मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए 28 नवंबर को होने वाले चुनाव में प्रदेश की कुल 230 सीटों में से 30 से अधिक सीटों पर सत्तारूढ़ बीजेपी एवं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बागियों के उतरने से इन दोनों दलों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. ये 30 से अधिक बागी अपनी पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशी की जीत को हार में बदल सकते हैं. वहीं, दोनो दल अपने-अपने बागियों को मनाने में लग गए हैं. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, प्रदेश संगठन सचिव सुहास भगत एवं अन्य नेता अपनी पार्टी के बागी नेताओं से संपर्क कर उनसे अपना नामांकन पत्र वापस लेने की गुजारिश कर रहे हैं.
बागी नेताओं से बातचीत जारी है- बीजेपी
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा, ''हमारे वरिष्ठ नेता पार्टी के सभी बागी प्रत्याशियों से बातचीत कर रहे हैं और उनसे बीजेपी के आधिकारिक प्रत्याशी के खिलाफ चुनावी मैदान से हटने का अनुरोध कर रहे हैं.'' उन्होंने उम्मीद जताई कि पहले के चुनावों की तरह इस बार के चुनाव में भी बागी नेता चुनावी मैदान से हट जाएंगे और अपनी उम्मीदवारी वापस ले लेंगे. बता दें कि उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि 14 नवंबर है.
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा, ''हमारे वरिष्ठ नेता पार्टी के सभी बागी प्रत्याशियों से बातचीत कर रहे हैं और उनसे बीजेपी के आधिकारिक प्रत्याशी के खिलाफ चुनावी मैदान से हटने का अनुरोध कर रहे हैं.'' उन्होंने उम्मीद जताई कि पहले के चुनावों की तरह इस बार के चुनाव में भी बागी नेता चुनावी मैदान से हट जाएंगे और अपनी उम्मीदवारी वापस ले लेंगे. बता दें कि उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि 14 नवंबर है.
कांग्रेस भी बागियों को मनाने में जुटी
वहीं, कांग्रेस की ओर से दिग्गज नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपनी पार्टी के बागी प्रत्याशियों से मिल रहे हैं और उनसे गुजारिश कर रहे हैं कि पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशी के हित में अपना नामांकन पत्र वापस ले लें. सिंह के अलावा, मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, मध्यप्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया, मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी अपनी पार्टी के बागी प्रत्याशियों को मनाने लगे हैं कि वे चुनावी मैदान से हट जाएं, ताकि बीजेपी को चौथी बार सत्ता में आने से रोका जा सके.
वहीं, कांग्रेस की ओर से दिग्गज नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपनी पार्टी के बागी प्रत्याशियों से मिल रहे हैं और उनसे गुजारिश कर रहे हैं कि पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशी के हित में अपना नामांकन पत्र वापस ले लें. सिंह के अलावा, मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, मध्यप्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया, मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी अपनी पार्टी के बागी प्रत्याशियों को मनाने लगे हैं कि वे चुनावी मैदान से हट जाएं, ताकि बीजेपी को चौथी बार सत्ता में आने से रोका जा सके.
बागी नामांकन वापस लें, चाहें तो मेरे 10 पुतले फूंक दें- दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह बागियों से यह अपील करते हुए भी दिखाई दिए कि यदि वे पार्टी से नाराज हैं तो, वे अपने गुस्से को निकालने के लिए मुझे (दिग्विजय) गाली दे सकते हैं और विरोध जताने के लिए मेरे 10-10 से अधिक पुतले जला लें, लेकिन पार्टी के हित में चुनावी मैदान ने अपना नाम वापस ले लें. वह बागियों से अनुरोध कर रहे थे कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रत्याशी चुने हैं और उन्हें समर्थन देना चाहिए. पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशियों को वोटों का नुकसान न पहुंचाएं.
दिग्विजय सिंह बागियों से यह अपील करते हुए भी दिखाई दिए कि यदि वे पार्टी से नाराज हैं तो, वे अपने गुस्से को निकालने के लिए मुझे (दिग्विजय) गाली दे सकते हैं और विरोध जताने के लिए मेरे 10-10 से अधिक पुतले जला लें, लेकिन पार्टी के हित में चुनावी मैदान ने अपना नाम वापस ले लें. वह बागियों से अनुरोध कर रहे थे कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रत्याशी चुने हैं और उन्हें समर्थन देना चाहिए. पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशियों को वोटों का नुकसान न पहुंचाएं.
मंत्री जयंत मलैया की विधानसभा सीट पर भी मंडरा रहा है खतरा
सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने सोच विचार कर एवं विवेकपूर्ण तरीके से पार्टी हित में अपने प्रत्याशी बनाये हैं. बीजेपी से पांच बार सांसद, दो बार विधायक एवं शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मंत्री रहे कर्मी वर्ग के नेता डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने एक साथ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दो सीटों दमोह और पथरिया से नामांकन भरा है. इस नामांकन से कुसमरिया ने प्रदेश के वित्तमंत्री जयंत मलैया के लिए दमोह सीट पर मुश्किल खड़ी कर दी है.
सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने सोच विचार कर एवं विवेकपूर्ण तरीके से पार्टी हित में अपने प्रत्याशी बनाये हैं. बीजेपी से पांच बार सांसद, दो बार विधायक एवं शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मंत्री रहे कर्मी वर्ग के नेता डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने एक साथ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दो सीटों दमोह और पथरिया से नामांकन भरा है. इस नामांकन से कुसमरिया ने प्रदेश के वित्तमंत्री जयंत मलैया के लिए दमोह सीट पर मुश्किल खड़ी कर दी है.
आरएसएस विचारक राघवजी ने भरा सपाक्स पार्टी से पर्चा
ठीक इसी तरह से मध्यप्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री एवं आरएसएस विचारक राघवजी भाई भी विदिशा जिले की शमशाबाद विधानसभा सीट से नई नवेली पार्टी सपाक्स से चुनावी मैदान में उतरे हैं. राघवजी बीजेपी द्वारा उनकी बेटी ज्योति शाह को टिकट न दिये जाने से नाराज हैं. भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धीरज पटेरिया भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप से जबलपुर उत्तर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के बागी नेताओं में पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पार्टी के पूर्व प्रवक्ता सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेटे नितिन चतुर्वेदी हैं. कांग्रेस द्वारा टिकट न दिये जाने से नाराज नितिन बुंदेलखंड क्षेत्र की राजनगर सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर लड़ रहे हैं.
ठीक इसी तरह से मध्यप्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री एवं आरएसएस विचारक राघवजी भाई भी विदिशा जिले की शमशाबाद विधानसभा सीट से नई नवेली पार्टी सपाक्स से चुनावी मैदान में उतरे हैं. राघवजी बीजेपी द्वारा उनकी बेटी ज्योति शाह को टिकट न दिये जाने से नाराज हैं. भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धीरज पटेरिया भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप से जबलपुर उत्तर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के बागी नेताओं में पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पार्टी के पूर्व प्रवक्ता सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेटे नितिन चतुर्वेदी हैं. कांग्रेस द्वारा टिकट न दिये जाने से नाराज नितिन बुंदेलखंड क्षेत्र की राजनगर सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर लड़ रहे हैं.
कांग्रेस के पूर्व विधायक ने भी भरा निर्दलीय पर्चा
ठीक इसी तरह से साहब सिंह गुर्जर भी कांग्रेस द्वारा टिकट न दिये जाने से नाराज हो गए और ग्वालियर ग्रामीण सीट से चुनावी मैदान में खड़े हैं. जबकि, कांग्रेस के पूर्व विधायक जैवियर मेढ़ा भी झाबुआ में कांग्रेस के आधिकारिक प्रत्याशी विक्रांत भूरिया के सामने चुनावी मैदान में उतर गये हैं. विक्रांत कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे हैं.
ठीक इसी तरह से साहब सिंह गुर्जर भी कांग्रेस द्वारा टिकट न दिये जाने से नाराज हो गए और ग्वालियर ग्रामीण सीट से चुनावी मैदान में खड़े हैं. जबकि, कांग्रेस के पूर्व विधायक जैवियर मेढ़ा भी झाबुआ में कांग्रेस के आधिकारिक प्रत्याशी विक्रांत भूरिया के सामने चुनावी मैदान में उतर गये हैं. विक्रांत कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे हैं.
एमपी में भाजपा विधायक नीलम मिश्रा ने पार्टी से दिया इस्तीफा, मंत्री और सांसद पर लगाए आरोप
मध्यप्रदेश में जनता किसके सिर पर ताज सजाएगी इसके लिए कुछ दिनों बाद ही चुनाव होने वाले हैं। जिसमें सभी प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला हो जाएगा। वहीं राज्य में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। इसी बीच रीवा जिले की सेमरिया सीट की विधायक नीलम मिश्रा ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। वह टिकट कटने से नाराज थीं। उनके पति अभय मिश्रा पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि वह भी भाजपा को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम सकती हैं।
भाजपा ने जब उन्हें सेमरिया सीट से टिकट नहीं दिया तो उन्होंने पार्टी छोड़ने का निर्णय ले लिया। रीवा में प्रेस कांफ्रेंस करके उन्होंने उद्योग मंत्री राजेंद्र शुक्ल और सासंद जनार्दन मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। नीलम मिश्रा ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को पत्र लिखकर इस बात की जानकारी दी है। उनका कहना है कि वह किसी भी दल में शामिल न होकर अपने पति और कांग्रेस प्रत्याशी अभय मिश्रा के लिए प्रचार करेंगी।
नीलम मिश्रा ने राज्य के मंत्री और सांसद पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन दोनों की वजह से उनके विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य नहीं हो पाए हैं। दोनों नेताओं ने विधायक निधि के कोई और कार्य विधानसभा क्षेत्र में होने नहीं दिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री के गलत कार्यों का जब पति अभय मिश्रा ने विरोध किया तो उन्हें प्रताड़ित किया गया। इसके बाद भी हमारी पार्टी के प्रति नाराजगी नहीं रही।
विधायक ने कहा कि जहां पार्टी के लोग ही आपका विरोध कर रहे हैं तो वहां रहने का फायदा क्या है। इसी कारण मैंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा में पांच साल मैंने अपमानित होकर बिताए। मेरे पति को भी जब भाजपा में सम्मान नहीं मिला तो उन्होंने वह कांग्रेस में शामिल हो गए। हाल ही में कांग्रेस ने अभय मिश्रा को रीवा से टिकट दिया है। उनका मुकाबला राज्य के उद्योग मंत्री राजेंद्र शुक्ल से है।
पार्टी उपाध्यक्ष घनराम साहू ने छोड़ा कांग्रेस का साथ, BJP का थम सकते है दामन
छत्तीसगढ़ में पहले चरण के मतदान से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। राज्य में कांग्रेस उपाध्यक्ष घनराम साहू ने नवम्बर 11 को पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
उनका आरोप है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और दुर्ग के सांसद ताम्रध्वज साहू मिलकर उनका नेतृत्व खत्म करने की कोशिश कर रहे थे। बता दें कि वह पांच साल से पार्टी के उपाध्यक्ष पद पर थे। उनका कहना है कि चुनाव के दौरान उनकी उपेक्षा की जा रही है इसलिए वह पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं।
उन्होंने अपना इस्तीफा पीसीसी अध्यक्ष को पोस्ट से भेज दिया है। उन्होंने कहा कि वह सोमवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की मौजूदगी में भाजपा में शामिल होंगे।
बीजेपी विधायक सुरेंद्र गोयल ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) को बड़ा झटका लगा है। वसुंधरा राजे सरकार मंत्री सुरेंद्र गोयल ने इस्तीफा दे दिया है और उन्हें पार्टी भी छोड़ दी है।7:04 PM - Nov 12, 2018
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल विभाग में मंत्री सुरेंद्र गोयल ने प्रदेश अध्यक्ष को पत्र में लिखा, 'मैं सुरेंद्र गोयल विधायक विधानसभा क्षेत्र जैतारण (116) भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र देता हूं। अत: आप मेरा इस्तीफा स्वीकार करें।'
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