देश में फ्री की रेवड़ियों की शुरुआत उत्तर प्रदेश से मुलायम सिंह ने की, जिसे अरविन्द केजरीवाल ने लपक कर दिल्ली के मतदाताओं को एक मतदाता नहीं बिकाऊ माल बना दिया। अपना महत्व कम करने के लिए दिल्ली का मतदाता खुद जिम्मेदार है। डूब मरना चाहिए, क्योकि दिल्लीवालों ने अपनी आत्मा और आत्मसम्मान का खुलेआम क़त्ल कर दिया। अपने आपको बिकाऊ माल साबित कर अपनी इज्जत की अर्थी निकाल खुद अपनी लाश को ढो रहे हैं। बुजुर्गों ने कोई गिल्ली-डंडा खेलकर कहावतें नहीं बनाई थीं, जैसा कि चोरी हुई कुछ नहीं गया, सेहत गयी कुछ गया और जब आत्मसम्मान(चरित्र) गया तो सबकुछ गया।
इस बात से कोई राजनीतिक पार्टी नहीं सियासतखोर इंकार नहीं कर सकता कि वोटिंग से एक दिन पहले शराब और नोटों का खेल चलता है, जो अभी नहीं रुकेगा और इन्ही बिकाऊ लोगों के वोट से हार-जीत तय होती है। दूसरे, जनता चिल्लाती रहती है साफ पानी नहीं मिलता, टूटी सड़कें, भ्रष्टाचार फ़ैल रहा है, प्रदुषण, दीपावली पर आतिशबाज़ी पर रोक और छठ के शुभावसर पर यमुना गन्दी आदि शिकायतें नहीं करनी चाहिए क्योकि केजरीवाल सरकार खुलेआम वोट खरीदकर सत्ता में आयी। इसलिए अपनी अंतरात्मा को मार चुकी बिकाऊ जनता को शिकायत करने का कोई अधिकार नहीं, तुम हो ही इसी काबिल। सियासतखोरों ने तुम्हे तुम्हारी औकात दिखा दी। तुम्हारी कोई औकात नहीं। तुम बिकाऊ माल है।
केजरीवाल के दिल्ली चुनाव में एंट्री 2013 में हुई थी, तब से अब तक के वोटों के आंकड़े देखने चाहिए।
2013 विधानसभा चुनाव➖
भाजपा की सीट 32, वोट मिले 33% (पिछले 2008 चुनाव से 9 सीट ज्यादा और वोट 4.34% कम);
आप पार्टी - सीट 28, वोट मिले 29.5% (पहला चुनाव था);
कांग्रेस - सीट 8, वोट मिले 24.6% (पिछले चुनाव से 35 सीट कम और वोट 15.7% कम);
बसपा - सीट 2, वोट मिले 5.35% (पिछले चुनाव से 2 सीट कम और वोट 8.69% कम)।
लेखक चर्चित YouTuber |
भाजपा, कांग्रेस और बसपा का वोटों का पिछले चुनाव से कुल नुकसान 27.71% और आप पार्टी को वोट मिले 29.5% यानी कांग्रेस और बसपा का अधिकांश वोट केजरीवाल खा गया।
2014 लोकसभा चुनाव में -
भाजपा के वोट 46.40% (2013 से 13.4% ज्यादा); सभी 7 सीट पर जीत;
आप के वोट 32.90% (2013 से मात्र 3.4% ज्यादा);और सीट ज़ीरो;
कांग्रेस के वोट 15.10% (2013 से 9.5% कम) सीट ज़ीरो
2015 विधानसभा चुनाव -
भाजपा की सीट 3 और वोट मिले 32.31% (2013 से 29 सीट कम लेकिन वोट केवल 0.8% कम हुआ);
आप पार्टी की सीट 67 और वोट मिले 54.3% (2013 से 39 सीट ज्यादा और वोट 24.8% ज्यादा);
कांग्रेस की सीट ज़ीरो और वोट मिले 9.7% (2013 से 8 सीट कम और वोट 14.9% कम हुआ)
यानी भाजपा का वोट नहीं गिरा लेकिन आप पार्टी ने कांग्रेस और अन्य दलों का वोट खाया।
2019 लोकसभा चुनाव -
भाजपा का वोट 56.86% (पिछले लोकसभा से 10.46% ज्यादा); सभी 7 सीट पर जीत;
आप पार्टी का वोट 18.11% (पिछले लोकसभा से 14.79% कम); और
कांग्रेस का वोट 22.51% (पिछले लोकसभा से 7.41% कम)।
2020 विधानसभा चुनाव -
भाजपा की सीट 8 और वोट मिला 38.51% (2015 से 5 सीट ज्यादा और वोट 6.21% ज्यादा);
आप पार्टी की सीट 62 और वोट मिला 53.57% (2015 से 5 सीट कम और वोट 0.73% कम);
कांग्रेस सीट ज़ीरो और वोट मिला 4.26% (2015 से सीट में कोई बदलाव नहीं और वोट 5.44% कम हुआ); यानि कांग्रेस का वोट भाजपा को गया।
2024 लोकसभा चुनाव- (कांग्रेस और आप का गठबंधन था)
भाजपा का वोट 54.35% (2019 से 2.50% कम);
आप पार्टी का वोट 24.17% (2019 से 5.17% ज्यादा); और
कांग्रेस का वोट 18.91% (2019 से 3.72% कम)
अब होने वाले चुनाव में आप, कांग्रेस और भाजपा ने रेवड़ियां बांट दी हैं किसी ने कम किसी ने ज्यादा। मुख्य काम जनता को देखना है कि केजरीवाल ने पंजाब में महिलाओं को 1000 रुपए महीने देने का वादा करके और कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में 1500 रुपए महीने का वादा करके कितना निभाया। बिलकुल नहीं निभाया जबकि भाजपा ने मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में ये काम किया है और महिलाओं को दिया हुआ वादा निभाया है।
केजरीवाल और कांग्रेस भ्रष्टाचार के मामले में एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जो सरकार बनते ही माल खाने के पहले से बनाए हुए कार्यक्रम शुरू कर देते हैं।
केजरीवाल ने ना तो यमुना साफ़ की और ना यूरोप जैसी सड़कें बनाई और ना लोगों को टूटी से साफ़ पानी दिया जबकि मोदी ने गंगा सफाई की, आधुनिक सडकों का जाल बिछा दिया और पिछले 5 साल में 15 करोड़ घरों में नल से जल पंहुचा दिया।
Choice जनता की है अब। काम करने वाले लाए या जाए घुइयाँ के खेत में।
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