जब तक इस्लाम है दुनिया में आतंकवाद रहेगा, गैर-मुस्लिम और महिलाएँ रहेंगी असुरक्षित: तस्लीमा नसरीन, बांग्लादेश लेखिका

तस्लीमा ने जो कहा कोई हैरान होने वाली बात नहीं। ऐसी ही बातें भारत में बढ़ रही एक्स-मुस्लिम की जनसंख्या नूपुर शर्मा विवाद के दिनों से कहते रहे हैं। लेकिन कभी किसी भी राष्ट्रीय चैनल ने TRP के डर से दिखाने की हिम्मत नहीं की। नूपुर शर्मा का कोई विवाद नहीं था लेकिन किसी भी चैनल ने किसी भी किसी भी मुस्लिम मौलाना/मुफ़्ती या विद्वान से सच्चाई पूछने की हिम्मत नहीं की। इसे कहते हैं सफेदपोशी साम्प्रदायिक पत्रकारिता।
जिसे देखो नूपुर को ही गलत बताता रहा क्योकि सच्चाई बताने के माँ का दूध पीना जरुरी है। सिर्फ एक चैनल TimesNow नवभारत के एंकर सुशांत सिन्हा ने अपने शो में मुल्ला, मौलवी, मुफ़्ती और विद्वानों को खुली चुनौती दी थी कि बताएं नूपुर शर्मा ने जो कहा उनकी इस्लामिक किताबों में नहीं लिखा? सिन्हा की चुनौती को स्वीकार करने की किसी में हिम्मत नहीं हुई। सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवा देने वाले खोमैनी की अनवर शेख के खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत नहीं हुई। जिन्होंने इस्लाम के खिलाफ एक नहीं 5-6 किताबें लिखी हैं।

इतना ही नहीं किसी हिन्दू द्वारा जरा-सा कुछ बोलने पर मुस्लिम कट्टरपंथी अपने “सिर तन से जुदा गैंग” को सड़क पर उतार देता है लेकिन Understanding Mohammad and Muslim के लेखक अली सीना के खिलाफ किसी की हिम्मत नहीं। अगर अनवर शेख और अली सीना की तरह किसी हिन्दू ने सनातन के विरुद्ध किताबें लिख दी होती सारे चैनल अपनी दुकानें सजा रहे होते। 

अली का मानना है कि उनकी किताब पढ़ मुसलमान इस्लाम छोड़ रहा है, जबकि मेरा मानना है कि अनवर शेख को पढ़ लोग इस्लाम छोड़ रहे हैं। अली को पढ़ने पर लगता है कि अनवर की ही किताबों का अली की किताबों में समावेश है।
बांग्लादेश से निर्वासित और भारत में शरण लेने वाली लेखिका तस्लीमा नसरीन ने इस्लाम और आतंकवाद का कनेक्शन जोड़ा है। उनका कहना है कि “जब तक इस्लाम रहेगा, आतंकवाद भी जिंदा रहेगा। गैर-मुसलमानों को कोई सुरक्षा नहीं मिलेगी, स्वतंत्र विचारकों और तर्कवादियों को कोई सुरक्षा नहीं मिलेगी, महिलाओं को कोई सुरक्षा नहीं मिलेगी।”

उन्होने आगे कहा कि “जब तक इस्लाम जीवित रहेगा, फूल मुरझाते रहेंगे, बच्चे मरते रहेंगे, लाखों मरे हुए कबूतर की तरह गिरते रहेंगे। इस्लाम की कोख से नफरत पैदा होती रहेगी, बदसूरत राक्षस पैदा होते रहेंगे।”

दिल्ली साहित्य महोत्सव में अपने विचार रखते हुए तस्लीमा नसरीन ने कहा कि इस्लाम पिछले 1400 सालों में थोड़ा भी नहीं बदला इसलिए बच्चों को सिर्फ धार्मिक किताबें पढ़ाना बेहद खतरनाक है। तस्लीमा नसरीन ने भारत को अपना घर बताते हुए कहा कि जब वो यूरोप या अमेरिका में रही तो हमेशा पराई रही, लेकिन जब कोलकाता आई तो लगा कि जैसे अपने घर लौटी हैं।

इस्लामी कट्टरता, महिला अधिकार, मानवाधिकार और लोकतांत्रिक मूल्यों की बात करते हुए उन्होने कहा कि “जब तक इस्लाम जीवित रहेगा, कोई भी राज्य सभ्य नहीं बन पाएगा, कट्टरता हावी रहेगा “।

यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन करते हुए तस्लीमा नसरीन ने कहा कि भारत, बाग्लादेश जैसे देशों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसा कानून होना चाहिए। मदरसों की शिक्षा पर सवाल उठाते हुए उन्होने कहा कि बच्चों को संपूर्ण ज्ञान यहाँ नहीं मिल सकता।

तस्लीमा नसरीन ने कहा कि 2016 के ढाका हमले में मुसलमानों को इसलिए मार दिया गया क्योंकि वे कलमा नहीं पढ़ पाए थे। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में भी आतंकवादियों ने पर्यटकों को कलमा पढ़ने के लिए कहा। जब आस्था को तर्क और मानवता पर हावी होने दिया जाता है, तो यही होता है।”

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