CBI के द्वारा समयबद्ध जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट को याचिका सुनते हुए लाज भी नहीं आती; कभी अपने फैसले समय सीमा में करने का भी ख्याल आता है क्या?

सुभाष चन्द्र

सुप्रीम कोर्ट के एक वकील मनीष पाठक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मांग की है कि CBI और CVC को समयबद्ध तरीके से जांच करने के दिशा निर्देश जारी किए जाएं और  जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की पीठ ने केंद्र सरकार को इस PIL पर जवाब दाखिल करने को कहा है।  CBI को भी बिल्डर-बैंक गठजोड़ पर ब्लू प्रिंट देने को कहा है और इसकी अगली सुनवाई अब जुलाई, 2025 में होगी

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CBI की जांच समयबद्ध सीमा में पूरी करने के लिए दायर याचिका को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट को कुछ तो शर्म आनी चाहिए जब वह स्वयं अपने फैसले समयबद्ध सीमा में नहीं करता सुप्रीम कोर्ट में मामले वर्षों तक लटके रहते हैं और आज सुप्रीम कोर्ट एक “बेल कोर्ट” और “स्टे कोर्ट” बन कर काम कर रहा है जहां तक nexus का सवाल है वह तो सुप्रीम कोर्ट के जजों और वकीलों एवं अपराधियों में साफ़ दिखाई देता है क्योंकि उनके आदेशों में यह दिखाई देता है कि किस तरह उन्हें सुप्रीम कोर्ट से समर्थन मिलता है

केजरीवाल को ED की गिरफ़्तारी में जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच जमानत तो दे दी लेकिन गिरफ़्तारी वैध थी या नहीं, उसे तीन जजों की बेंच को भेज दिया 12 जुलाई, 2024 को दी हुई जमानत के बाद आज 8 महीने तक तीन जजों की बेंच नहीं बनाई गई है कौन जिम्मेदार है और क्या इसके लिए कोई समयबद्ध सीमा नहीं होनी चाहिए। अब ED जाने क्यों बेल रद्द कराने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट गई है जबकि बेल तो सुप्रीम कोर्ट ने दी थी?

CBI अपना काम कैसे कर रही है, वह इस आंकड़े से पता चलता है CBI के Conviction rate के कुछ आंकड़े दे रहा हूं :

-2018  (68%);

-2019 (69.19%);

-2020 (69.83%);

-2021 (67.56%);

-2022 (74.59%); और 

-2023 (71.47%)

CBI ने 2023 में 873 मामलों की जांच पूरी की जिसमें 755 regular cases थे और 118 प्राथमिक जांच थी

वर्ष 2024 में CBI ने 1400 मामलों का निपटारा किया जिसकी जांच 2024 में चल रही थी

यह सफलता दर अपने आप में प्रशंसनीय है और इसके बावजूद भी कोई याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट जाए और कोर्ट तुरंत सुनवाई के लिए तैयार हो जाए, यह उचित नहीं है कोई शक्तियां हैं जो CBI को बदनाम करने की कोशिश में लगी हैं यह सफलता दर तब है जब ट्रायल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक CBI के मुकदमों में टांग अड़ाने की कोशिश करते हैं ऐसा ही ED के साथ हो रहा है जिसके लिए रोज रोज PMLA, 2002 में नई नई व्याख्या कोर्ट करते रहते हैं जबकि 2022 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस खानविलकर की पीठ ने एक्ट को वैध करार दिया था और ED को प्राप्त शक्तियों को उचित कहा था

CBI ने वर्षों की बड़ी मेहनत से लालू यादव को चारा घोटाले के 5 मामलों में साढ़े 32 साल की सजा कराई ट्रायल कोर्ट से और हर मामले में वह या तो झारखंड हाई कोर्ट से जमानत पर है या सुप्रीम कोर्ट ने उसे जमानत दी हुई है और आज वह मौज से घूम रहा है यानी CBI की कड़ी मेहनत पर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने पानी फेर दिया

एक बार सुप्रीम कोर्ट अपने गिरेबान में झाँक कर देख ले कि कितने केस उसके पास कितने वर्षों से लंबित हैं कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न High Courts से राजनेताओं के लंबित मुकदमों की जानकारी मांगी है उसके पहले अपनी जानकारी भी देख लेनी चाहिए दिल्ली हाई कोर्ट CBI और ED की 2G केस में अपील 7 साल से लिए बैठा है लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है और लालू यादव की अपीलें 7-7 साल से झारखंड हाई कोर्ट में लंबित हैं कभी सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को पूछा है कि अब तक फैसले क्यों नहीं हुए?

कुछ वर्ष पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह CBI के कामकाज की समीक्षा करेगा पता नहीं क्या हुआ उसका?  

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