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मनोज कोठारी (फोटो साभार: The News Minute) |
क्या कोरोना व्यापार का नया नाम बन गया है? कोरोना के इस कालखंड में जितनी लूट मची हुई है, जो सरकारी दावों को धता दिखा रहे हैं और सरकार भी हाथ पर हाथ रखे बैठी है। लॉक डाउन में हर चीज महँगी। जून 21 को आप नेता संजय सिंह न्यूज़18 पर लाइव शो में कहते हैं कि हमने 5000-5000 रूपए बांटे, लेकिन प्राप्त सूचना के अनुसार दिल्ली में बंटे 2000-2000 रूपए यानि जिसका जहाँ दांव लगा, किसी ने लूट का कोई मौका नहीं छोड़ा। सरकार ने लॉक डाउन अवधि में किसी को नौकरी से न निकालने को कहा, हाँ, इस दौरान तो नहीं, अनलॉक होते ही, छंटनी शुरू हो गयी, मकान मालिक किराये की मांग करने लगे। प्राइवेट हॉस्पिटलों द्वारा की जा रही लूट पर अंकुश लगाने पर जनता की सहानुभूति बटोरने के लिए खूब शोर मचाया, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। देखिए:-
हैदराबाद का यशोदा हॉस्पिटल। यशोदा हॉस्पिटल में कोरोना वायरस से संक्रमित मनोज कोठारी का इलाज। मनोज कोठारी को हॉस्पिटल से 4.21 लाख रुपए का बिल। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से मनोज कोठारी का बीमा। लेकिन भुगतान सिर्फ 1.2 लाख रुपए का ही।
इंश्योरेंस कपनी का बहाना- कोविड-19 के इलाज के लिए तेलंगाना सरकार ने जितना प्राइस फिक्स किया है, भुगतान सिर्फ उतने का ही। नतीजा- 47 साल के मनोज कोठारी कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक होने के बावजूद हॉस्पिटल में 29 जून से जबरन रहने को मजबूर।
मनोज 20 जून को यशोदा हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। उन्होंने आरोप लगाया, “29 जून को मैं ठीक हो गया और हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करने के लिए बोल दिया गया। लेकिन उसी 29 जून से मैं यहीं हॉस्पिटल में लगभग कैद हूँ। ना तो किसी से मिल पा रहा हूँ न ही किसी से बात करने दिया जा रहा है। अगर मुझे कुछ हो गया तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा?” मनोज को बताया गया कि जब वो बाकी रकम का भुगतान करेंगे तो उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
सरकारी दर
मनोज कोठारी का यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से 5 लाख रुपए का बीमा है। फिर 4.21 लाख रुपए के बिल के पेमेंट में क्या दिक्कत है? यहाँ बिल और पेमेंट में सरकारी दर का पेंच फँस गया है। इंश्योरेंस कंपनी के अनुसार तेलंगाना सरकार ने जो दर तय किया है, वो सिर्फ उसी का भुगतान करेगी। हॉस्पिटल जहाँ मनोज भर्ती हुए, उसका कहना है कि वो बाकी रकम खुद से जमा करें और घर जाएँ। बाद में इंश्योरेंस कंपनी से सेटलमेंट अमाउंट ले लें।
यशोदा हॉस्पिटल ने हालाँकि इस मुद्दे पर यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को संपर्क भी किया। अपने लेटर में हॉस्पिटल ने यह तर्क भी दिया कि कोरोना के उपचार के लिए तेलंगाना सरकार ने जो दर तय किया है, वो दर बीमार व्यक्ति के खुद के भुगतान के लिए है, न कि किसी इंश्योरेंस कंपनी द्वारा मेडिकल बीमा लिए हुए व्यक्ति के भुगतान के लिए। हॉस्पिटल के इस पत्र का जवाब अभी तक इंश्योरेंस कंपनी ने नहीं दिया है।
परिवार के 2 और सदस्य संक्रमित
मनोज कोठारी पर यह परेशानी अकेले नहीं आई है। उनके परिवार के 2 और लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। अफसोस यह कि उन दोनों का इलाज भी इसी यशोदा हॉस्पिटल में ही चल रहा है। मनोज कहते हैं, “मुझे डर है कि पेमेंट वाली बात उनके साथ भी हो सकती है। मैं तेलंगाना के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से अपील करता हूँ कि महामारी के इस दौर में इंश्योरेंस कंपनियों और बड़े कॉर्पोरेट हॉस्पिटलों में चल रही लूट पर लगाम लगाएँ।”
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने इस मामले पर अपनी राय रखी है। इंश्योरेंस कंपनी ने बताया कि यही दिक्कत अन्य कॉरपोरेट हॉस्पिटलों से भी रिपोर्ट की गई है। इसका कारण कंपनी ने यह बताया कि तेलंगाना सरकार ने कोविड-19 के इलाज के लिए सामान्य कॉरपोरेट दरों से 70-80 प्रतिशत की कम दरों पर हॉस्पिटल सुविधाओं को तय कर दिया है। इससे कॉरपोरेट हॉस्पिटल और इंश्योरेंस कंपनियों के बीच भुगतान को लेकर समस्या आ रही है।
मनोज कोठरी एक नाम हैं। इनकी जगह रमेश, जॉर्ज या संगीता भी हो सकते हैं। ये 5 लाख रुपए का इंश्योरेंस लेते हैं। कमाई में से कुछ बचा कर उसका प्रीमियम भी भरते हैं। यह सोच कर कि कुछ होगा तो हॉस्पिटल और इंश्योरेंस कंपनी बचा लेंगे। लेकिन कागजों में या सरकारी पेंच में या नियम व शर्तें लागू जैसी चीजें धरातल पर इनकी जिंदगी आसान नहीं बल्कि तकलीफदेह बना देती है।
मनोज ने इसके लिए कानूनी रास्ते पर चलने की ठानी। उन्होंने इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। खुद पैसे देकर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के रास्ते को उन्होंने इनकार कर दिया। एक तरह से सत्याग्रह वाला रास्ता… कॉर्पोरेट से लड़ाई का शायद और कोई रास्ता भी नहीं!
1 दिन के मॉंगे ₹1.15 लाख, बना रखा है बंधक
हैदराबाद से एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक कोरोना संक्रमित महिला डॉक्टर ने आरोप लगाया है कि एक निजी अस्पताल ने उन्हें एक दिन के लिए 1.15 लाख रुपए का बिल थमा दिया। इतना भुगतान नहीं करने पर उन्हें बंधक बनाकर रखा गया है।
आरोप लगाने वाली महिला खुद डॉक्टर हैं। वे फीवर हॉस्पिटल में बतौर सर्जन कार्यरत हैं। एक सेल्फी वीडियो में उन्होंने यह आरोप लगाए हैं। यह वीडियो वायरल हो रहा है।
वीडियो में उन्होंने दावा किया है कि उनका तरीके से उपचार नहीं किया गया और उन्हें डिस्चार्ज नहीं किया जा रहा है। वे कहती हैं, “कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद घर पर ही अपना इलाज कर रही थीं और होम क्वारंटाइन में थीं। 1 जुलाई को आधी रात सॉंस की समस्या के बाद वे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हुईं।”
वे कहती हैं, “मैं खुद कोरोना वारियर हूँ और ये लोग एक दिन के लिए मुझसे 1.15 लाख रुपए चार्ज कर रहे हैं। मैं डायबिटिक हूँ फिर भी मुझे यहाँ सही उपचार नहीं मिल रहा है। यह लोग मुझे पर झूठे आरोप भी लगा रहे हैं। मैं मुश्किल में हूँ, मैंने 40 हज़ार रुपए दिए हैं फिर भी इन्होंने मुझे बंद करके रखा है।” उन्होंने इस बाबत पुलिस से भी शिकायत भी दर्ज कराई है।
Doctor, who had tested #COVID19 positive, accuses private hospital in Hyderabad of overcharging and detaining her over non-payment of medical bill— Press Trust of India (@PTI_News) July 5, 2020
Didn’t this Doctor listen our PM’s speech, Atmanirbhar Bharat!— RKS (@rksingh2021) July 5, 2020
Consequences of privatisation of health services— privatisation जनता बदहाल- नेता खुशहाल! (@Skg1046) July 5, 2020
It’s a very broad malaise. No point in blaming any 1 party. Private hospitals r built on huge borrowings. The doctors are given daily targets. Further there are other considerations. It needs to be addressed holistically. Else it will be treating the symptoms only. Not root cause— adnauseam (@adinfinitum68) July 5, 2020
वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए फीवर हॉस्पिटल के मुखिया डॉक्टर के शंकर ने कहा, “उन्हें पहले ही बताया गया था कि सरकार ने कोरोना वायरस से प्रभावित होने वाले फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स के लिए अलग से इंतजाम किए हैं। लेकिन उन्होंने इसकी जानकारी अपने सीनियर अधिकारियों को दी बिना ही खुद को एक निजी अस्पताल में भर्ती करा लिया।”
उन्हें घटना की जानकारी तब हुई जब महिला का वीडियो एक स्थानीय समाचार चैनल पर दिखाया जा रहा था। इसके ठीक बाद उन्होंने वहाँ के रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर से कहा कि वह जल्द अस्पताल जाकर भुगतान सम्बन्धी विवाद को खुद देखें और महिला को डिस्चार्ज कराएँ। अस्पताल पहुँच कर उन्हें पता चला कि महिला पहले डिस्चार्ज की जा चुकी हैं। फिलहाल आइसोलेशन में है और उनकी स्थिति सामान्य है। शंकर ने यह भी बताया कि वह ड्यूटी के दौरान कोरोना से प्रभावित नहीं हुई थीं।
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