
भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली पीड़िता व उसकी चाची ने 12 जुलाई को एसपी एमपी वर्मा व सीबीआई को प्रार्थना पत्र देकर बताया था कि वह व उसके परिजन सीबीआई के गवाह हैं। सात जुलाई की सुबह 9 बजे एक कार से आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर व सह आरोपी शशि सिंह के परिजन व दो अज्ञात व्यक्ति आए और मुकदमों में सुलह का दबाव बनाया।
ऐसा न करने पर जानमाल की धमकी दी। पूरे परिवार को फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेल भिजवाने तक की बात कही। पुलिस ने कार्रवाई तो दूर शिकायत की जांच कराना भी उचित नहीं समझा। रविवार(जुलाई 28) को हुए हादसे में हुई मौतों के बाद अब परिजन सीधे हत्या का आरोप लगा रहे हैं। दुष्कर्म पीड़िता के चाचा की तहरीर पर विधायक कुलदीप सिंह समेत अन्य पर रायबरेली में मुकदमा भी दर्ज हो गया।
रायबरेली में हुई घटना के समय दुष्कर्म पीड़िता की सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मियों की गैरमौजूदगी को लेकर पुलिस के अधिकारियों ने बयान दिया कि कार में जगह न होने से पीड़िता ने सुरक्षा कर्मियों को साथ चलने से मना कर दिया। हालांकि पुलिस के पास इसका कोई प्रमाण नहीं है। सवाल यह है कि यदि दुष्कर्म पीड़िता ने सुरक्षा कर्मियों को साथ चलने से मना किया तो उन्होंने अपने अधिकारियों को लिखित या मौखिक तौर पर जानकारी क्यों नहीं दी। आरआई लाइन सुभाष चंद्र मिश्र ने बताया कि सुरक्षा में लगे सिपाहियों ने किसी तरह की लिखित या मौखिक जानकारी नहीं दी।
दुष्कर्म पीड़िता के पिता की मौत और विधायक कुलदीप सिंह, उनके भाई अतुल सिंह समेत अन्य पर मुकदमा दर्ज होने के बाद से अब तक पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा में फोर्स किस तरह तैनात किया गया। आईजी जोन लखनऊ एसके भगत ने एसपी एमपी वर्मा से इसका पूरा ब्यौरा तलब किया गया है। ब्यौरा जुटाने में पूरे दिन एलआईयू की टीम माथापच्ची करती रही।
रायबरेली में हुई घटना के वक्त दुष्कर्म पीड़िता की सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों की गैरमौजूदगी पर एसपी की बैठाई गई जांच में 24 घंटे बाद भी कोई निष्कर्ष निकलकर सामने नहीं आ सका। जांच कर रहे एएसपी विनोद कुमार पांडेय ने बताया कि देर शाम तक जांच रिपोर्ट एसपी को सौंप दी जाएगी। वहीं आरआइ लाइन सुभाष चंद्र मिश्र ने बताया कि दुष्कर्म पीड़िता की सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मियों को हटाकर उनकी जगह पर कांस्टेबल पुष्पेद्र, प्रीती और पूनम को तैनात किया गया है।
सड़क हादसे में मृत किशोरी की चाची, विधायक के खिलाफ सीबीआई के आरोप पत्र में तीसरे नंबर की गवाह थीं। जबकि पीड़िता और उसका चाचा पहले और दूसरे नंबर के गवाह हैं। इससे पहले 18 जनवरी को बेटे (किशोरी के चाचा) को रायबरेली जेल शिफ्ट किए जाने के बाद 18 फरवरी की रात मौत हो गई थी।
परिवार ने बेटे से मुलाकात न हो पाने के सदमे में मौत होने की बात कही थी। किशोरी की दादी दुष्कर्म के मुकदमे में सीबीआई के आरोप पत्र में चौथे नंबर की गवाह थीं। सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए अधिवक्ता महेंद्र सिंह, किशोरी से दुष्कर्म के मुकदमे के साथ ही और चाचा के खिलाफ दर्ज अन्य मुकदमों में भी पैरवी कर रहे हैं।
रायबरेली जिले में हुए हादसे में घायल अधिवक्ता महेंद्र सिंह के परिजन घटना को महज हादसा मानने को तैयार नहीं है। घर में मौजूद अधिवक्ता के भतीजे शिवांश ने बताया कि चाचा रविवार(जुलाई 28) को अपनी कार से सुबह करीब नौ बजे निकले थे। दोपहर बाद हादसे की सूचना मिली तो पिता मान बहादुर सिंह, पत्नी सीमा और दो बच्चों सहित परिवार के अन्य लोग बेहाल हो गए। शिवांश ने बताया कि परिवार के लोग शाम को ही लखनऊ चले गए थे। सभी लोग अभी वहीं हैं।
दुर्घटना में समाजवादी पार्टी का हाथ सामने आया
उत्तर प्रदेश में कहीं भी अपराध हो, घूम फिर कर उसका कनेक्शन समाजवादी पार्टी से जुड़ जाता है, अभी कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश में सोनभद्र को लेकर काफी हंगामा मचा था और राजनीती हुई थी। दुर्घटना में समाजवादी पार्टी का हाथ सामने आया
बाद में पता चला की सोनभद्र काण्ड करवाने वाला ग्राम प्रधान सपा का नेता है, योगी सरकार के खिलाफ खूब राजनीती की गयी। और अब अचानक से उन्नाव की रेप पीडिता की गाड़ी को एक ट्रक ने टक्कर मार दी, उसके बाद भी योगी सरकार के खिलाफ खूब राजनीती हो रही है, पर अब जांच में ये पता चला है की जिस ट्रक ने उन्नाव रेप पीडिता की गाडी को टक्कर मारी थी वो ट्रक सपा नेता का है।
ये ट्रक समाजवादी पार्टी के नेता नंदू पाल के बड़े भाई देवेन्द्र पाल का है, और एक्सीडेंट के बाद से ही देवेन्द्र पाल के घर पर टाला बंद है, देवेन्द्र पाल की तलाशी चल रही है और वो फरार बताया जा रहा है।
देवेन्द्र पाल के कई ट्रक है और उसका ट्रक का ही धंधा है, फ़िलहाल पुलिस उसे खोज रही है।
अब विधायक तो पहले से जेल में बंद है, और विधायक समेत सबको पता है की पीडिता को आंच आती है तो सीधा आरोप उसी पर लगेगा।
और उन्नाव पीडिता के एक्सीडेंट के बाद सारा आरोप विधायक पर ही लगा, और उसके खिलाफ हत्या के मामले में FIR भी दर्ज हो गयी, वहीँ योगी सरकार के खिलाफ राजनीती करने का मौका भी विपक्ष को जमकर मिला।
एक बात तो साफ़ है की योगी सरकार की जितनी बदनामी सपा को उतना फायदा, चाहे सोनभद्र का मामला हो चाहे उन्नाव रेप पीडिता के एक्सीडेंट का मामला, ग्राम प्रधान भी सपा का नेता निकला और जिसका ट्रक है वो भी सपाई निकले।
जिज्जी(प्रियंका) ने कांग्रेस में जान फूंकी है या कांग्रेस ही फूंक दी है?

उन्नाव रेप पीड़िता के साथ हुई दुर्घटना पर जिज्जी यानि प्रियंका वाड्रा ने अपनी दिल्ली वाली ट्विटरिया तोप से योगी महाराज की सरकार के खिलाफ मौखिक बमों की बरसात की। जिज्जी के सेनापति लल्लू भइय्या ने उन बमों को लखनऊ में लपक लिया और योगी सरकार के खिलाफ धरती हिलाने, आसमान उठाने का ऐलान कर डाला। इसके साथ ही उत्तरप्रदेश की सरकार की ईंट से ईंट बजा देने, उत्तरप्रदेश सरकार को हिला देने के दावे के साथ जिज्जी के जांबाज सिपहसालार लल्लू भइय्या धरने पर बैठ गए।
उत्तर प्रदेश सरकार हिला देने का दावा करके धरने पर बैठे लल्लू भइय्या के धरने पर कैसा जनसैलाब उमड़ा, और आज सवेरे कितनी प्रचण्ड जनसुनामी उमड़ी? उपरोक्त चित्र में देखा जा सकता है।
2 दिन पूर्व उन्नाव रेप पीड़िता के साथ हुई दुर्घटना के खिलाफ इस ऐतिहासिक ज़ंग की ऐसी अभूतपूर्व शुरुआत करने वाले "लल्लू भइय्या" यूपी में जिज्जी के हर कार्यक्रम तथा जिज्जी के मीडिया आधारित/आश्रित हिमालय से "ऊंचे और बड़े" लेकिन केवल मौखिक और कागज़ी आंदोलनों में जिज्जी के साये और सेनापति की भूमिका निभाते हैं। इसीलिए सोनभद्र काण्ड के बाद मिर्जापुर में कैमरों के सामने गरजती जिज्जी की फोटुओं के हर फ्रेम में लल्लू भइय्या जरूर डटे दिखाई दिए थे।
जिज्जी की पसंद और आदेश पर ही अजय सिंह लल्लू उर्फ "लल्लू भइय्या' को यूपी में कांग्रेस विधानमंडल दल का नेता बना दिया गया था। योगी सरकार के खिलाफ "लल्लू भइय्या" आसमान उठाने और धरती हिलाने का दावा नियमित रूप से उसी तरह करते रहते हैं, जिस तरह कोई मरीज अपनी दवा नियमित रूप से खाता है, उसे खाना कभी नहीं भूलता है।
इस ताज़े उदाहरण के साथ इसलिए लिखी क्योंकि कल से लुटियनिया मीडिया के मठाधीशों, विशेषकर न्यूजचैनलों और अंग्रेज़ी मीडिया के मठाधीशों ने हिस्टीरियाई अंदाज़ में ही दिल्ली में यह राग अलापना शुरू किया कि जिज्जी ने यूपी में कांग्रेस में जान फूंक दी है। जबकि जिस नज़ारे का सचित्र विवरण आप को दे रहा हूं वो नज़ारा बता रहा है कि जिज्जी ने कांग्रेस में जान फूंकी है या कांग्रेस ही फूंक दी है?
अंत में यह जरूर बताना चाहूंगा कि केवल राजधानी लखनऊ में ही कांग्रेस के कम से कम दर्जन भर ऐसे नेताओं को जानता हूं जिनकी जनता में ठीकठाक व्यक्तिगत साख और धाक है। लेकिन कांग्रेस में जान फूंकने के जिज्जी के मास्टर प्लान में वो नेता लल्लू भइय्या की तरह सेट और फिट नहीं हो पाए।
इसका नतीजा लल्लू भइय्या के इस ऐतिहासिक धरने में उमड़े अपार जनसैलाब के रूप में सामने आ रहा है।
जिज्जी(प्रियंका) ने कांग्रेस में जान फूंकी है या कांग्रेस ही फूंक दी है?

उन्नाव रेप पीड़िता के साथ हुई दुर्घटना पर जिज्जी यानि प्रियंका वाड्रा ने अपनी दिल्ली वाली ट्विटरिया तोप से योगी महाराज की सरकार के खिलाफ मौखिक बमों की बरसात की। जिज्जी के सेनापति लल्लू भइय्या ने उन बमों को लखनऊ में लपक लिया और योगी सरकार के खिलाफ धरती हिलाने, आसमान उठाने का ऐलान कर डाला। इसके साथ ही उत्तरप्रदेश की सरकार की ईंट से ईंट बजा देने, उत्तरप्रदेश सरकार को हिला देने के दावे के साथ जिज्जी के जांबाज सिपहसालार लल्लू भइय्या धरने पर बैठ गए।
उत्तर प्रदेश सरकार हिला देने का दावा करके धरने पर बैठे लल्लू भइय्या के धरने पर कैसा जनसैलाब उमड़ा, और आज सवेरे कितनी प्रचण्ड जनसुनामी उमड़ी? उपरोक्त चित्र में देखा जा सकता है।
2 दिन पूर्व उन्नाव रेप पीड़िता के साथ हुई दुर्घटना के खिलाफ इस ऐतिहासिक ज़ंग की ऐसी अभूतपूर्व शुरुआत करने वाले "लल्लू भइय्या" यूपी में जिज्जी के हर कार्यक्रम तथा जिज्जी के मीडिया आधारित/आश्रित हिमालय से "ऊंचे और बड़े" लेकिन केवल मौखिक और कागज़ी आंदोलनों में जिज्जी के साये और सेनापति की भूमिका निभाते हैं। इसीलिए सोनभद्र काण्ड के बाद मिर्जापुर में कैमरों के सामने गरजती जिज्जी की फोटुओं के हर फ्रेम में लल्लू भइय्या जरूर डटे दिखाई दिए थे।
जिज्जी की पसंद और आदेश पर ही अजय सिंह लल्लू उर्फ "लल्लू भइय्या' को यूपी में कांग्रेस विधानमंडल दल का नेता बना दिया गया था। योगी सरकार के खिलाफ "लल्लू भइय्या" आसमान उठाने और धरती हिलाने का दावा नियमित रूप से उसी तरह करते रहते हैं, जिस तरह कोई मरीज अपनी दवा नियमित रूप से खाता है, उसे खाना कभी नहीं भूलता है।
इस ताज़े उदाहरण के साथ इसलिए लिखी क्योंकि कल से लुटियनिया मीडिया के मठाधीशों, विशेषकर न्यूजचैनलों और अंग्रेज़ी मीडिया के मठाधीशों ने हिस्टीरियाई अंदाज़ में ही दिल्ली में यह राग अलापना शुरू किया कि जिज्जी ने यूपी में कांग्रेस में जान फूंक दी है। जबकि जिस नज़ारे का सचित्र विवरण आप को दे रहा हूं वो नज़ारा बता रहा है कि जिज्जी ने कांग्रेस में जान फूंकी है या कांग्रेस ही फूंक दी है?
अंत में यह जरूर बताना चाहूंगा कि केवल राजधानी लखनऊ में ही कांग्रेस के कम से कम दर्जन भर ऐसे नेताओं को जानता हूं जिनकी जनता में ठीकठाक व्यक्तिगत साख और धाक है। लेकिन कांग्रेस में जान फूंकने के जिज्जी के मास्टर प्लान में वो नेता लल्लू भइय्या की तरह सेट और फिट नहीं हो पाए।
इसका नतीजा लल्लू भइय्या के इस ऐतिहासिक धरने में उमड़े अपार जनसैलाब के रूप में सामने आ रहा है।
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