आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली में सीलिंग से आम आदमी और व्यापारी वर्ग काफी परेशान है। सीलिंग का मुद्दा ऐसा है जिसे लेकर आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस हमेशा एक दूसरे की आलोचना करते रहे हैं। इन सबके बीच दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वो कथित रूप से एक सीलबंद घर ताला तोड़ रहे हैं। यह घर मनोज तिवारी के संसदीय क्षेत्र पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुरी का बताया जा रहा है।
वीडियो सामने आने के बाद दिल्ली की राजनीति गरमा गई है। सीलिंग के मुद्दे को लेकर अब आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर निशाना साधा है। आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने इस वीडियो को दिल्ली के भाजपा शासित नगर निगमों से जोड़ दिया है।
बताया जा रहा है कि तिवारी अपने संसदीय क्षेत्र के गोकलपुरी में सीलिंग को लेकर आयोजित महापंचायत में शामिल होने गए थे। जहां लोगों ने सीलिंग से निजात दिलाने की मांग की। इस पर तिवारी ने एक मकान पर पूर्वी दिल्ली नगर निगम की ओर से लगाई गई सील को तोड़ दिया।
इतनी भीड़ और पुलिस के बीच मकान मालिक क्या कर सकता है? निगम आयुक्त डॉ सिंह को इस बात का संज्ञान लेना चाहिए। |
डॉ सिंह का रवैया पक्षपातपूर्ण है, मकान मालिक के विरुद्ध कार्यवाही क्यों? सील तोड़ने वाले के विरुद्ध क्यों नहीं? क्योकि सील तोड़ने वाला सत्तारूढ़ पार्टी का सांसद है? कानून हाथ में किसने लिया, मकान मालिक ने या भाजपा सांसद ने?
मनोज तिवारी ने कहा कि, कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल अब अनाधिकृत को अधिकृत के तौर पर परिवर्तित करने के नाम पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। वह घर अनधिकृत कॉलोनी में था जिसे सील किया गया, लेकिन वहां करीब 1000 घर है ऐसे में सिर्फ एक घर को ही क्यों सील किया गया? मैं किसी एक को निशाना बनाने के सिस्टम का विरोध करता हूं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा है कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद अब सीलिंग ने दिल्ली को बर्बाद कर दिया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा ‘ये ख़द ही सुबह सीलिंग करते हैं और खुद ही शाम को जाकर ताला तोड़ देते हैं। इन्हें क्या लगता है कि लोग बेवकूफ हैं? नोटबंदी, GST और अब सीलिंग करके भाजपा ने पूरी दिल्ली को बर्बाद कर दिया।’
आम आदमी पार्टी सीलिंग का मुद्दा जोर-शोर से उठाए हुए है। वहीं सीलिंग के मुद्दे पर ‘न्याययुद्ध’ अभियान चला रही कांग्रेस ने सीलिंग अभियान से प्रभावित लोगों को बचाने में विफल रहने पर तिवारी समेत भाजपा सांसदों के इस्तीफे की मांग की है।
आज जनता के मष्तिक में प्रश्न कौतुहल कर रहा है कि नेता क्या कानून की धज्जियाँ उड़ाने के लिए हैं? जिस सील को भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने तोडा है, क्या उन्होंने ऐसा करने से पूर्व न्यायालय से अनुमति ली थी? यदि नहीं, तो क्या कोर्ट मनोज तिवारी के विरुद्ध कोई कार्यवाही करेगी? यदि नहीं, तो क्यों?
ज्ञात हो, दिल्ली का मुख्यमन्त्री बनने से पूर्व, अरविन्द केजरीवाल ने बिजली विभाग द्वारा बिजली चोरी या बिल का भुगतान न किए जाने के कारण काटे कनेक्शनों को जोड़ने पर क्या कार्यवाही की गयी? यदि मनोज तिवारी या अरविन्द केजरीवाल की बजाए किसी आम नागरिक ने यही काम किया होता, शायद ही कोई नेता उस नागरिक के पक्ष में खड़ा होता। और कानून अपने हाथ में लेने के आरोप में उस नागरिक का जलूस निकाल दिया होता। लगता है, कानून केवल जनता को डराने एवं धमकाने के लिए हैं, नेताओं के लिए कोई कानून नहीं।
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