दिल्ली हिन्दू विरोधी दंगा : दंगा भड़काने के पर्याप्त सबूत होने के बाद भी केजरीवाल की ताहिर हुसैन पर देशद्रोह मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं, क्यों?

ताहिर हुसैन, कोर्ट, दंगों
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में इस साल फरवरी में भड़के हिन्दू विरोधी दंगों के मुख्य आरोपित ताहिर हुसैन पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि ताहिर हुसैन के भड़काने पर ही मुस्लिम समुदाय उग्र हुआ और उन्होंने हिन्दू समुदाय के लोगों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। कोर्ट ने अगस्त 21, 2020 को आईबी में कार्यरत रहे अंकित शर्मा की हत्या के मामले में दायर की गई चार्जशीट को संज्ञान में लेते हुए उक्त टिप्पणी की।
हालाँकि, कोर्ट को ये भी सूचित किया गया कि दिल्ली पुलिस अब तक ताहिर हुसैन के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने के लिए सम्बंधित प्राधिकरण से मँजूरी नहीं ले सकी है। यही हाल दिल्ली दंगों के अन्य आरोपितों के मामले में भी है। बता दें कि देशद्रोह का मामला चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को राज्य सरकार से मँजूरी लेनी पड़ती है। अभी तक आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस मामले में मँजूरी नहीं दी है।
केजरीवाल जी जब CAA विरोध में ये हिन्दू विरोधी
नारेबाजी हो रही थी, क्यों चुप रहे?
क्या  आप हिन्दू नहीं?
           साभार :सोशल मीडिया 
मुफ्त की रेवड़ियां खाने वाले हिन्दुओं अब खुले दिमाग और आंख से अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का हिन्दू विरोधी चेहरा देख लो। आखिर क्या कारण है कि ताहिर के विरुद्ध इतने सबूत होने के बावजूद उस पर और उसके साथियों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की अरविन्द केजरीवाल क्यों नहीं दे रहे इजाजत? जब ताहिर का नाम दंगों में आने पर पार्टी से निकाल दिया था, फिर किस कारण दिल्ली पुलिस को इजाजत नहीं दी जा रही? अगर दंगे मुस्लिम विरोधी होते और पुलिस हिन्दुओं के विरुद्ध देशद्रोही मुकदमा चलाने की इजाजत मांगती, क्या तब भी आना-कानी करते? उस स्थिति में तुरंत कार्यवाही करने के लिए पूरी पार्टी जी-जान लगा देती। आखिर ये ड्रामा क्यों? कब तक अपनी नौटंकी से दिल्ली वालों को बेवकूफ बनाकर उनकी लाशों पर मालपुए सेकते रहोगे? क्या नागरिकता संशोधक कानून की आड़ में विरोध प्रदर्शन, धरने और दंगे तुम्हारे इशारे पर हुए थे, अगर नहीं फिर इजाजत में टालमटोल क्यों? यही ड्रामा जेएनयू मुद्दे पर भी किया था। 
दिल्ली में लाल कुआँ में जब मंदिर पर हमला करने के अलावा हिन्दू महिलाओं को घर में घुसकर प्रताड़ित करने पर भी चुप्पी रहे, शर्म करो। मुफ्त की रेवड़ियों के लालच में सही, वोट तुम्हें हिन्दुओं ने भी दिया था। मुख्यमंत्री होते हुए तुम्हें यह भी मालूम होगा की नागरिकता संशोधक कानून के विरोध में हिन्दू विरोधी नारेबाजी होने के साथ, भारत को इस्लामिक बनाने पर काम हो रहा था, जैसाकि पुलिस पूछताछ में आरोपी बता रहे हैं। जिस धर्म-निरपेक्षता की दुहाई दी जा रही है, दंगाइयों का असली चेहरा प्रदर्शनों में उजागर हो गया था, जब हिन्दुओं की गैर-हाजिरी में मुस्लिमों को भारत को इस्लामिक देश बनाने पर काम करने के निर्देश दिए जाते थे, विस्तार से जानने के लिए नीचे दिए लिंक देखिए:-    


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की अक्सर उनकी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति और मुस्लिम आरोपितों के प्रति नरम रुख रखने के कारण आलोचना होती रही है। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने कहा कि दिल्ली सरकार से मँजूरी लेने के लिए कोई निश्चित समयावधि का प्रावधान नहीं है। हालाँकि, वो ये कहने से भी नहीं चूके कि इस मामले की सुनवाई में होने वाली किसी भी प्रकार की देरी उस उद्देश्य को ही गैर-ज़रूरी रूप से ख़त्म कर देगी, जिसके लिए स्पेशल कोर्ट का गठन हुआ।
दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन किया गया था। स्पेशल कोर्ट को दिल्ली दंगों से जुड़े सभी मामलों को संज्ञान में लेने की अनुमति दी गई है। कोर्ट ने कहा कि आरोपित के खिलाफ पर्याप्त सबूत और साक्ष्य हैं, जिससे आरोपितों के खिलाफ ट्रायल (देशद्रोह का) चलाने के लिए अनुमति ली जा सके। जाँच अधिकारी ने कोर्ट को बताया है कि 22 जून को ही इस मामले में अनुमति के लिए पत्र भेज दिया गया है।
कोर्ट ने कहा कि मँजूरी मिलने में कितना समय लगेगा, इस सम्बन्ध में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इन दंगों की तैयारी योजनाबद्ध तरीके से की गई और फिर एक बड़ी साजिश के तहत अंजाम दिया गया। साथ ही ताहिर हुसैन को दंगाई भीड़ का नेता भी करार दिया, जिसके इशारों पर भीड़ ने दंगे किए। कोर्ट ने कहा कि ताहिर हुसैन के भड़काने पर ही मुस्लिम समुदाय ने हिन्दुओं के घरों में आगजनी की और उनके प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया।
24-25 फ़रवरी को चाँदबाग़ पुलिया के नजदीक स्थित मस्जिद के पास से ताहिर हुसैन दंगाई भीड़ का नेतृत्व कर रहा था और अपने छत पर भी दंगाइयों को सामग्रियाँ उपलब्ध कराई, जिससे दूसरे समुदाय की संपत्ति और जान-माल को खासा नुकसान पहुँचा। इस दौरान हसी, नाजिम, कासिफ, समीर, अनस, फिरोज, जाएद, गुलफाम और शोएब जैसे दंगाई उसके साथ शामिल थे। साथ ही भीड़ ने खतरनाक हथियारों से अंकित शर्मा की हत्या कर सबूत मिटाने के उद्देश्य से उनकी लाश को फेंक दिया।
50 पेज की चार्जशीट में ताहिर हुसैन को मुख्य आरोपित बनाया गया है। बताया गया है कि ताहिर हुसैन के भड़काने पर उनकी पीट-पीट कर हत्या की गई थी। उस पर दंगा, अपराध के समय भड़काते हुए उपस्थित रहने, आगजनी की सामग्रियाँ इस्तेमाल करने, सबूत मिटाने और आपराधिक षड्यंत्र सहित कई मामले दर्ज किए हैं। कहा गया कि ताहिर हुसैन ने वहाँ के निवासियों के मन में डर का माहौल बनाया।
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साभार : यूट्यूब आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार शीर्षक देख आप सोंचगे...
इसी साल फ़रवरी में खबर आई थी कि जेएनयू में 2016 में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उनके साथियों के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने की अनुमति दिल्ली सरकार नहीं दे रही है। इस संबंध में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने केजरीवाल सरकार के गृह मंत्रालय को पत्र लिखा था। पत्र दिल्ली की एक अदालत द्वारा इस संबंध में राज्य सरकार को रिमाइंडर भेजने का निर्देश दिए जाने के बाद लिखी गई थी। हालॉंकि बाद में दिल्ली सरकार ने इजाजत दे दी थी।

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