देश की राजनीति में कभी काफी महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली सीपीएम की आज महज तीन राज्यों में उपस्थिति है. पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा. दूसरी तरफ देश के डेढ़ दर्जन राज्यों में भाजपा की न केवल उपस्थिति है बल्कि सरकारें हैं. देश के अठारह राज्यों में भाजपा की सरकार होने के बावजूद त्रिपुरा ही वह पहला राज्य है जहां पहली बार भाजपा और माकपा में सीधी टक्कर हो रही है. त्रिपुरा में भाजपा-माकपा में पहली बार सीधी टक्कर में मुक़ाबला दिलचस्प है.
केरल के बाद त्रिपुरा पर माकपा की नजर
इससे पहले केरल की चुनावी टक्कर में मुक़ाबला कांग्रेस और यूडीएफ के बीच था तो पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस भी थी. त्रिपुरा में आज तक भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल के निशान पर एक भी विधायक निर्वाचित नहीं हुआ है. बावजूद इसके यह सवाल पूछा जा रहा है कि भाजपा और माकपा में पहली बार हो रही सीधी टक्कर में आखिर जीतेगा कौन? त्रिपुरा में सत्ता सिंहासन पाने का जादुई आंकड़ा 31 है. दरअसल, त्रिपुरा में माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा एवं भाजपा के बीच चुनावी जंग पर सबकी निगाहें टिकी हैं. त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए 18 फरवरी को मतदान होगा और 3 मार्च को चुनाव परिणाम घोषित किया जाएगा. आखिर जीतेगा कौन, यह जानने के लिए तब तक इंतजार करना होगा.
केरल के बाद त्रिपुरा पर माकपा की नजर
इससे पहले केरल की चुनावी टक्कर में मुक़ाबला कांग्रेस और यूडीएफ के बीच था तो पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस भी थी. त्रिपुरा में आज तक भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल के निशान पर एक भी विधायक निर्वाचित नहीं हुआ है. बावजूद इसके यह सवाल पूछा जा रहा है कि भाजपा और माकपा में पहली बार हो रही सीधी टक्कर में आखिर जीतेगा कौन? त्रिपुरा में सत्ता सिंहासन पाने का जादुई आंकड़ा 31 है. दरअसल, त्रिपुरा में माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा एवं भाजपा के बीच चुनावी जंग पर सबकी निगाहें टिकी हैं. त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए 18 फरवरी को मतदान होगा और 3 मार्च को चुनाव परिणाम घोषित किया जाएगा. आखिर जीतेगा कौन, यह जानने के लिए तब तक इंतजार करना होगा.
टीएमसी की कमजोरी भाजपा की ताकत बनी
पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में कभी उभरती ताकत रही तृणमूल कांग्रेस को अब आगामी विधानसभा चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिये संघर्ष करना पड़ रहा है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इंडीजीनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ त्रिपुरा (एनसीटी) के साथ गठबंधन किया है. पार्टी ने राज्य में कुल 60 विधानसभा सीटों की 24 सीटों में अपने उम्मीदवार उतारे हैं. हालांकि तृणमूल कांग्रेस के त्रिपुरा प्रभारी एवं पश्चिम बंगाल विधानसभा में विधायक सब्यसाची दत्ता बेहद सकारात्मक हैं कि तृणमूल राज्य में उभरती ताकत बनेगी. यह पूछे जाने पर कि क्या वह आश्वस्त हैं कि यह गठबंधन सत्ता में आयेगा, इस पर उन्होंने कहा, देखते हैं कि क्या होता है. बक़ौल सब्यसाची दत्ता भाजपा की तरह हमारे पास धन की ताकत नहीं है लेकिन हम कड़ी टक्कर देने की कोशिश कर रहे हैं. दूसरी तरफ त्रिपुरा के एक तृणमूल कांग्रेस नेता ने बताया कि पार्टी राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिये लड़ रही है. इस नेता के अनुसार तृणमूल कभी राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी थी लेकिन अब एक बार फिर शून्य से शुरू करना पड़ रहा है. पार्टी के पास चुनाव लड़ने के लिए ना तो पर्याप्त पैसा है और ना ही चुनाव लड़ने के लिये लोग.
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