साभार : नवभारत टाइम्स IndiaTimes
उत्तर प्रदेश की मिट्टी से अब अंतरिक्ष में उड़ान भरने की तैयारी है। ISRO ने कुशीनगर जिले में अपना पहला रॉकेट लॉन्चिंग परीक्षण किया। जो कि पूरी तरीके से सफल भी रहा है। यह परीक्षण थ्रस्ट टेक इंडिया लिमिटेड ने ISRO के वैज्ञानिकों की उपस्थिति में किया है।
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के तमकुहीराज तहसील में एक खास घटना हुई। यहां एपी बांध के पास जंगलीपट्टी गांव में रॉकेट लॉन्चिंग का टेस्ट किया गया। ये टेस्ट इसरो के वैज्ञानिकों की मौजूदगी में थ्रस्ट टेक इंडिया लिमिटेड ने किया। सबसे अच्छी बात ये रही कि पहला ही टेस्ट सफल हो गया। रॉकेट शाम को 5 बजकर 14 मिनट और 33 सेकंड पर उड़ा। इसने जमीन से 1.1 किलोमीटर तक की दूरी तय की। इस लॉन्चिंग से पहले अभ्यास भी किया गया था।यूपी में इसरो का ये पहला टेस्ट था। इससे पहले ऐसे टेस्ट अहमदाबाद में किए गए थे, जो समुद्र के पास है।
#UttarPradesh: ISRO successfully conducted a rocket launching test in Kushinagar, marking the first time a payload was launched via a #rocket from UP soil.
— All India Radio News (@airnewsalerts) June 15, 2025
🚀#ISRO scientist Abhishek Singh said that, unlike previous tests in #Ahmedabad using drones, this was the first time a… pic.twitter.com/onCTTMeTGD
रिपोर्ट्स के अनुसार, कुशीनगर जिले के तमकुहीराज तहसी के जंगलीपट्टी गाँव में शनिवार(14 जून 2025) को रॉकेट लॉन्चिंग का परीक्षण किया गया। ISRO के वैज्ञानिकों की उपस्थिति में थ्रस्ट टेक इंडिया लिमिटेड ने शाम 5 बजकर 14 मिनट और 33 सेकेंड पर रॉकेट को लॉन्च किया। रॉकेट 1.1 किलोमीटर की ऊँचाई तक पहुँचा, जिसके बाद एक छोटी सैटेलाइट यानी पेलोड बाहर आया।
ISRO के वैज्ञानिक अभिषेक सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि रॉकेट लॉन्च होने के बाद वो 5 मीटर नीचे गिरा। इसके बाद पैराशूट एक्टिवेट हो गया और सैटेलाइट 400 मीटर अंदर जमीन पर गिरा और 15 किलो का रॉकेट भी सुरक्षित नीचे आ गया। उन्होंने आगे कहा कि ISRO की टीम ने फरवरी 2025 में इस जिले का दौरा किया था। तभी उन्होंने इस जगह को चुना था।
इसरो के वैज्ञानिक अभिषेक सिंह ने बताया कि इस टेस्ट का मकसद था भारतीय प्रक्षेपण एजेंसी की ताकत को जानना। उन्होंने कहा कि तमकुही क्षेत्र के जंगली पट्टी में शाम को 5 बजकर 14 मिनट और 33 सेकंड पर पहला रॉकेट छोड़ा गया। ये रॉकेट 1.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया। इसके बाद रॉकेट से एक छोटा सा उपग्रह बाहर आया। जब ये उपग्रह 5 मीटर नीचे गिरा, तो उसका पैराशूट खुल गया।
पैराशूट की मदद से उपग्रह 400 मीटर के अंदर धरती पर आ गया। रॉकेट भी पैराशूट के सहारे धीरे-धीरे धरती पर वापस आ गया। इस रॉकेट का वजन 15 किलो था और इसमें 2.26 किलो ईंधन डाला गया था। लॉन्च के समय 2.6 सेकंड के लिए ईंधन जला और रॉकेट सैटेलाइट को ऊपर लेकर गया।
वैज्ञानिकों ने बताया कि इसरो की टीम ने फरवरी के महीने में इस जिले का दौरा किया था।तभी उन्होंने इस जगह को चुना था।अक्टूबर से नवंबर के बीच देश भर के लगभग 900 युवा वैज्ञानिकों ने मिलकर सैटेलाइट बनाए हैं।इन सैटेलाइट का टेस्ट इसरो की निगरानी में होगा।
इन-स्पेस मॉडल रॉकेट्री, कैनसैट इंडिया छात्र प्रतियोगिता 2024-25 का आयोजन एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) कर रही है।इसमें भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस), इसरो और कुछ और संस्थाएं भी मदद कर रही हैं।इसका मकसद है कि छात्रों के बीच अंतरिक्ष विज्ञान और टेक्नोलॉजी के बारे में जानने की इच्छा पैदा हो।
इन-स्पेस मॉडल रॉकेट्री, कैनसैट इंडिया स्टूडेंट कॉम्पिटिशन 2024-25 में देश के अलग-अलग कॉलेज और यूनिवर्सिटी के छात्र हिस्सा लेंगे।वे मॉडल रॉकेट और कैन के आकार के उपग्रह को डिजाइन करेंगे, बनाएंगे और लॉन्च करेंगे। ये लॉन्च साइट से 1000 मीटर की ऊंचाई पर होगा।इसी को ध्यान में रखते हुए तमकुही राज तहसील के जंगली पट्टी में ये टेस्ट किया गया, जो सफल रहा।
कई सारे लॉन्चर विकल्पों को देखने के बाद, इन कैनसैट को लॉन्च करने के लिए थ्रस्ट टेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को चुना गया।ये टेस्ट कंपनी के मोटर का भी था कि वो ठीक से काम कर रहा है या नहीं। निदेशक विनोद कुमार ने बताया कि प्री लॉन्चिंग में 4 रॉकेट का इस्तेमाल दो दिनों में किया जाना है। उन्होंने ये भी कहा कि इसरो की टीम के फैसले के बाद लॉन्चिंग की जिम्मेदारी थ्रस्ट टेक इंडिया की टीम को दी गई है। इस आयोजन का मकसद है कि इस क्षेत्र और पूरे भारत के बच्चों की स्पेस टेक्नोलॉजी में रुचि बढ़े।
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