस, जस्टिस दत्ता ने उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
भला कोर्ट को “आप” का वकील राजनीतिक प्लेटफार्म कैसे बना सकता है? कोर्ट में कही हुई बातें और कोर्ट की कार्यवाही को किसी को भी अपने बयानों में कहने का अधिकार है और भाजपा ने ऐसा करके कोई कोर्ट की अवमानना नहीं की। केजरीवाल तो अपने को अपने गिरोह को जमानत मिलने को ही “ईमानदारी” का प्रमाणपत्र बता देता है, तो वह क्या कोर्ट को गलत तरह से Political Tool नहीं बना रहा और आज भी ढोल पीट रहा है कि उसे फर्जी केस में फंसाया गया जबकि CAG रिपोर्ट ने तो सभी आरोप साबित कर दिए।
सबसे बड़ी बात यह है कि अन्ना हज़ारे केजरीवाल और उसके गिरोह के साथ आये दिन कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ “अनशन” पर बैठे रहते थे और कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने की बात करते थे। जबकि उनकी लोकपाल बनाने की मांग को मोदी ने पूरा किया लेकिन केजरीवाल ने इस विषय में कुछ नहीं किया दिल्ली में।
आज केजरीवाल पर उसके 10 साल के राज में हुए भ्रष्टाचार के अनेक आरोप लगे हुए हैं और अदालतों में चल रहे हैं। केजरीवाल, सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, संजय सिंह और गिरोह के कुल मिलाकर 14 लोग जेल यात्रा कर चुके लेकिन फिर भी अन्ना हज़ारे केजरीवाल के खिलाफ कभी “धरने” पर बैठने की बात नहीं करते।
हो सकता है अब “अनशन” करने की उनकी हिम्मत न हो लेकिन पार्टी के जिन लोगों को केजरीवाल छोड़ चुका है उनके साथ मिलकर “धरना” तो दे ही सकते है और “आप” सरकार को उखाड़ फेंकने की कॉल दे सकते हैं।
अन्ना ने कहा है जब केजरीवाल मेरे साथ था तब वो उसे कहते थे, चरित्र संभालो, आचार विचार शुद्ध रखो, निष्कलंक रहो, समाज के लिए त्याग करो। इसका मतलब यह भी निकलता है कि अन्ना को लगता था केजरीवाल भटकने वाला व्यक्ति है। उन्होंने आगे कहा कि शुरू में उसने अच्छा काम किया लेकिन शराब में पैसा मिलता है, वो पैसे के नशे में डूब गया।
इसलिए अन्ना को अब आकर धरना देना चाहिए।
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