अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम (बाएँ), संभल हिंसा (बीच में), शारिक साठा (दाएँ), (फोटो साभार : Aajtak & Organiser)
अनेकों बार लिखा जा रहा है कि हिन्दू हितों की रक्षा करने वालों की जेहादी बेशक जान लेकर सात समुन्दर पार भाग जाएं, लेकिन जाँच होने पर ईश्वर सामने ले ही आता है। जिस तरह आतताइयों के क्रूर राज में हिन्दू मन्दिरों और देवी-देवताओं को धरती माता में दबा दिया गया था, आज वही मूर्तियां चीख-चीखकर अपने दबे होने के संकेत दे रही है। इसीलिए जहाँ खुदा वहीं मंदिरों के अवशेष निकल रहे हैं। और जितने भी दंगे-फसाद हो रहे हैं सच्चाई को बाहर आने से रोकने के लिए होते रहे हैं, भविष्य में भी होते रहेंगे। यहाँ सनातनियों को वोट देते समय सतर्क होना पड़ेगा कि किसी सनातन विरोधी नेता और पार्टी को वोट न दे। दूसरे, चुनाव आयोग और निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सबको इस गंभीर मुद्दे पर गंभीरता से चिंतन करना चाहिए। Victim card खेलने वालों पर तो और भी सतर्कता बरतनी चाहिए।
दंगाग्रस्त क्षेत्रों के लिए निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक को सभी सरकारो और पुलिस को सख्त आदेश देने चाहिए कि दंगा होने पर सबसे पहले दो राउंड अश्रुगैस फिर blind fire और आखिर में ढोल पीटने के लिए लाठीचार्ज। अक्सर यही सुनने में आता है कि बाहरी लोग आकर यहाँ का माहौल ख़राब कर दिया। जब blind fire होने पर जो जख्मी होंगे स्थानीय ही होंगे और उनको रोने वाले भी स्थानीय कोई बाहरी नहीं होगा।
संभल हिंसा की गहराई में जाने पर कई चौंकाने वाली बातें सामने आती हैं, जो पहले की रिपोर्टों में नहीं थीं। SIT की चार्जशीट के अनुसार, इस खूनी खेल का साजिशकर्ता दुबई में बैठा गैंगस्टर शारिक साठा है, जिसे संभल के सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क का खुला प्रोटेक्शन मिला था।
जानकारी के अनुसार, पुलिस ने दावा किया कि साठा ने सीधे तौर पर मुस्लिम भीड़ को भड़काया था। शारिक साठा ने मुस्लिमों को उकसाया कि वे जामा मस्जिद के सर्वे को रोकें, क्योंकि यह उनकी ‘500 साल पुरानी बाबर की निशानी’ है, जिसे बचाना उनका फर्ज़ है।
इस साज़िश का सबसे घिनौना पहलू यह है कि शारिक साठा के इशारे पर ही हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन की हत्या की साज़िश रची गई थी। इस काम के लिए शारिक साठा गैंग से जुड़े मोहम्मद गुलाम को सुपारी दी गई थी, जिसे पुलिस ने बाद में गिरफ्तार कर लिया था।
मोहम्मद गुलाम के पास से भारी मात्रा में विदेशी हथियार भी बरामद हुए, जो इस साज़िश की गंभीरता को दिखाते हैं। पुलिस ने यह भी खुलासा किया है कि शारिक साठा गैंग का संबंध अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की D कंपनी से है, जिससे इस हिंसा के पीछे एक गहरी और खतरनाक अंतरराष्ट्रीय साज़िश की बू आती है।
व्हाट्सएप ग्रुप में साजिश का पटकथा
संभल हिंसा की साज़िश एक व्हाट्सएप ग्रुप ‘सांसद संभल’ से रची गई थी, जिसके एडमिन खुद सांसद जियाउर्रहमान बर्क थे। पुलिस को पक्के सबूत मिले हैं कि 22 और 24 नवंबर को इसी ग्रुप में हिंसा भड़काने के मैसेज भेजे गए। इन मैसेज में भारी भीड़ जुटाने और सरकारी सर्वे को किसी भी कीमत पर रोकने का निर्देश था।
दुबई में बैठा गैंगस्टर शारिक साठा ने भी 23 नवंबर को फोन पर निर्देश दिए थे कि सर्वे नहीं होना चाहिए। इस भीड़ का मुख्य निशाना हिंदू वकील विष्णु शंकर जैन थे, जिनकी हत्या की साज़िश रची गई थी, लेकिन वह बाल-बाल बच गए।
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