जस्टिस गवई, आप बताएं कि जो एक पैसा टैक्स नहीं देते, वो करोड़ों की संपत्ति जला देते तो उनके साथ क्या किया जाए ; क्या सुप्रीम कोर्ट ही सांप्रदायिक है?

सुभाष चन्द्र

मानवता का ज्ञान मीलॉर्ड को जेहादियों के पक्ष में पेलने की आदत बन चुकी है। आधी रात को कोर्ट खोल लेते हैं। क्या है ये तमाशा? आधी रात को कोर्ट खोलना और जेहादियों के पक्ष में ज्ञान पेलने के पीछे कौन-सा खेल खिलता है, क्या मीलॉर्ड बताएंगे? क्या कभी किसी भी कोर्ट ने जेहादियों के वकीलों से पूछने की हिम्मत दिखाई कि अचानक इतने पत्थर कहाँ से आए? इतने पत्थर किसने सप्लाई किए? पेट्रोल बम के धन और पेट्रोल किसने सप्लाई किया? अगर स्थिति विपरीत होती सारे कानून खोलकर रख देते। अब इसे अदालतों(निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट) का दोगलापन नहीं कहा जाए तो क्या कहा जाए? जिसे देख लगता है कि नेताओं और पार्टियों को साम्प्रदायिकता फ़ैलाने की हिम्मत अदालतों से ही मिलता है।   

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने 13 नवंबर, 2024 को बुलडोज़र एक्शन के लिए नियम बनाते हुए कहा था 

“bulldozer demolitions infringed the right to shelter, guaranteed under Articles 19 and 21. “Depriving such innocent people of their right to life by removing shelter from their heads, in our considered view, would be wholly unconstitutional”

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जस्टिस गवई ने यह भी कहा था कि एक व्यक्ति जीवन में एक बार अपने परिवार के लिए घर बनाता है और उसे किसी अपराध के लिए तोड़ देना सही नहीं है। ऊपर दिए हुए बयान में अपराधियों को पूरा संरक्षण दे दिया था मीलॉर्ड ने लेकिन उन्होंने यह नहीं सोचा कि वह अपराधी अपराध करते हुए अपने परिवार के लिए कुछ नहीं सोचता और बलात्कार समेत किसी भी तरह का अपराध करने से नहीं चूकता उसे पता होता है कि केस का फैसला होते होते 20 बरस लग जाएंगे और यह भी हो सकता है सबूतों के अभाव में वह बरी ही हो जाए, इतना ही नहीं सजा होने पर सुप्रीम कोर्ट यह कह कर भी दरियादिली दिखा सकता है कि “Every Sinner Has A Future”.

अब मैं जस्टिस गवई से पूछता हूं कि यदि कोई अपना घर एक बार बनाता है तो फिर सरकार भी तो टैक्स के पैसे से विकास करते हुए सरकारी संपत्ति बनाती है कोई व्यक्ति जीवन भर की कमाई से अपने लिए घर बनाता है और गाड़ी खरीदता है तो क्या उस संपत्ति की रक्षा नहीं होनी चाहिए? क्या उस जनता की संपत्ति और नागरिकों की संपत्ति की सुरक्षा के लिए Article 19 और 21 लागू नहीं होते?

कल होली पर कई राज्यों ने ऐसे लोगों ने करोड़ों की सरकारी और निजी संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया जो एक पैसा टैक्स नहीं देते इंदौर के कई शहरों में भारत की विश्व कप में जीत के विरोध में मसजिदों से निकल कर टैक्स न भरने वालों ने करोड़ों की संपत्ति को आग लगा दी और लोगों के घरों और दुकानों को फूंक दिया जिसे बनाने में उन्होंने जीवन भर की कमाई लगा दी  

कौन सा मौलिक अधिकार था ऐसे टैक्स न देने वाले लोगों के पास ऐसा तांडव करने के लिए और जिनके घर, दुकान और सरकारी संपत्ति फूंकी गई क्या आपने बुलडोज़र एक्शन पर नियम बनाते हुए उन संपत्तियों के बचाव के लिए कुछ सोचा? बुलडोज़र एक्शन पर तो आपने कह दिया कि नियमों का पालन होना चाहिए लेकिन ऐसा आग लगाने का तांडव तो बुलडोज़र से भी भयानक कृत्य है? बुलडोज़र के लिए कहते हो नियमों का पालन करो, उन्हें नोटिस दो लेकिन ये आग लगाने वाले किस नियम का पालन करते है, ये तो किसी को कोई नोटिस भी नहीं देते

मीलॉर्ड सबसे बड़ी समस्या यह है कि ऐसी आगजनी कभी आपकी संपत्तियों पर नहीं होती और इसलिए आपको अपना नजरिया बदलने की जरूरत है किताबी कीड़े बन कर रहने से देश और समाज का भला नहीं होगा यह खुला आतंक है और इसके विरोध में बुलडोज़र चलाने में आपको कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए जब ऐसे लोगों से नुक़सान की भरपाई के लिए नोटिस जाएंगे तो आप लोग कहेंगे कि या तो निरीह गरीब हैं, ये कैसे इतना मुआवजा देंगे? मुआवजा नहीं दे सकते लेकिन सरकार और लोगों की संपत्ति को आग लगाना अपना अधिकार मानते हैं

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