डॉ राम मनोहर लोहिया संस्थान में जांच करना हुआ महंगा

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
एक तरफ जहाँ मोदी सरकार आयुष्मान योजना लागू कर रही है, तो दूसरी तरफ सरकारी हॉस्पिटल डॉ राम मनोहर लोहिया में इलाज करवाना महँगा होता जा रहा है। अब इसे सरकार की भ्रमित योजनाएँ कहा जाये या कुछ और, यह सरकार को स्पष्ट करना है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार पर भाजपा सहित कांग्रेस भी आरोप लगाने से पीछे नहीं, जबकि दिल्ली प्रशासन के अंतगर्त आने वाले लोक नायक जयप्रकाश हॉस्पिटल में जहाँ कुछ वर्ष पूर्व तक सीटी स्कैन आदि पर 750 रूपए लिए जाते थे, आज उसी हॉस्पिटल में प्रत्येक जाँच निशुल्क है। प्रमाण: लगभग एक दशक पूर्व, सड़क दुर्घटना से पीड़ित अपने पिताश्री एम.बी.एल.निगम का सीटी स्कैन करवाया, तब हॉस्पिटल ने उपरोक्त राशि चार्ज की थी, और कुछ दिन पूर्व अपने पडोसी का इसी हॉस्पिटल में सीटी स्कैन निशुल्क हुआ। जगह-जगह मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवाल के चित्र लगे बैनर पर स्पष्ट रूप से लिखा है "इस हॉस्पिटल में कोई भी जाँच और दवाईयाँ निशुल्क है।" लेकिन सरकारी हॉस्पिटल लोहिया में पर्ची बनवाने का भी शुल्क देना पड़ता है।    
डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त संस्थान में जांचें एक नंवबर से महंगी हो जाएंगी। जांचें महंगी करने के पीछे संस्थान का तर्क है कि संस्थान को सरकार की ओर मिलने वाली 30 करोड़ रुपये की राहत राशि अभी तक नहीं मिल पाई है। रकम न मिलने के कारण जांच शुल्क बढ़ाना मजबूरी है। 
अभी तक डॉ. राममनोहर लोहिया संयुक्त अस्पताल में एक रुपये का पर्चा बनता है। अधिकतर जांचें निशुल्क हैं। जबकि संस्थान में सौ रुपये का पर्चा बनता है और जांचों का भी पैसा जमा होता है। विलय के बाद संस्थान नियमानुसार लोहिया अस्पताल में भी पैसा लेने का अधिकार रख सकेगा।
विलय के दौरान योजना बनाई गई थी कि सरकार की ओर से 30 करोड़ रुपये मिल जाएं तो लोहिया अस्पताल में पहले की तरह मरीजों को मुफ्त दवाएं मिलती रहेंगी। पैथोलॉजी की जांचें भी मुफ्त होती रहेंगी। अभी तक राहत राशि नहीं मिली है। ऐसे में विलय के बाद संस्थान घाटा उठाने की स्थिति में नहीं है।
सूत्रों की मानें तो संस्थान के अधिकारियों ने दरों का निर्धारण शुरू कर दिया है। केजीएमयू, एसजीपीजीआई की जांच दरों की लिस्ट भी मंगवाई गई है। संस्थान के निदेशक प्रो. दीपक मालवीय कहते हैं कि 30 करोड़ की राहत राशि मिल जाए तो दिक्कत दूर हो जाएगी। रकम न मिलने पर जांच दरें बढ़ाना ही विकल्प होगा। समीक्षा कर अपनी स्थिति की आकलन करेंगे। इसके बाद फीस और जांच संबंधी सुविधाओं पर विचार किया जाएगा।

केजीएमयू भी बढ़ा देगा शुल्क

उदाहरण के तौर पर देखें तो हीमोग्लोबिन से जुड़ी टीएलसी, डीएलसी जांच लोहिया अस्पताल में मुफ्त होती है। सिर्फ एक रुपये का पर्चा बनता है। यदि संस्थान में यह जांच कराई जाए तो पहले सौ रुपये का पर्चा बनेगा। इसके बाद जांच के लिए सौ रुपया चुकाना होगा।
लोहिया अस्पताल में एक्सरे निशुल्क होता है, जबकि संस्थान में  50 रुपया देना पड़ता है। इसी तरह अल्ट्रासाउंड मुफ्त है, जबकि संस्थान में तीन सौ रुपया देना पड़ता है। इसी तरह अन्य जांचों के लिए यहां पैसा देना पड़ता है। विलय के बाद अस्पताल में भी संस्थान के नियम लागू होंगे।
सूत्रों का कहना है कि राहत राशि मिलने के आसार बहुत कम हैं। यदि संस्थान को मदद मिलती है तो  केजीएमयू, पीजीआई व अन्य चिकित्सा संस्थान भी अतिरिक्त बजट की डिमांड करेंगे। अभी तक केजीएमयू में भी कई जांचें काफी सस्ती हैं। अतिरिक्त बजट न मिलने का तर्क देकर वह भी जांच शुल्क बढ़ा सकता है।

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