गाय काटना हमारा फर्ज; हम जहाँ खड़े वही मस्जिद, वहीं पढ़ेंगे नमाज: शरजील

शरजील इमाम, मस्जिद
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
संशोधित नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के नाम पर भारत के ‘टुकड़े-टुकड़े’ करने की बातें करने वाले शरजील इमाम को लेकर कई बड़े खुलासे हो रहे हैं। जैसे-जैसे पूछताछ की प्रक्रिया आगे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे उसकी जिहादी मानसिकता और अच्छी तरह सामने आ रही है। अब पता चला है कि उसने मस्जिदों में भड़काऊ पर्चे बँटवाए थे। उसने सीएए और एनआरसी को लेकर कई पैम्पलेट तैयार किए थे, जिनमें भयभीत करने वाली भड़काऊ बातें लिखी हुई थी। उन पर्चों की प्रति भी जब्त कर ली गई है और उस दुकान को भी चिह्नित कर लिया गया है, जहाँ उन्हें छपवाया गया था।
दिल्ली में केजरीवाल सरकार का हारना देशहित में 
जिस तरह शरजील के बयान आ रहे हैं, वह देशहित में नहीं। जब हम देश की गुप्तचर एजेंसीज और RAW के वर्तमान एवं सेवानिर्वित अधिकारियों की बातों का मन्थन करने पर कई बातें निकलकर आती हैं। कई बातें सुनकर होश ही उड़ जाते हैं। अगर केजरीवाल ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में देश-विरोधी नारे लगाने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करने की इजाजत दे दी होती, कोई शाहीन बाग़ एवं प्रदर्शन नहीं होता। यदि दिल्ली की जनता मुफ्तखोरी की चाहत से बाहर निकल CAA विरोधियों को चुनावों में चारों खाने चित करते हैं, उसके बहुत दूरगामी परिणाम होंगे। इसका प्रभाव केवल दिल्ली ही नहीं, समस्त भारत पर पड़ेगा। जब तक केजरीवाल सत्ता में रहेगा, देश इन अलगाववादियों को झेलने के लिए मजबूर होता रहेगा। प्रमाण देखिए: अलीगढ में भड़काऊ भाषण देकर भागा मुंबई से गिरफ्तार हुआ डॉ कफील का यह कहना,"मुझे यूपी मत भेजना", स्पष्ट कर रहा है कि भाजपा दंगाइयों और अलगाववादियों पर पहाड़ बन टूट रही है। सुरक्षा अधिकारियों का मानना है कि पिछली सरकारों ने जितना इन एजेंसीज को कमजोर किया था, मोदी सरकार ने उससे कहीं अधिक इन्हे मजबूत किया है। जब तक दिल्ली में केजरीवाल सरकार रहेगी, पता नहीं कितने शरजील, उमर खालिद और कन्हैया कुरकुरमुते की तरह अराजकता पैदा करते रहेंगे। अगर केजरीवाल ने जेएनयू में देश-विरोधी नारे लगाने वालों के विरुद्ध सख्ती दिखाई होती, दिल्ली ही देश में शांति रह रही होती।  
जिन्ना बनना चाहता था शरजील इमाम: मस्जिदों में बँटवाए थे भड़काऊ पर्चे 
पुलिस ने शरजील इमाम के जहानाबाद स्थित घर से उससे जुड़ी कई चीजों को जब्त किया है। दिल्ली के वसंत कुंज में भी उसने किराए पर फ्लैट ले रखा था। वहाँ से उसका एक कंप्यूटर और एक लैपटॉप जब्त किया गया। उसके मोबाइल फोन को भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है। उधर शुक्रवार (जनवरी 31, 2020) को ही अलीगढ़ पुलिस ने शरजील के ख़िलाफ़ वारंट जारी किया। इसके बाद उसे अलीगढ़ ले जाकर पूछताछ किए जाने की सम्भावना है। शरजील फ़िलहाल दिल्ली पुलिस के शिकंजे में है।
शरजील के ख़िलाफ़ जारी वारंट को तिहाड़ जेल में दाखिल किया जाएगा, जिसके बाद उसे यूपी ले जाया जाएगा। वहाँ की सिविल लाइन्स पुलिस में उसके ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज किया गया है। दिल्ली में भी वह इसी आरोप के तहत कार्रवाई का सामना कर रहा है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के साथ पूछताछ में शरजील स्वीकार कर चुका है कि उसके जो विवादित वीडियो वायरल हुए हैं, उनके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है और उसमें उसका ही बयान है। शरजील जेएनयू से रिसर्च कर रहा था।

शरजील इमाम के जामिया हिंसा से भी लिंक हो सकते हैं। इस सम्बन्ध में भी उसके साथ पूछताछ की जा रही है। उसके पास से कई संदिग्ध फोन नंबर मिले हैं, जिनकी एक-एक कर जाँच की जा रही है। शरजील इमाम ने पूरे नॉर्थ-ईस्ट को शेष भारत से अलग करने का बयान दिया था। साथ ही उसने महात्मा गाँधी को फासिस्ट नेता बताया था और गोहत्या की वकालत की थी।
शरजील इमाम के बारे में यह भी पता चला है कि वह मुहम्मद अली जिन्ना के उन हथकंडों का फैन था, जिनका इस्तेमाल कर के देश का बँटवारा किया गया था। वह ख़ुद भी जिन्ना की तरह बनना चाहता था। वह पाकिस्तान के विभाजन की नींव रखने वाले मोहम्मद इक़बाल का भी प्रशंसक है। अब उसके गैजेट्स खंगालने के बाद उसके बारे में और बातें पता चलेंगी।
शरजील इमाम, गोरक्षा
 गाय काटना हमारा फर्ज; हम जहाँ खड़े वही मस्जिद, वहीं पढ़ेंगे नमाज: शरजील
शाहीन बाग़ के मुख्य साज़िशकर्ता शरजील इमाम का एएमयू का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उसने महात्मा गाँधी को बीसवीं सदी का सबसे फासिस्ट नेता बताया था क्योंकि वो ‘राम राज्य’ की बातें करते थे। शरजील ने पूरे उत्तर-पूर्व को शेष भारत से अलग कर के ‘टुकड़े-टुकड़े’ की मंशा जाहिर की थी। शरजील ने वामपंथी संगठनों को लताड़ते हुए सीपीएम को एक हिंसक पार्टी करार दिया था। असम को लेकर दिए गए उसके भड़काऊ बयान के कारण उसके ख़िलाफ़ कई केस दर्ज हुए। जहानाबाद स्थित उसके पैतृक निवास पर केंद्रीय एजेंसियों ने छापेमारी की, जिसके बाद पता चला कि वो फरार हो गया है।
शरजील ने एएमयू में बोलते हुए कहा था कि मुस्लिमों ने मुस्लिम लीग के अभ्युदय से पहले कभी भी कॉन्ग्रेस ने वोट नहीं किया। उसने कई इस्लामी दलों के नाम गिनाते हुए कहा कि आज़ादी से पहले भी मुस्लिम कॉन्ग्रेस को वोट नहीं देते थे। शरजील ने आरोप लगाया कि मुस्लिमों के कत्लेआम आज़ादी से पहले ही चालू हो गए थे। उसने कॉन्ग्रेस पर आरोप लगाया कि जो उलेमा पार्टी के ख़िलाफ़ थे, उन्हें बदनाम किया गया और अंग्रेजों का एजेंट ठहरा दिया गया।
शरजील इमाम ने इस दौरान गोरक्षा पर भी बात की। उसने दावा किया कि गोरक्षा का मुद्दा 1890 से काफ़ी हिंसक तरीके से चल रहा है। शरजील का मानना है कि आजमगढ़ क्षेत्र में गोरक्षा के नाम पर पहला हमला किया गया और बाद में पंजाब के शहरी इलाक़ों से होते हुए ये ट्रेंड कई ग्रामीण क्षेत्रों में फैला। शरजील के आँकड़ों की मानें तो भारत में अधिकतर मुस्लिम शहरी क्षेत्रों में रहते हैं और अकेले यूपी में 30% से अधिक मुसलमान अर्बन इलाक़ों में रहते हैं।
शरजील ने कहा कि जिन ग्रामीण क्षेत्रों में मुस्लिमों की जनसंख्या ज़्यादा है, वहाँ गोरक्षा जैसी चीजें आसानी से नहीं चल पातीं। उसने दावा किया कि जहाँ आमने-सामने की लड़ाई हो, वहाँ गोरक्षा वाले हमला नहीं कर पाते हैं। शरजील ने इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा:
“आज़ादी से पहले हमले उन्हीं इलाक़ों में हुए, जहाँ मुस्लिमों की जनसंख्या कम थी। जहाँ ज्यादा आबादी थी, वहाँ हमले नहीं हुए। गोरक्षा का असली खतरनाक चेहरा ईस्टर्न यूपी के देहातों में नज़र आया है, क्योंकि यहाँ मुस्लिमों की आबादी कम है। बिहार में भी ऐसा ही हुआ। गोरक्षा की एंट्री भारत में खिलाफत से है, जब मौलानाओं ने कहा कि तुम खिलाफत में हमारी मदद करो, हम गोरक्षा में करेंगे। मुशरिक के दबाव में बोला जा रहा है कि वो गोकशी न करें। अहमद रज़ा ख़ान बरेलवी ने ऐसा ही कहा था।”
शरजील इमाम का इशारा मुशरिक से हिन्दुओं की तरफ था, जो एक अल्लाह की पूजा नहीं करते। गोरक्षा को लेकर शरजील ने कहा कि इस पर किसी भी प्रकार के समझौते की ज़रूरत नहीं है। उसने कहा कि मौलाना आज़ाद जैसे लोगों ने गोरक्षा का समर्थन किया, जो आज हमारे लिए ज़हर बन गया है। उसने मौलाना अहमद रज़ा ख़ान के हवाले से कहा कि मुसलमान एक खाना ज्यादा दिन तक नहीं खा सकता और कई दिनों तक लगातार खिलाया जाए तो वो उस भोजन से नफरत करने लगता है। उसने आगे कहा कि गाय का गोश्त ही एक ऐसा है, जिसे मुस्लिम कितना भी खाए, बोर नहीं होता।
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अरफा खानुम किस प्रकार प्लान बता रही है वो आपको गौर से सुनना चाहिए, इन दिनों कट्टरपंथी तत्व जो तिरंगा लहरा रहे है, राष्ट्रगान गा रहे है वो इनकी स्ट्रेटेजी का हिस्सा है, सुनिए क्या कहती है अरफा।
इस देश में काफी सारे सेक्युलर हिन्दू अरफा खानुम और इनके जैसे लोगों का मोदी विरोध में जमकर साथ दे रहे है, अरफा खानुम इन सेकुलरों के सामने तो भाईचारे, दलित, आदिवासी की बात करती है, पर मुस्लिम भीड़ के आगे वो पूरी प्लानिंग समझाती है।
अरफ़ा की इस बात से देश समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्षों को अपनी आंखें खोलने चाहिए, जो सेकुलरिज्म का हर वक़्त राग अलापते रहते हैं। वास्तव में हिन्दुओं का छद्दम धर्म-निरपेक्षों द्वारा मूर्ख ही बनाया जा रहा, बल्कि ये लोग स्वयं गजवा हिन्द बनाने में इन कट्टरपंथी स्लीपर सैल्स की मदद कर, भारत को पुनः गुलाम बनाने की ओर धकेल रहे हैं, जो अरफ़ा के बयानों से स्पष्ट झलक रहा है।

शरजील कहता है कि हिन्दू लोग मुस्लिमों के घरों में और डाइनिंग रूम में घुस चुके हैं। वो इसके लिए भी महात्मा गाँधी को जिम्मेदार ठहरता है और उन मौलानाओं को भी, जिन्होंने गाँधी जी का समर्थन किया। शरजील इतिहास को फिर से लिखने की बात करता है, ताकि मुस्लिमों का अपना इतिहास हो। उसने बताया कि इतिहास की किताबों से उसका भरोसा कब का उठ चुका है। शरजील ने आरोप लगाया कि जामिया में सड़क पर नमाज पढ़ने से मुस्लिमों को रोका गया। साथ ही उसने पूछा कि क्या एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी में नमाज़ भी नहीं पढ़ सकते?
उसने साथ ही पंडितों को भी निशाना बनाया। शरजील का कहना था कि नमाज़ मुस्लिमों के लिए आवाम का मामला है जबकि हिन्दुओं में किसी पंडित को बैठा कर पूजा करा दिया जाता है। शरजील ने कहा, “हिन्दुओं में तो होगा कोई पंडित जो बैठ कर उनके लिए पूजा कर रहा होता है।” उसे पूछा कि किस हिन्दू को दिन में 5 बार पूजा करनी होती है? उसने नामज़ को डेली रूटीन बताते हुए कहा कि मस्जिद दूर हो तो मुस्लमान कहीं भी खड़े होकर नमाज पढ़ेगा।

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