मार्च 21 को कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर ने 18 भाजपा विधायकों को 6 महीने के लिए सस्पेंड कर मार्शलों से बाहर निकलवा दिया। ऐसा करके स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के 2022 के आदेशों का घोर उल्लंघन किया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित करने को ख़ारिज किया था और कहा था कि निलंबन केवल उस सत्र के लिए हो सकता है जो चल रहा हो।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस AM Khanwilkar, जस्टिस CT Ravi Kumar और जस्टिस Dinesh Maheshwari की बेंच ने 28 जनवरी, 2022 के अपने आदेश में जुलाई, 2021 के महाराष्ट्र विधानसभा के 12 भाजपा विधायकों को एक वर्ष के लिए सस्पेंड करने के प्रस्ताव को ख़ारिज करते हुए कहा था कि लेखक
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“suspension of a member from any assembly beyond one session is grossly violative of ‘Basic Democratic Values’ and is worse than expulsion, decision of presiding officer of the house is ‘unconstitutional, grossly illegal and irrational’ as the period of suspension extended beyond the remainder of the session concerned”.
इस आदेश के बावजूद कर्नाटक विधानसभा स्पीकर ने भाजपा विधायकों को 6 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया और ऐसा करके उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की है।
कर्नाटक स्पीकर को यह जरूर पता होगा कि वह ऐसा नहीं कर सकते लेकिन सोचा होगा कि पहले हाई कोर्ट जाएंगे विधायक और फिर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और इतने में 6 महीने निकल जाएंगे बशर्ते हाई कोर्ट ने स्पीकर के आदेश को स्टे नहीं किया।
ये मक्कारी है कांग्रेस की जिसके चलते सरकारी अनुबंधों में मुसलमानों को 4% आरक्षण का बिल पास करा लिया।
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