जो कहते हैं कि सारा मीडिया गोदी ( मोदी) मीडिया हो गयी है उन्हें शर्म से कहीं डूब जाना चाहिए। जिस तरह राहुल गाँधी विदेशों में जाते हैं सारे खोजी पत्रकार कांग्रेस की गोदी में बैठ मालपुए खा रहे हैं। इससे पहले सोनिया गाँधी भी जब अपने इलाज के लिए विदेश में जाती थी कोई मीडिया आज तक नहीं बताया कि किस देश में जाती थी और क्या बीमारी थी जिसका भारत में इलाज नहीं। यानि 11 सालों में देश में बीजेपी सरकार होने के बावजूद आज भी मीडिया कांग्रेस की चापलूसी में अंधी है। अगर स्थिति विपरीत होती ये ही मीडिया चीख-चिल्ला रहा होता। इसको कहते हैं कि मीडिया कांग्रेस की गुलाम है।
कांग्रेस पार्टी को मैं पहले ही नाम दे चुका हूं CPCP यानी कांग्रेस पार्टी ऑफ़ चीन एंड पाकिस्तान(Congress party of China & Pakistan) और भारत में ये पाकिस्तान/चीन की तो यह “ख़ुफ़िया एजेंसी” की तरह काम करती है। सच्चाई तो यह भी है कि जहां भी इज़रायल के आतंकियों पर हमले होते हैं, वहां के सभी इस्लामिक देशों की भी कांग्रेस स्वतः एजेंट बन जाती है।
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लेखक चर्चित YouTuber |
अभी भी सुना है राहुल गांधी पहले कतर गया और फिर एक अन्य देश होकर तुर्की भी गया। उसके बाद कहां गया किसी को कुछ नहीं पता। पहलगाम हमले से पहले भी गायब था और अभी एयर इंडिया विमान हादसे से पहले ही निकल गया था। अब हो सकता कोई नया टूल किट लेकर आएगा जिससे देश में बड़े पैमाने पर हिंसा हो सकती है।
पाकिस्तान से खबर फैलाई जाती है कि failed marshal असीम मुनीर को अमेरिका ने 250वीं आर्मी डे परेड का निमंत्रण दिया है और यहां पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी कांग्रेस का जयराम रमेश उछल पड़ा कि मोदी की विदेश नीति फेल हो गई। अरे तुम्हे तो खुश होना चाहिए कि तुम्हारे आका के जनरल को अमेरिका ने बुलाया लेकिन अमेरिका ने कहा यह झूठ है, फिर जयराम रमेश किस दड़बे में जाकर चुप गया जो अफवाह फ़ैलाने के लिए माफ़ी तक नहीं मांगी।
पिछले 12 जून को UN में गाज़ा में इज़रायल के हमले की निंदा करते हुए वहां शांति स्थापित करने के लिए प्रस्ताव पर वोटिंग हुई तो उसमे भारत अनुपस्थित रहा। उसके बाद शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की तरफ से ईरान पर इज़रायल के हमले को लेकर जारी निंदा प्रस्ताव से भी भारत ने अपने को अलग कर लिया। बस कांग्रेस के अनुसार भारत ने यह पाप किया है कि वह ऑपेरशन सिंदूर में खुल कर भारत के साथ खड़े इज़रायल का साथ क्यों दे रहा है जबकि ईरान ने भारत को कोई समर्थन नहीं दिया। भारत अपनी तरफ से ईरान और इज़रायल दोनों से संपर्क में है लेकिन कांग्रेस का विलाप भी सुनो।खड़गे साहेब कह रहे हैं कि गाज़ा पर प्रस्ताव के पक्ष में वोट न देकर भारत अलग थलग पड़ गया और पूछ रहे हैं कि “क्या हमने युद्ध व नरसंहार के खिलाफ व न्याय को भारत के सैद्धांतिक रुख को त्याग दिया है” और भारत की विदेश नीति को “खस्ताहाल” बताया। केसी वेणुगोपाल, प्रियंका वाड्रा और रणदीप सुरजेवाला भी विदेश नीति के एक्सपर्ट बन कर ज्ञान दे रहे हैं।
जयराम रमेश न बोले ऐसा तो हो नहीं सकता। वो कह रहा है कि “इज़रायल द्वारा ईरान की धरती पर किए गए हमलों की कांग्रेस निंदा करती है, ईरान की संप्रभुता पर इज़रायल का हमला केवल अस्थिरता को बढ़ाता है और आगे के संघर्ष के बीज बोता है”।
कांग्रेस आज गाज़ा के लिए आंसू बहा रही है लेकिन गाज़ा से हमास के इज़रायल में नरसंहार का विरोध नहीं करती। कांग्रेस को ईरान के पालतू हमास, हिज्बुल्ला और हाउती आतंकियों द्वारा इज़रायल पर हमलों से भी कोई ऐतराज़ नहीं करती केवल भारत के मुस्लिम वोटों के लिए। न्याय केवल कांग्रेस को ईरान और गाज़ा के लिए चाहिए, इज़रायल के लिए नहीं क्योंकि कांग्रेस इज़रायल का नामोनिशान मिटा देना चाहती है।
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