केरल में हाल में एक मामला सामने आया जहाँ एक पीड़ित पति ने फैमिली कोर्ट से ये कहकर मुआवजा माँगा था कि उसकी बीवी भाग गई है। फैमिली कोर्ट ने उसकी माँग को मान भी लिया। हालाँकि जब ये केस केरल हाई कोर्ट में पुनर्विचार के लिए पहुँचा तो न्यायधीशों द्वारा फैसला पलट दिया गया। उच्च न्यायालय ने कहा कि पत्नी के व्यभिचार को मुआवजे का आधार नहीं माना जा सकता।
हाईकोर्ट ने क्या कहा
अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि विवाह और व्यक्तिगत संबंधों में कई जटिलताएँ होती हैं और इनका समाधान कानूनी प्रक्रिया द्वारा नहीं किया जा सकता। इसके बजाय, ऐसे मामलों को सामाजिक और व्यक्तिगत स्तर पर सुलझाने की आवश्यकता होती है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि तलाक (संशोधन) एक्ट,2001 के बाद सेक्शन 34 को भारतीय तलाक अधिनियम से हटा दिया गया जो व्यभिचार पर हर्जाने की देने की अनमुति देता था। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि इस बात के भी कोई साक्ष्य नहीं हैं जिससे कि ये पता चल सके कि पत्नी की हरकत से पूर्व पति को कोई मानसिक पीड़ा हुई है इसलिए न्यायलय मुआवजा देने वाले फैसले को खारिज करता है।
इस मामले में पीड़ित पुरुष ने कोर्ट में कहा था उसकी पत्नी ने उसके साथ धोखा किया और दूसरे व्यक्ति के साथ भाग गई। पति के अनुसार, उसकी पूर्व पत्नी अपने साथ सोना और पैसा भी लेकर गई थी। ऐसे में उसने याचिका में 20 लाख रुपए के मुआवजे का दावा किया और सोना व नकदी वापस माँगा था। फैमिली कोर्ट ने तब सुनवाई करते हुए सोना और नकदी वाली माँग को खारिज कर दिया था और 4 लाख मुआवजा देने के लिए आदेश पारित किया था। फैमिली कोर्ट ने माना था कि घटना से पति को मानसिक और भावनात्मक नुकसान हुआ है इसलिए मुआवजा मिलना चाहिए।
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