नागा कंकाल ब्रिटिश संग्रहालय (फोटो साभार - ऑपइंडिया इंग्लिश)
नागा जनजाति समुदाय के वरिष्ठ नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल इन दिनों यूनाइटेड किंगडम (UK) की यात्रा पर है। यह प्रतिनिधिमंडल ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में ले जाए गए नागा पूर्वजों के मानव अवशेषों की वापसी की माँग कर रहा है।
नागा जनजाति समुदाय द्वारा अपने पूर्वजों के मानव अवशेषों के वापसी की मांग याद कराती है उस शूरवीर शेरसिंह राणा की जो फूलन देवी की हत्या के आरोप में जेल में बंद होने के बावजूद जेल से भाग अफगानिस्तान जाकर हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की अस्थियों को उन कठिन परिस्थितियों में सीढ़ियों से खोदकर लाते हैं जब वहां तालिबान का राज था। मोहम्मद गौरी की कब्र पर जाने के लिए बनी सीढ़ियों में दबा रखी थी। इतना ही नहीं, उन सीढ़ियों के चप्पलें रखी हुई थी कि गौरी की कब्र पर जाने से पहले उस सीढ़ी पर चप्पलें मारी जाती थी जिस सीढ़ी के नीचे हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां थी। किसी भी भारतीय सरकार तो क्या किसी हिन्दू स्वयंसेवी संस्था तक ने कभी अफगानिस्तान में हिन्दू सम्राट की हो रही घोर बेइज्जती की परवाह तक नहीं की।
प्रतिनिधिमंडल में नागा जनजातीय निकायों, फोरम फॉर नागा रिकॉन्सिलिएशन (FNR) और रिकवर, रिस्टोर एंड डीकोलोनाइज (RRaD) टीम के सदस्य शामिल हैं। बताया गया है कि ब्रिटिश शासन के दौरान नागा जनजातियों के 200 से अधिक मानव अवशेषों को ईक्ठा कर के यूनाइटेड किंगडम ले जाया गया।
इन अवशेषों में से काफी सारे अवशेषों को 2020 तक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के पिट रिवर म्यूजियम (PRM) में प्रदर्शित किया गया था। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में शनिवार (14 जून 2025) को नागा प्रतिनिधिमंडल ने एक घोषणा की।
इसमें कहा गया कि यह वापसी प्रक्रिया नागा लोगों के लिए उपचार और आत्म-सम्मान की दिशा में एक जरूरी कदम है। उन्होंने कहा, “हमें खेद है कि इसमें कई दशक लग गए, लेकिन अब हम अपने पूर्वजों को उनकी मातृभूमि में सम्मानपूर्वक लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
प्रतिनिधिमंडल ने संग्रहालय से अपील की कि वे इस प्रक्रिया में सहयोग करें और इन अवशेषों को सम्मानजनक विश्राम स्थल तक पहुँचाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम नागा जनजातियों की एकता और सभी पीढ़ियों के लिए शांति का प्रतीक बनेगा।
नागालैंड ट्रिब्यूनपिट रिवर म्यूजियम की निदेशक प्रोफेसर डॉ. लॉरा वैन ब्रोकहोवेन ने नागा प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया और कहा कि यह प्रक्रिया अतीत की गलतियों को स्वीकार करने और भविष्य में सुलह की दिशा का एक अवसर है।
RRaD के समन्वयक और FNR के सदस्य रेवरेंड डॉ. एलेन कन्याक जमीर ने कहा, “यह यात्रा हमारे पूर्वजों की वापसी की एक पवित्र शुरुआत है। हमें PRM के नैतिक रुख की सराहना है और हमें आशा है कि यह प्रक्रिया हमारे समुदायों को संतोष देगी।”
पिट रिवर म्यूजियम, जो विश्व के प्रमुख नृवंशविज्ञान संग्रहालयों में से एक है, उन्होंने हाल ही के वर्षों में औपनिवेशिक काल के मानव अवशेषों को हटाना शुरू कर दिया है। 2020 में मिस्र की ममियों और सिकुड़े हुए मानव सिर को प्रदर्शनी से हटाया गया था। नागा प्रतिनिधिमंडल की यह पहल वैश्विक स्वदेशी अधिकार आंदोलन का हिस्सा है, जिसमें जनजाति समुदाय अपने पूर्वजों और सांस्कृतिक विरासत की वापसी की माँग कर रहे हैं।
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