चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने अगले चीफ जस्टिस के लिए जस्टिस बीआर गवई के नाम की सिफारिश कर दी है। अभी एक कांग्रेसी नेता के बेटे जस्टिस जेबी परदीवाला ने कानून की धज्जियां उड़ाते हुए राष्ट्रपति को आदेश दे दिए और संविधान में संशोधन कर दिए जो केवल संसद कर सकती है।
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लेखक चर्चित YouTuber |
बीआर गवई के पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई लंबे समय तक कांग्रेस में रहे जिनकी मृत्यु 2015 में हुई। इनका भाई राजेंद्र गवई भी प्रमुख राजनेता है। पिता 2006 से 2012 तक सिक्किम के गवर्नर और 2008-2011 तक केरल के गवर्नर रहे, 1964 से 1994 तक महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य थे और 12 वीं लोकसभा के सदस्य थे।
सरकार गवई को चीफ जस्टिस बनाने से मना भी कर सकती है और सुप्रीम कोर्ट के तानाशाही फैसलों को देखते हुए यह कह सकती है कि राजनीतिक परिवार का व्यक्ति चीफ जस्टिस नहीं बन सकता क्योंकि उसकी निष्ठा पार्टी की तरफ झुकी रहेगी जैसे राहुल गांधी के मामले में रही।
लेकिन प्रधानमंत्री मोदी एक साधु प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं, वो नीच के साथ नीच नहीं होना जानते लेकिन गवई को फिर लगता है कुछ भय है और इसलिए अंबेडकर जयंती पर गवई ने मोदी जी के लिए कहा -
“ The country is having a prime minister, who comes from a humble background belonging to Backward Classes and who take pride in saying that it is because of constitution of India, that he could be Prime Minister of India”.
लेकिन बीआर गवई जिस कांग्रेस पार्टी के परिवार से आते हैं, उस पार्टी के लोग मोदी की जाति के लिए कितनी अपमानजनक बातें करते हैं खासकर वह राहुल गांधी जिसे गवई ने बचाया था।
वैसे ये भी केवल 6 महीने के लिए चीफ जस्टिस बनेंगे लेकिन सोनिया गांधी अपना पूरा एजेंडा उनके हाथ में थमा देगी और 6 महीने में यह संवैधानिक आतंक मचा सकते हैं। अभी वक़्फ़ संशोधन बिल पर खन्ना जी तो फैसला नहीं कर सकते क्योंकि उनके पास अब केवल 19 कार्य दिवस बचे हैं और मामला फिर गवई के पास ही जाएगा जो हर हाल में संशोधन को खारिज करने की कोशिश करेंगे। लेकिन मोदी ने भी Plan-B तैयार किया हुआ होगा।
अभी गवई के पास लोकपाल की जांच के दायरे में 2 हाई कोर्ट जजों के भ्रष्टाचार का मामला अटका है जिस पर 30 अप्रैल को उन्होंने फैसला करना है। यशवंत वर्मा के घर से मिली नोटों की गड्डियां देख कर लोकपाल की जांच गवई साहेब को जारी रखने के आदेश देने चाहिए।
लेकिन उन्हें चीफ जस्टिस बनाने का मैं तो अनुमोदन नहीं करता।
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