क्या कांग्रेस की भूपेंद्र हुड्डा सरकार ने 60 करोड़ रूपए कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल इंचार्ज जावद को यूनिवर्सिटी बनाने के लिए दिए थे? अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद का भाई हमूद सिद्दीकी हैदराबाद से गिरफ्तार, 25 साल से चल रहा था फरार: चिटफंड के बहाने की थी करोड़ों की ठगी

     अल फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन का भाई हमूद सिद्दीकी हैदराबाद से गिरफ्तार (फोटो साभार: न्यूज 18, हिंदुस्तान)
दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार धमाके की जाँच अब मध्य प्रदेश के महू तक पहुँच गई है। फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉक्टरों की टेरर मॉड्यूल में संलिप्तता सामने आने के बाद एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी से जुड़े लोगों पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी। इसी कड़ी में महू पुलिस ने यूनिवर्सिटी के चांसलर जवाद सिद्दीकी के भाई हमूद सिद्दीकी को हैदराबाद से गिरफ्तार किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हमूद पिछले 25 सालों से पुलिस की पकड़ से बचता आ रहा था। उस पर आरोप है कि महू में चिटफंड और इन्वेस्टमेंट स्कीम चलाकर उसने लोगों को पैसा दोगुना करने का झाँसा दिया और करोड़ों रुपए हड़प लिए। उसके शिकार सिर्फ कारोबारी ही नहीं बल्कि नौकरीपेशा परिवार भी बने थे।
महू पुलिस अधिकारी और इंदौर एसपी ग्रामीण योगचोन भूटिया ने जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस लगातार हमूद सिद्दीकी की तलाश में जुटी हुई थी लेकिन हमूद पुलिस की करवाई को देखते हुए अंडर ग्राउंड हो गया था। बकौल पुलिस, उसके बारे में किसी तरह की कोई जानकारी पुलिस को नहीं मिल रही थी और जब पूछताछ में उसकी लोकेशन का पता चला तो उसकी गिरफ्तारी हुई। 

खुद को शेयर ट्रेडिंग का बिजनेसमैन बताकर रह रहा था हमूद

दरअसल, दिल्ली ब्लास्ट में जब महू कनेक्शन सामने आया तो पुलिस ने जवाद सिद्दीकी और उसके परिवार की पुरानी गतिविधियों की जाँच शुरू की। इसी दौरान पुराने ठगी मामलों की फाइलें खुलीं और हमूद की तलाश तेज कर दी गई। पुलिस को शक है कि जवाद ने अपने फरार भाई के नाम पर अल-फलाह इन्वेस्टमेंट कंपनी बनाई थी, जिसके जरिये भारी मात्रा में लोगों से पैसे जुटाए गए।
हैदराबाद में फरारी के दौरान हमूद खुद को शेयर ट्रेडिंग का बिजनेसमैन बताकर रह रहा था। पुलिस ने उसके रिश्तेदारों और परिचितों की मदद से उसकी लोकेशन का पता लगाया और योजना बनाकर उसे पकड़ लिया। अब उसे महू लाया जाएगा, जहाँ उसके पुराने मामलों की विस्तृत जाँच की जाएगी।
माना जा रहा है कि महू छोड़ने के बाद हमूद किन-किन लोगों के संपर्क में रहा, उसकी आय किन रास्तों से आती रही और ठगी की रकम का इस्तेमाल कहाँ हुआ, इन सब की परतें अब एक-एक कर खोली जाएँगी।
क्या कांग्रेस की भूपेंद्र हुड्डा सरकार ने मात्र 100 में यूनिवर्सिटी को जगह दी थी? 
कहा जा रहा है कि ये हैं जवाद सिद्दीकी दिल्ली बम कांड के मास्टरमाइंड और कांग्रेस के अल्पसंख्यक सेल के इंचार्ज और अल फलाह यूनिवर्सिटी के मालिक। करोड़ों, अरबों की पोंजी स्कीम से लेकर यूनिवर्सिटी तक। इस यूनिवर्सिटी की परमिशन किसने दी थी, क्या आपको पता है? कहा जा रहा है कि कांग्रेस की भूपेन्द्र हुड्डा सरकार ने 2014 में।

हरियाणा की कांग्रेस सरकार ने बाकायदा नियम कानून और संविधान में संशोधन करके फरीदाबाद की बेशकीमती 60 एकड़ जमीन को बहुत कम कीमत में एक ठग और फ्रॉड जवाद अहमद सिद्दीकी को जो कि मध्य प्रदेश में फ्रॉड करके भागा था उसे दे दिया और इतना ही नहीं हरियाणा की कांग्रेस सरकार ने माइनॉरिटी विकास योजना के अंतर्गत यहां इस्लामिक यूनिवर्सिटी बनाने के लिए 60 करोड रुपए भी अलॉट किए, सोचिए जो कांग्रेस अदानी को जमीन देने पर छाती कूटती है वहीं कांग्रेस किस तरह से आतंक के अड्डे बनाने के लिए एक-दो नहीं बल्कि पूरे 60 एकड़ जमीन देती है। इस अल-फलाह यूनिवर्सिटी के अंदर एक विशाल मस्जिद बनी है और उस मस्जिद के इमाम के घर पर ही आतंकी मुजम्मिल शकील रहता था। पुलिस ने मस्जिद के इमाम को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है, मुजम्मिल शकील के परिवार वाले कह रहे हैं कि मेरे डॉक्टर बेटे को उसे इमाम ने ही ब्रेनवॉश करके आतंकी बनाया होगा।

अब इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो समय के साथ पता लग ही जाएगा क्योंकि भारतीय एजेंसियों ने जावेद को भी अपनी यूनिवर्सिटी के संपूर्ण दस्तावेज और लेनदेन के खातों सहित  पूछताछ के लिए बुला लिया है।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी की जमीन के बारे में कई आरोप लगाए गए हैं। कहा जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यह जमीन मात्र 100 रूपए में दी थी, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है। यूनिवर्सिटी की जमीन की जांच शुरू हो गई है, जिसमें यह पता लगाया जा रहा है कि जमीन का कितना हिस्सा उपयोग किया, किसने और कितने पैसे में जमीन बेची गई, और इसमें किस-किस का हाथ है।

जांच में यह भी पता चला है कि यूनिवर्सिटी ने जमीन खरीदने में कई नियमों का उल्लंघन किया है, जिसमें रास्तों पर कब्जा करना और किसानों को दबाव में लाकर जमीन बेचने के लिए मजबूर करना शामिल है।

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