ईरान इज़रायल युद्ध से टीवी में विपक्षी दलों के नमूने से दिखने वाले नेता गायब हो गए; दिखाई देते तो मुस्लिम वोटों के लिए इज़रायल पर बरस रहे होते; ईरान क्या अमेरिकी सैनिकों पर हमला करने की सोच भी सकता है?

सुभाष चन्द्र

इज़रायल और ईरान के युद्ध के चलते टीवी चैनलों पर आए दिन होने वाली फ़ालतू बहस में विपक्षी दलों के नमूने से दिखने वाले नेता गायब हो गए। ये बड़े सकून की बात है क्योंकि इनमे कुछ तो ऐसे आते हैं जिनकी न शक्ल बर्दाश्त होती है और न आवाज़ 

भारत और पाकिस्तान मुसलमानों में एक बात समान है, वह है अफवाह पर यकीन कर पागलों की हमलावर होना। याद हो जिया-उल-हक़ के कार्यकाल में एक अफवाह फैला दी कि यहूदियों ने मक्का पर हमला कर दिया और पागल मुसलमान पाकिस्तान में अमेरिकन एम्बेसी पर हमलावर हो जाता है।          

उन नेताओं को अगर युद्ध पर होने वाली बहस में बैठने दिया जाए तो आंख और दिमाग बंद कर मुस्लिम वोटों का ख्याल कर ईरान को समर्थन करते और इज़रायल को गरियाते रहते ये सभी विपक्षी नेता इज़रायल का साथ देने के लिए मोदी पर भी बरसते हैं। 

दरअसल, भारतीय विपक्ष को मुसलमानों से कहीं ज्यादा फ़िक्र आतंकवादियों की है। क्योकि आतंकवादियों द्वारा बेगुनाह लोगों का नरसंहार करने से इनकी रोजी-रोटी और तिजोरी चलती है। ये तो देर/आधी रात अदालतें खुलवाकर अपना देशप्रेम दिखाते हैं। पाकिस्तान तो आतंकवादी फैक्ट्री के नाम से बदनाम है ही, लेकिन ईरान की आतंकवादी हरकतें अब सामने आनी शुरू हो चुकी है। कई मुस्लिम देशों में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, शायद यही वजह है कि कई मुस्लिम देश भी ईरान का साथ नहीं दे रहे। ये तुष्टिकरण करने वाले विपक्ष को नहीं दिखाई दे रहा। 

लेखक 
चर्चित YouTuber 
ईरान इज़रायल युद्ध में नुकसान तो दोनों तरफ हो रहा है लेकिन जिस तरह इज़रायल ने ईरान के जनरलों और परमाणु वैज्ञानिकों को मार कर नुकसान दिया है, वैसा ईरान नहीं कर सका लेकिन दो गलतियां ईरान ने की हैं या कर सकता है 

पहली गलती तो ईरान ने इज़रायल के नागरिकों को निशाना बना कर की है जबकि इज़रायल ने ईरान के नागरिकों को कोई नुकसान नहीं दिया नेतन्याहू ने हिज़्बुल्ला के नसरल्ला और अन्य को मारने से पहले लेबनान की जनता से कहा था कि इज़रायल का निशाना जनता नहीं है, वे बस हिज्बुल्ला से दूर रहें आज नेतन्याहू ईरान की जनता से भी कह रहे हैं कि “हमारा आम जनता से कोई विरोध नहीं है, आप वर्तमान शासकों को हटाने में हमारा साथ दें क्योंकि ये लोग आपकी लिए भी ठीक नहीं है” ऐसा सुनने में आया भी है कि ईरान की 70% मस्जिदें वीरान पड़ी है क्योंकि वहां कोई जाता नहीं और खामनेई की इस्लामिक कट्टरता से ईरान की महिलाएं खासतौर पर परेशान हैं 

अगर ईरान ने यदि इज़रायल की आम जनता पर हमले जारी रखे तो फिर इज़रायल ईरान के शहरों को ख़ाक कर देगा गाज़ा की तरह और लगता है खामनेई यही चाहता है जिससे इज़रायल आम नागरिकों को मारने के लिए बदनाम हो 

दूसरी गलती जो ईरान कर रहा है वह है कि खामनेई अमेरिका को धमकी दे रहा है कि वह उसके सैनिकों पर भी हमले करेगा अगर ईरान ने ऐसा कर दिया तो वह अपनी बर्बादी को खुद निमंत्रण देगा क्योंकि अमेरिका NATO का मुख्य सदस्य है जिसके दम पर NATO खड़ा है NATO का नियम है कि किसी भी सदस्य देश पर हमला होता है तो उसे पूरे NATO पर हमला माना जाएगा और सभी NATO देश हमलावर देश के साथ युद्ध के लिए बाध्य होंगे

ईरान न केवल अमेरिका को धमकी दे रहा है बल्कि उसने तो ब्रिटेन और फ्रांस के सैन्य ठिकानों पर भी हमला करने की धमकी दी है यदि वे इज़रायल को समर्थन देना बंद नहीं करते खामनेई को इल्म नहीं है कि किसी भी NATO देश पर  हमला होने पर 30 NATO देश एक साथ उस पर टूट पड़ेंगे और फिर खामनेई के ईरान की बर्बादी तय है

हिटलर ने 60 लाख यहूदियों को गैस चैंबरों में यातनाएं देकर मार दिया था और वह यहूदियों की पूरी नस्ल को ही ख़त्म कर देना चाहता है वैसे ही आज खामनेई हिटलर के कदमों पर चल रहा है और हिटलर की तरह यहूदियों की नस्ल ही ख़त्म कर देना चाहता है

यदि ईरान NATO के किसी भी देश पर हमला करता है तो यह युद्ध निश्चित रूप से विश्व युद्ध में बदल जाएगा ईरान सभी इस्लामिक देशों को इस्लाम के नाम पर साथ आने को कहेगा क्योंकि सामने से युद्ध करने वाले या तो यहूदी होंगे और या सभी ईसाई देश कहने का मतलब है यह युद्ध ईसाई बनाम मुस्लिम युद्ध में बदल सकता है

अभी इस्लामिक देश उसके साथ नहीं आ रहे है वैसे भी अमेरिका ने प्रमुख इस्लामिक देशों को अपनी तरफ करके इस्लामिक देशों में फूट डाल दी है ईरान ही केवल निशाने पर रहेगा ईसाई और यहूदी कौम के क्योंकि अकेला ईरान ही उनके लिए सबसे बड़ा खतरा है 

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