दिल्ली हिन्दू विरोधी दंगा : इस्लामी देश बनाना चाहता था भारत को’ – जामिया छात्र आसिफ इक़बाल का कबूलनामा

आसिफ इकबाल तन्हा
गिरफ्तार आसिफ इकबाल तन्हा (साभार: सियासत)
जैसे-जैसे नागरिकता संशोधक कानून की आड़ में हुए दिल्ली में हिन्दू विरोधी दंगों की जाँच आगे बढ़ रही है, दंगाइयों के नापाक मंसूबे उजागर होने पर उन समस्त हिन्दुओं को शर्म आनी चाहिए, जो चंद सिक्कों और मुफ्त की कोरमा, बिरयानी  की खातिर उन्हीं के कंधे सवार होकर उन्हीं के विनाश का खेल खेल रहे थे। 
शंका है, जो लोग हिन्दू विरोधी षड्यंत्र को राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर स्वांग रच रहे थे, बकरा या चिकन के साथ उस मांस को मिश्रित कर दिया हो, जो हिन्दुओं में प्रतिबंधित है। इनकी नापाक हिन्दू विरोधी हरकतों से ये लालची हिन्दू तब भी नहीं चेते, जब प्रदर्शनों और धरनों में हिन्दू एवं हिन्दुत्व विरोधी नारे लग रहे थे। और लालची हिन्दू गंगा-जमुनी तहजीब और सेकुलरिज्म जैसे भ्रमिक नारों की आड़ में अपने ही खिलाफ रची जा रही साज़िश का हिस्सा बन रहे थे। समस्त देशप्रेमी संगठनों को एकजुट होकर इन नारों पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए आवाज़ उठानी चाहिए। शर्म उन नेताओं को भी आनी चाहिए जो संविधान की शपथ लेकर, देश को तोड़ने वालों का समर्थन कर रहे थे/कुछ किसी न किसी प्रकार से अभी भी कर रहे हैं। जनता को चाहिए आने वाले चुनावों में ऐसे नेताओं और उनकी पार्टियों का बहिष्कार कर ईंट का जवाब पत्थर से दें।   
खूब अपना फ्लैट बेचकर लंगर लगाने के स्वांग को मीडिया भी हवा दे रहा था, जबकि पार्टी फण्ड से ख़रीदे फ्लैट को बेचकर ये नौटंकी की गयी थी। इस्लामिक राष्ट्र बनाने वाले साम्प्रदायिक, फिरकापरस्त और शांति के दुश्मन बेचारे गरीब, मजलूम और शांतिदूत इतने शातिर दिमाग के थे कि हिन्दुओं के सामने कुछ बयान और हिन्दुओं के पीछे इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए जद्दोजहद करने पर कवायत की जाती थी। (पढ़िए नीचे दिए लिंक) जब इन हिन्दू विरोधी दंगाइयों को पकड़ा जा रहा था, तब तुष्टिकरण और सेकुलरिज्म का शोर मचा कर Victim Card खेला जा रहा था। इनके समर्थक मुस्लिम होने की सजा देने का जहर फैलाकर वास्तविकता को छुपाने का घिनौना खेल खेल कर देश को गुमराह कर रहे थे। अब किसी की आवाज़ नहीं निकल रही कि इन पर देशद्रोह का केस दर्ज कर सख्त से सख्त सजा दी जाए। लेकिन वोट बैंक के डर से कोई नहीं बोलेगा।  
बहुत शोर मचाया जा रहा था कि "देखो मोदी देश को तोड़ रहा है, बर्बाद कर रहा है, क्या जरुरत थी इस बिल को लाकर कानून बनाने की?" आदि आदि, लेकिन दंगों की जाँच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, असली मंसूबे सामने आ रहे हैं, वैसे तो नीयत प्रदर्शन और धरनों में ही नज़र आ गयी थी, लेकिन मीडिया ने भी अपनी TRP को बनाये रखने के लिए नज़रअंदाज करती रही। मुफ्त में कोरमा, बिरयानी और स्वादिष्ट फलों से भरपूर नाश्ता और दिनभर की दहाडी भी ने इन दंगाइयों का हौंसला आफजाई करती रही। 
UAPA के तहत गिरफ्तार जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा ने पुलिस पूछताछ के दौरान कुछ बड़े खुलासे करते हुए बताया है कि किस तरह से नागरिकता कानून (CAA) और NRC के विरोध के नाम पर उन्होंने लोगों को भड़काने के साथ बसों और घरों को जलाया था। आसिफ इकबाल तन्हा ने कहा कि वो देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता था और इसीलिए हिंदुओं को तंग कर धार्मिक भावनाएँ आहत करने की साज़िश रची।
जी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन (SIO) के सदस्य और जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आरोपित आसिफ इकबाल तन्हा ने पुलिस को दिए बयान में बताया की जब CAA/NRC बिल आया, तो उसे ये बिल मुसलमानों के खिलाफ लगा, जिसके बाद आसिफ इस बिल का विरोध करने के लिए जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ जुड़ गया। आरोपित आसिफ जामिया यूनिवर्सिटी का छात्र है और 2014 से स्टूडेंट इस्लामिस्क ऑर्गेनाइजेशन (SIO) का सदस्य भी है।
दिल्ली पुलिस के हवाले से जी न्यूज़ की इस रिपोर्ट में बताया गया है- “आरोपित आसिफ इकबाल ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि ’12 दिसंबर को हम 2500-3000 लोग जामिया यूनिवर्सिटी के गेट नम्बर 7 पर मार्च कर रहे थे, उसके बाद 13 दिसंबर को शरजील इमाम भड़काऊ भाषण देते हुए चक्का जाम करने की बात कहता है। मैंने खुद लोगों को उकसाया। जामिया मेट्रो से पार्लियामेंट तक मार्च की कॉल दी, जिसमें कई संगठन हमें समर्थन देते हैं। जब हम मार्च कर रहे थे, तो पुलिस ने हमें बैरिकेड लगाकर रोक लिया। तभी मैंने कहा कि तुम आगे बढ़ो, पुलिस की इतनी हिम्मत नहीं, जो हमें रोक ले। फिर इसी दौरान जब हम जबरदस्ती आगे बढ़े, तो पुलिस ने हमें रोक लिया और लाठीचार्ज हुआ, जिसमें पुलिस और छात्रों को चोट भी आई।”
जी न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपित आसिफ इकबाल तन्हा ने कबूलनामे में बताया, “हमने प्लानिंग के तहत 15 दिसंबर को पार्लियामेंट तक मार्च का ऐलान किया, जिसका नाम हमने गाँधी पीस मार्च दिया, ताकि दिखने में ठीक लगे। फिर उसके बाद हम मार्च को जामिया से लेकर जाकिर नगर, बटला हाउस से होते हुए जामिया ले आए। फिर सूर्या होटल के पास पुलिस बैरिकेड लगे थे। हम जबरन बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ गए, पुलिस हमें रोकने की कोशिश की। भीड़ बेकाबू हो गई और पथराव शुरू हो गया। बसों में आग लगा दी जाती है, बहुत दंगा फसाद हो जाता है। इस दौरान JMI के कई छात्र समेत पुलिस वाले घायल हो जाते हैं।”
आरोपित आसिफ इकबाल ने कहा कि जामिया में हुई हिंसा के बाद जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी (JCC) का गठन किया गया था, जिसमें AISA, JSF, SIO, MSF, CYSS, CFI, NSUI जैसे संगठन से जुड़े लड़के शामिल थे। आसिफ ने कहा कि SIO (स्टूडेंट इस्लामिक आर्गेनाईजेशन) के कहने पर उसने दिल्ली से बाहर के अन्य कई राज्यों में भारत सरकार के खिलाफ मुस्लिमों को सड़कों पर उतरने के लिए उकसाया था और जरूरत पड़ने पर हिंसक प्रदर्शन के लिए भी कहा था।
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साभार : यूट्यूब आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार शीर्षक देख आप सोंचगे...
आसिफ इकबाल ने दंगों को लेकर होने वाली फंडिंग पर खुलासा किया कि एलुमिनाई एसोसिएशन ऑफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया (AAJMI) भी इस मूवमेंट में जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी के साथ थी और AAJMI और PFI से ही इस योजना की फंडिंग होती थी।

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