शिवसेना के सांसद संजय राउत ने जुलाई 21, 2020 को कहा कि पार्टी प्रमुख एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राम मंदिर ‘भूमि पूजन’ के लिए निश्चित तौर पर अयोध्या जाएँगे। वहीं गठबंधन के सहयोगी एनसीपी के मजीद मेमन ने शिवसेना को सलाह दी है कि उन्हें किसी विशेष(हिन्दू) धर्म की गतिविधि को बढ़ावा देने से बचना चाहिए।
मजीद मेनन ने जुलाई 21 को इस पर अपनी आपत्ति जताते हुए ट्वीट किया, “राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए आमंत्रित लोगों में उद्धव ठाकरे भी हैं। वह कोविड-19 की वजह से लागू पाबंदियों का सम्मान करते हुए अपनी निजी हैसियत से उसमें हिस्सा ले सकते हैं। एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के मुखिया को किसी खास धर्म की गतिविधियों को बढ़ावा देने से बचना चाहिए।”
ऐसा आभास होता है कि शायद मजीद और इनके अन्य समर्थकों ने भारत का संविधान नहीं पढ़ा। शपथ जरूर संविधान को मानने की ली, परन्तु संविधान को खोलकर पढ़ने का समय नहीं, क्योकि फिरकापरस्ती का जहर फ़ैलाने से ही फुर्सत नहीं, जो धर्म-निरपेक्षता का ज्ञान हो। क्या किसी हिन्दू का अपने आराध्य श्रीराम के किसी भी कार्यक्रम में शामिल होने से साम्प्रदायिकता फैलती है। कहाँ लिखा है संविधान में? इतने वर्षों से देश में फिरकापरस्ती का जहर फैलाकर बेगुनाह हिन्दू-मुसलमानों का खून बहाकर अपनी राजनीति चमकाने के अलावा और क्या काम किया है? समय आ गया है, अपनी फिरकापरस्त जहनियत को दफ़न कर, भारत के हर नागरिक को सकून से खाने-कमाने दो।
शिवसेना के मुखर प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि उद्धव ठाकरे निश्चित रूप से समारोह में शामिल होंगे, क्योंकि उनकी पार्टी ने राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया और मंदिर निर्माण में बाधाएँ दूर कीं।
महा विकास अघाड़ी की सरकार में बराबर अनबन की खबरें सामने आती रहती है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने महा विकास अघाड़ी में गठबंधन सहयोगियों के बीच दरार को नकारते हुए कहा कि गठबंधन के तीन राजनीतिक दलों की अलग-अलग विचारधाराएँ हैं, लेकिन वे कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर काम करते हैं।
शिवसेना नेता ने कहा, “जब गठबंधन सरकार बनती है तो एक समन्वय समिति की स्थापना होती है। इससे सरकार को काम करने में आसानी होती है। उन्होंने कहा कि हमारी तीन पार्टियों की सरकार है और तीनों की ही विचारधाराएँ अलग-अलग हैं। हमने कभी नहीं कहा कि हमारा किसी मुद्दे पर एक राय होगा। हम कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत काम करते हैं।”
इससे पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि कुछ लोग सोचते हैं कि राम मंदिर बनाने से कोरोना खत्म हो जाएगा, अभी कोरोना वायरस से जंग लड़ने की जरूरत है।
मंदिर निर्माण को लेकर गरमाई राजनीति के बीच शिवसेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय राउत का बयान सामने आया था। उन्होंने कहा था, “हमें अयोध्या जाने के लिए किसी के निमंत्रण की आवश्यकता नहीं है, हम बार-बार अयोध्या जाते रहे हैं। राम मंदिर निर्माण के बीच जो भी बाधाएँ आई थीं, शिवसेना ने उन्हें रास्ते से साफ करने का काम किया है।”
‘भूमि पूजन’ समारोह उत्तर प्रदेश के अयोध्या में होने वाला है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 अगस्त को इसमें शामिल होने की संभावना है। इस समारोह की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई अन्य आमंत्रित सदस्य करेंगे। हालाँकि, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने अभी तक उनकी यात्रा की पुष्टि नहीं की है।
मजीद मेनन ने जुलाई 21 को इस पर अपनी आपत्ति जताते हुए ट्वीट किया, “राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए आमंत्रित लोगों में उद्धव ठाकरे भी हैं। वह कोविड-19 की वजह से लागू पाबंदियों का सम्मान करते हुए अपनी निजी हैसियत से उसमें हिस्सा ले सकते हैं। एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के मुखिया को किसी खास धर्म की गतिविधियों को बढ़ावा देने से बचना चाहिए।”
Uddhav Thakrey is among invitees for bhoomi pujan of Ram Temple. He may participate respecting Covid 19 restrictions in his personal capacity. The head of a secular democracy should refrain from promoting a particular religious activity..— Majeed Memon (@advmajeedmemon) July 21, 2020
Right.— AbdulKader عبدالقادر (@AbdulkaderMB) July 21, 2020
Uddhav Thakarey must restrained himself attending such kind of illegal gathering (the same site where Babri Masjid was demolished cowardly), while heading the secular coalition government in Maharashtra.
Sir, India is not a secular democracy.— Vishhy Challa #ISupportAtmaNirbharBharat (@vishhy) July 21, 2020
All political parties practise Minority Appeasement. Minorities have special rights/benefits in the Constitution & can also play victim card.
Let Constitution first treat all Indians equally, then we can talk of a secular democracy.
🇮🇳🙏🇮🇳 pic.twitter.com/Q6W4GBkot6
Where were you when heads of secular democracy were sending Chadar to Ajmer. We reject Congress and NCP brand of secularism which is pseudo secularism.— #Savarkar Satish (@sat_gollapudi) July 21, 2020
Thy hve every right always cry minorities no freedom never see muslims satisfied in anything got own country half gone others want freedom India demands only wht will mke thm.satisfied happy never in own country others countries Hindus anywhere in the world never demand adjust— Krishnamei (@Anju1951Purohit) July 21, 2020
And what abt the countless iftaar parties all sorts of politicians attend...secularism in india has sadly become a one way street— PD (@PRANAV_DOSHI) July 21, 2020
I totally agree Sir. Will you say the same to Mr. Pawar? pic.twitter.com/IMP0nD9cGp— Apoorva (@lemonade_inlife) July 21, 2020
ऐसा आभास होता है कि शायद मजीद और इनके अन्य समर्थकों ने भारत का संविधान नहीं पढ़ा। शपथ जरूर संविधान को मानने की ली, परन्तु संविधान को खोलकर पढ़ने का समय नहीं, क्योकि फिरकापरस्ती का जहर फ़ैलाने से ही फुर्सत नहीं, जो धर्म-निरपेक्षता का ज्ञान हो। क्या किसी हिन्दू का अपने आराध्य श्रीराम के किसी भी कार्यक्रम में शामिल होने से साम्प्रदायिकता फैलती है। कहाँ लिखा है संविधान में? इतने वर्षों से देश में फिरकापरस्ती का जहर फैलाकर बेगुनाह हिन्दू-मुसलमानों का खून बहाकर अपनी राजनीति चमकाने के अलावा और क्या काम किया है? समय आ गया है, अपनी फिरकापरस्त जहनियत को दफ़न कर, भारत के हर नागरिक को सकून से खाने-कमाने दो।
शिवसेना के मुखर प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि उद्धव ठाकरे निश्चित रूप से समारोह में शामिल होंगे, क्योंकि उनकी पार्टी ने राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया और मंदिर निर्माण में बाधाएँ दूर कीं।
महा विकास अघाड़ी की सरकार में बराबर अनबन की खबरें सामने आती रहती है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने महा विकास अघाड़ी में गठबंधन सहयोगियों के बीच दरार को नकारते हुए कहा कि गठबंधन के तीन राजनीतिक दलों की अलग-अलग विचारधाराएँ हैं, लेकिन वे कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर काम करते हैं।
शिवसेना नेता ने कहा, “जब गठबंधन सरकार बनती है तो एक समन्वय समिति की स्थापना होती है। इससे सरकार को काम करने में आसानी होती है। उन्होंने कहा कि हमारी तीन पार्टियों की सरकार है और तीनों की ही विचारधाराएँ अलग-अलग हैं। हमने कभी नहीं कहा कि हमारा किसी मुद्दे पर एक राय होगा। हम कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत काम करते हैं।”
इससे पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि कुछ लोग सोचते हैं कि राम मंदिर बनाने से कोरोना खत्म हो जाएगा, अभी कोरोना वायरस से जंग लड़ने की जरूरत है।
मंदिर निर्माण को लेकर गरमाई राजनीति के बीच शिवसेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय राउत का बयान सामने आया था। उन्होंने कहा था, “हमें अयोध्या जाने के लिए किसी के निमंत्रण की आवश्यकता नहीं है, हम बार-बार अयोध्या जाते रहे हैं। राम मंदिर निर्माण के बीच जो भी बाधाएँ आई थीं, शिवसेना ने उन्हें रास्ते से साफ करने का काम किया है।”
‘भूमि पूजन’ समारोह उत्तर प्रदेश के अयोध्या में होने वाला है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 अगस्त को इसमें शामिल होने की संभावना है। इस समारोह की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई अन्य आमंत्रित सदस्य करेंगे। हालाँकि, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने अभी तक उनकी यात्रा की पुष्टि नहीं की है।
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