कुछ लोगों का मत है कि मुख़्तार अंसारी की मौत से आतंक के अध्याय का भी अंत हो गया लेकिन एक दूसरा मत यह भी है कि बेशक योगी जी का अभियान चल रहा है आतंकी और माफियाओं को ख़त्म करने के लिए पर आतंक और माफिया कमजोर हो सकते हैं ख़त्म होने में काफी समय लगेगा, क्योकि जब तक भारत में कुर्सी के भूखे नेता और उनकी पार्टियां मुस्लिम तुष्टिकरण करती रहेंगी, शायद ख़त्म न भी हो। मुख़्तार की मौत पर विधवा विलाप उस समय कहाँ मर गए थे, जब इसने गुंडागर्दी का आतंक मचा उत्तर प्रदेश को दहलाया हुआ था। कितनी गोदें सुनी कर दी थी, ना जाने कितनी महिलाओं का सिंदूर मिटा दिया था।
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फिर, मुख़्तार अंसारी के परिवार के कई सदस्यों पर मुक़दमे चल रहे हैं -
-बीवी अफ़सा पर 11 मुक़दमे दर्ज हैं - (धोखाधड़ी और गैंगस्टर एक्ट में);
-भाई सिबगतुल्ला पर 3 मुक़दमे हैं - (जानलेवा मामले);
-भाई अफजल पर 7 मुक़दमे;
-बेटे अब्बास के खिलाफ 8 मुक़दमे और पुत्रवधु निखत पर भी एक मुकदमा है;
-बेटे उमर पर 6 आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं।
इसके अलावा मुख्तार अंसारी पर सुप्रीम कोर्ट भी मेहरबान रहा है। उसके एक केस में वर्षों के बाद मिली 7 साल की सजा पर सुप्रीम कोर्ट में रोक लगा दी और सजा सुनाने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस दिनेश कुमार सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया था जबकि वो वरीयता में बहुत पीछे थे। यह भी याद रखना चाहिए कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में 12 जजों ने मुख़्तार के मामले में हाथ डालने से मना कर दिया था।
एक केस में मुख़्तार और उसके भाई अफजाल की 4 साल की सजा में “दोषसिद्धि” पर रोक लगा कर संसद सदस्यता बहाल कर दी।
मुख़्तार अंसारी की मौत पर अखिलेश यादव बहुत बिलबिला रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि “सुप्रीम कोर्ट जज की निगरानी में संदिग्ध मौतों की जांच होनी चाहिए। हर किसी को सुरक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है। आज के समय में राज्य “सरकारी अराजकता” के दौर में चल रहा है”।
अखिलेश को मुख़्तार अंसारी बहुत प्रिय इसलिए था क्योंकि वह अखिलेश के पिता मुलायम सिंह का लाड़ला था जो 29 अगस्त, 2003 से 13 मई, 2007 तक मुख्यमंत्री थे। मुलायम सिंह तो कारसेवकों पर गोलियां बरसाने वाले बदमाश CM थे, उन्होंने 2004 में डिप्टी एसपी शैलेन्द्र सिंह पर मुख़्तार के खिलाफ कार्रवाई करने पर मुकदमा दर्ज कर दिया था। इसके अलावा 14 अक्टूबर, 2005 को मऊ में मुलायम राज में भयंकर दंगे कराए थे।
अखिलेश और विपक्ष और मुख़्तार अंसारी के परिवार को योगी प्रशासन पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाने और मौत के लिए जिम्मेदार कहते हुए 10 बार सोचना चाहिए। योगी जी यदि किसी विरोधी के लिए कुछ बुरा करना चाहते तो कोरोना काल में आजम खान कोरोना के इलाज के दौरान निपटा दिया गया होता लेकिन 2 बार बीमार होने पर भी उसे कुछ नुकसान नहीं हुआ।
लेकिन हमें यह भी याद रखना होगा कि मुख़्तार अंसारी की मौत का भी बखेड़ा खड़ा करके और उसे “शहीद’ साबित करते हुए अखिलेश और विपक्ष की नज़र “मुस्लिम वोटों” पर ही हैं।
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