आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
एससी-एसटी एक्ट को सबसे पहले मायावती ने कमजोर किया। उन्होंने ही इसके तहत केस दर्ज करके तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। कांग्रेस ने दलितों को राजनीतिक भागीदारी नहीं दी।
सपा भी दलित विरोध का सबसे बड़ा चेहरा है। जबकि भाजपा ने राष्ट्रपति, राज्यपाल, सांसद, एमएलसी व एमएलए बनाकर दलितों का सम्मान किया है। अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के चेयरमैन डॉ. लालजी निर्मल ने बुधवार को वीवीआईपी गेस्ट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में ये बातें कही।
डॉ. निर्मल ने कहा, मायावती दलितों की ठेकेदार बनना चाहती हैं। अनुसूचित जाति को संरक्षण देने वाले कानूनों पर पहला हमला उन्होंने किया था। 2007 में एससी-एसटी एक्ट को प्रभावहीन किया। यह आदेश करवाया कि यदि दलित महिला के साथ बलात्कार हो तो भी बिना मेडिकल रिपोर्ट के एफआईआर न दर्ज की जाए। वह कहती थीं कि दलित पिटेगा तो बसपा से जुड़ेगा।
अवलोकन करें:--
मायावती ने अनुसूचित जाति आयोग एक्ट में संशोधन करके 2007 में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर एससी की नियुक्ति की अनिवार्यता खत्म की। यही नहीं 1998 में एक्ट में संशोधन कर आयोग के समक्ष प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष स्तर के अधिकारियों के उपस्थित होने की अनिवार्यता को प्रतिबंधित कर दिया। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने एससी एक्ट को मूल रूप में बहाल कर उसे और सशक्त बनाया है। उनके एजेंडे से दलित रोजगार और स्वरोजगार की ओर बढ़ रहे हैं।
एससी-एसटी एक्ट को सबसे पहले मायावती ने कमजोर किया। उन्होंने ही इसके तहत केस दर्ज करके तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। कांग्रेस ने दलितों को राजनीतिक भागीदारी नहीं दी।
सपा भी दलित विरोध का सबसे बड़ा चेहरा है। जबकि भाजपा ने राष्ट्रपति, राज्यपाल, सांसद, एमएलसी व एमएलए बनाकर दलितों का सम्मान किया है। अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के चेयरमैन डॉ. लालजी निर्मल ने बुधवार को वीवीआईपी गेस्ट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में ये बातें कही।
डॉ. निर्मल ने कहा, मायावती दलितों की ठेकेदार बनना चाहती हैं। अनुसूचित जाति को संरक्षण देने वाले कानूनों पर पहला हमला उन्होंने किया था। 2007 में एससी-एसटी एक्ट को प्रभावहीन किया। यह आदेश करवाया कि यदि दलित महिला के साथ बलात्कार हो तो भी बिना मेडिकल रिपोर्ट के एफआईआर न दर्ज की जाए। वह कहती थीं कि दलित पिटेगा तो बसपा से जुड़ेगा।
अवलोकन करें:--
‘सपा ने दलितों के ठेके में आरक्षण खत्म किया’
डॉ. निर्मल ने सपा पर भी हमला बोला। कहा, सपा ने दलितों के ठेके में आरक्षण खत्म किया। साथ ही प्रमोशन में आरक्षण समाप्त किया जिससे 1.5 लाख दलित कर्मचारी एक पद नीचे आए गए। अति दलितों और अति पिछड़ों को धोखे में रखकर सपा और बसपा राजनीतिक रोटियां सेंकती रही हैं।
हमाम में नंगी समस्त पार्टियाँ
जहाँ तक सपा और बसपा द्वारा आरक्षण मुद्दे पर रोटियाँ सेंकने की बात है, सच्चाई तो यह है कि इस मुद्दे पर भारत की हर पार्टी रोटियाँ सेंक रही है। जिसको देखो डॉ आंबेडकर का भक्त बना फिर रहा है, लेकिन डॉ साहब की बात को सभी नज़रअंदाज़ कर, ठन्डे बस्ते में डाल दिया है कि जब अपने ही जीवनकाल में आरक्षण का दुरूपयोग होता देख, तुरन्त समाप्त करने के लिए कहा था। चलो जनता को बना लो, मूर्ख, लेकिन उन्होंने ने माँगे थे, 10 वर्ष, फिर आज तक आरक्षण क्यों? है किसी नेता के पास कोई जवाब ! वोट अन्य जातियों के भी चाहिए, लेकिन जिसे देखो या तो आरक्षण की बात करता है या फिर अल्पसंख्यकों की। निवार्चित होने पर शपथ लेते हैं संविधान की और स्वयं ही संविधान का अनादर कर रहे हैं। संविधान जब सबको समान अधिकार की बात करता है, फिर आरक्षण के नाम जनता के साथ भेदभाव और जनता का विभाजन क्यों?
हमाम में नंगी समस्त पार्टियाँ
जहाँ तक सपा और बसपा द्वारा आरक्षण मुद्दे पर रोटियाँ सेंकने की बात है, सच्चाई तो यह है कि इस मुद्दे पर भारत की हर पार्टी रोटियाँ सेंक रही है। जिसको देखो डॉ आंबेडकर का भक्त बना फिर रहा है, लेकिन डॉ साहब की बात को सभी नज़रअंदाज़ कर, ठन्डे बस्ते में डाल दिया है कि जब अपने ही जीवनकाल में आरक्षण का दुरूपयोग होता देख, तुरन्त समाप्त करने के लिए कहा था। चलो जनता को बना लो, मूर्ख, लेकिन उन्होंने ने माँगे थे, 10 वर्ष, फिर आज तक आरक्षण क्यों? है किसी नेता के पास कोई जवाब ! वोट अन्य जातियों के भी चाहिए, लेकिन जिसे देखो या तो आरक्षण की बात करता है या फिर अल्पसंख्यकों की। निवार्चित होने पर शपथ लेते हैं संविधान की और स्वयं ही संविधान का अनादर कर रहे हैं। संविधान जब सबको समान अधिकार की बात करता है, फिर आरक्षण के नाम जनता के साथ भेदभाव और जनता का विभाजन क्यों?
No comments:
Post a Comment