सुभाष चन्द्र
समय आ गया है जब राहुल गाँधी, गाँधी परिवार या फिर कांग्रेस को वोट देने से पहले जनता को हज़ार बार नहीं बल्कि लाखों बार सोंचकर वोट देना होगा। सियासत परिवार में जन्म लेने से नेता नहीं बन जाता। सोनिया गाँधी से लेकर राहुल प्रियंका तक किसी भी कांग्रेस नेता के बयानों पर विश्लेषण करना चाहिए। जो पार्टी इस्लामिक आतंकवाद को बचाने "हिन्दू आतंकवाद", "भगवा आतंकवाद" जैसी बकवास कर हर भारतवासी के दिल-दिमाग में आतंकी मुल्क पाकिस्तान का डर बैठाने का काम किया। यही वजह है कि उसी आतंकी मुल्क पाकिस्तान पर होती सख्ती से पूरी कांग्रेस बौखलाई हुई है। भारत सरकार से Operation Sindoor में कितने राफेल पाकिस्तान ने गिराए पूछने वाली कांग्रेस को बताना चाहिए कि चीन से क्या MoU साइन किया है? सोनिया गाँधी कश्मीर विरोधी संगठन की co-chairman क्यों है? अगर कांग्रेस को बचाएंगे वो है शशि थरूर, आनंद शर्मा और मनीष तिवारी आदि जैसे सुलझे नेता।
पाकिस्तान का प्रधानमंत्री खुद कहता फिर रहा है कि भारत ने पाकिस्तान को बहुत नुकसान पहुँचाया है, लेकिन राहुल जैसे पागल कांग्रेसी सरकार से अपना नुकसान पूछ, दुश्मन मुल्क पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं। इन नालायकों को नहीं मालूम कि युद्ध के दौरान कभी ऐसे सवाल नहीं किए जाते। भारत की मार से पाकिस्तान से कहीं ज्यादा कांग्रेस पागल हुई पड़ी है।राहुल गांधी पर शायद 15 से ज्यादा मानहानि के मुक़दमे चल रहे है। “मोदी समुदाय” के लोगों को चोर कह कर तो एक बार सजा हो ही गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस गवई ने बचा लिया। लेकिन सवाल यह उठता है कि एक बार जो कह देता है, चाहे उससे किसी का अपमान हो, तो उस पर कायम क्यों नहीं रहता? जब कोर्ट में केस दर्ज होता है तो भागता क्यों फिरता है? पिछले एक महीने में 3 मामलों में क्या हुआ, यह देखिए -
राहुल गांधी ने वीर सावरकर का अपमान करने में पीएचडी की हुई है। उन्हें “माफ़ी मांगने वाला” तो न जाने कितनी बार कह चुका है। यह भी कहता रहा है कि “मैं राहुल गांधी हूं, राहुल सावरकर नहीं हूं, मैं माफ़ी नहीं मागूंगा”। ऐसे ही एक बयान में उसने कहा कि “सावरकर अंग्रेजों के नौकर थे जो अंग्रेजों से पेंशन लेते थे”। ट्रायल कोर्ट में केस चल रहा था। केस को लड़ना चाहिए था लेकिन केस को रद्द कराने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट चला गया। हाई कोर्ट ने अपील ख़ारिज कर दी।
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लेखक चर्चित YouTuber |
सुप्रीम कोर्ट ने उस केस पर रोक लगा दी जो नहीं लगानी चाहिए थी - case should its logical end.
अभी 29 मई को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने राहुल पर ट्रायल कोर्ट में केस चल रहे मानहानि के केस पर रोक लगाने से मना कर दिया। इस मामले में 2022 में राहुल ने कहा था कि चीनी सेना से हमारे सैनिक पिट रहे हैं।
अब केस दर्ज हुआ तो साबित करो कि भारतीय सैनिक पिट रहे थे। लेकिन राहुल चाहता है हाई कोर्ट केस को ख़त्म कर दे। यह केस राहुल के खिलाफ BRO के पूर्व डायरेक्टर उदय शंकर श्रीवास्तव जी ने दर्ज किया था। राहुल का वकील कोर्ट में कहता है कि शिकायत को देख कर लगता है कि ये fabricated है। राहुल तो लखनऊ का भी रहने वाला नहीं है और ट्रायल कोर्ट को समन जारी करने से पहले शिकायत की सत्यता की जांच कर लेनी चाहिए थी।
राहुल का वह वीडियो जमकर वायरल हुआ था जिसमें वह कह रहा था कि चीन के सैनिक हमारे जवानों की पिटाई कर रहे थे। ये कैसे Fabricated हो गया और बोला था तो कोर्ट में साबित करें।
कल पुणे की एक ट्रायल कोर्ट ने सावरकर के पौत्र सात्यकि अशोक सावरकर के मातृवंश की जानकारी मांगने वाली राहुल की याचिका ख़ारिज कर दी। मार्च, 2023 में लंदन में राहुल गांधी ने सावरकर की किसी कथित पुस्तक का उल्लेख करते हुए कहा था कि सावरकर और उनके 5-6 दोस्तों ने एक मुसलमान की पिटाई की थी जिससे उन्हें बहुत ख़ुशी हुई। इस जूठे बयान पर सात्यकि ने मानहानि का केस दर्ज किये था।
सात्यकि के पिता अशोक सावरकर वीर सावरकर के भाई के बेटे थे और उनकी पत्नी हिमानी अशोक सावरकर नाथूराम गोडसे की भतीजी थी और इस तरह राहुल के दिमाग ने वीर सावरकर की गांधी हत्या से कड़ी जोड़ दी। कोर्ट ने उसकी अपील ख़ारिज करते हुए कहा कि मामला राहुल के बयान पर है न कि हिमानी की वंशावली से। लंदन जो बयान दिया उसे साबित करे राहुल गांधी, भागता क्यों है?
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