आखिर मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले पतंजलि के खिलाफ ही क्यों है? इसका कारण है। जिस आयुर्वेद को मुस्लिम तुष्टिकरण करने वालों ने गड्डे में धकेल दिया था, बाबा रामदेव वह व्यक्तित्व है जिसने भारत में आयुर्वेद को संजीवनी देकर जीवित कर यूनानी को ही बहुत पीछे धकेल दिया। याद है कि कुछ वर्ष पहले तक टूथ पेस्ट बेचने वाली कंपनियां अपने विज्ञापनों में नमक, कोयला, हल्दी और तेल आदि को दातों के लिए हानिकारक बताती थी, इतना ही नहीं जिस सरसों के तेल को सेहत के हानिकारक बताकर रिफाइंड तेल इस्तेमाल करने को कहा जाने लगा था, लेकिन रामदेव के बाजार में आने के बाद सबने ऐसी पलटी मारी कि अपना ही थूका चाटने को विवश हो गए। जबकि रिफाइंड तेल ही सेहत के लिए नुकसानदेह है। कहते हैं रिफाइंड जितना आग पर तपेगा, उतना ही सेहत के लिए नुकसानदेह है। डॉक्टर तक सरसों के तेल को मनाकर रिफाइंड खाने के लिए कहते थे आज वही डॉक्टर हैं जो कहते हैं कि रिफाइंड नहीं सरसो कच्ची धानी का तेल खाओ।
मुस्लिमों की एक संस्था है हमदर्द वक्फ लैबोरेट्रीज। जो हमदर्द के नाम से कई प्रोडक्ट बनाती है, उसने अपने कुछ दवाओं के बारे में इतने बढ़ा चढ़ा के दावे किए हैं लेकिन आज तक किसी भी व्यक्ति ने उन दावों पर सवाल नहीं उठाया है।
भारत में गर्मी के मौसम में हमदर्द का रूह अफ़ज़ा खूब पिया जाता है और उसी हलाल मार्क रूह अफजा को बांग्लादेश की लैबोरेटरी ने सेहत के लिए हानिकारक बता कर फेल कर दिया। पढ़िए नीचे दिए लिंक पर। क्या किसी ने बांग्लादेश की लैबोरेटरी पर प्रश्नचिन्ह लगाने की हिम्मत की? क्या किसी ने रूह अफ़ज़ा पर प्रश्नचिन्ह लगाने की हिम्मत की? नहीं, क्यों? क्योकि इनको जनता की सेहत नहीं अपना मुस्लिम वोटबैंक प्यारा है।
उसकी एक टानिक है, जिसे वह सिंकारा के नाम से बेचती है।
वह कहती है कि आप इसे पीते ही एकदम जोश और स्फूर्ति से भर जाएंगे।
वृंदा करात जो पतंजलि की हर दवाओं को तमाम लेबोरेटरीज में भेज कर उसका रिपोर्ट लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है।
उन्होंने कभी भी सिंकारा पीकर, प्रेस कॉन्फ्रेंस करके, यह नहीं कहा कि, यही दवा पीकर मैं हाथ उठा उठा कर भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाल्लाह इंशाल्लाह के नारे लगाती हूं।
क्योंकि यह दवा यह टॉनिक मेरे अंदर जोश भर देती है ऐसा सिंकारा के बारे मे कभी नहीं कहा।
एक शरबत है रूह अफजा। जिसे बांग्लादेश में सेहत के हानिकारक बताकर फेल कर दिया है।
वक्फ लेब्रोटरी दावा करता है कि, इसमें ताजे गुलाब डाले गए है लेकिन क्या आज तक किसी ने लैब में परीक्षण करके यह पता लगाया कि इसमें सच में ताजे गुलाब डाले गए हैं या विदेशों से गुलाब का केमिकल एसेंस डाला गया है?
अवलोकन करें:-
एक सिरप है साफी, दावा करता है कि ये खून को पूरी तरह से साफ कर देता है। मैंने आज तक मीडिया या सोशल मीडिया में कभी नहीं देखा, किसी ने उस पर सवाल उठाया हो।
आखिर इस साफी में ऐसी कौनसी चीज है जो ये खून को फिल्टर कर देती है ? और अपने बड़े बड़े दावों के समर्थन में, वक्फ लैबोरेटरी, यानी मुसलमानों की यह संस्था, कौन सी जांच रिपोर्ट का हवाला दे रही है ?
ऐसे ही एक और दवा है, रोगन बादाम। इसके बारे में कम्पनी दावा करती है कि यह बादाम का अर्क, यानी जूस है। और 100 ग्राम की सीसी यह 750 रूपये में बेचती है।
मेरा फिर वही सवाल है की, क्या किसी ने सवाल उठाया कि इसमे असली बादाम है या बादाम के एसेंस हैं...?
मैंने अपने एक मित्र से पूछा, तब उन्होंने बताया कि अगर आपको 100 ml बादाम का कंसंट्रेटेड एसेंस निकालना होगा, तो उसके लिए कम से कम आपको 5 किलो बादाम चाहिए।
अब आप 5 किलो बादाम की कीमत करीब ढाई से 3000 रूपये होगी और यह कंपनी आपको मात्र 700 रूपये में 100 ml बादाम का एसेंस कैसे दे रही है...?
इसी तरह आप हमदर्द के सारे प्रोडक्ट देख लीजिए सिर्फ बड़े बड़े दावे किए गए हैं कहीं कोई सच्चाई नहीं है।
आज तक किसी भी नेता ने, हमदर्द के दवाओं के बड़े बड़े दावों पर कभी कोई सवाल नहीं उठाया है।
लेकिन अगर पतंजलि कोई उत्पाद लांच करती है तो पूरा सोशल मीडिया, सारे नेता, सारे सेक्युलर, चीफ फार्मासिस्ट बनकर, ऐसे ज्ञान देते हैं जैसे उनसे बड़ा ज्ञानी इस धरती पर कोई नहीं है।
अवलोकन करें:-
दरअसल बाबा रामदेव का सबसे बड़ा अपराध यह है कि उन्होंने भगवा वस्त्र धारण किया है।
सोचिए रामदेव बाबा खुद एक ऐसे समुदाय से आते हैं जो ब्राम्हण नहीं है फिर भी यह दिलीप मंडल से लेकर बृंदा करात, सीताराम येचुरी, असदुद्दीन ओवैसी सब के सब उन पर इसलिए टूट पड़ते हैं क्योंकि उन्होंने भगवा धारण किया है।
हिन्दुओं अब आप ही बताओ आप को क्या करना चाहिये?
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