INDI गठबंधन की नीचता कि थिरुपरंकुन्द्रम पहाड़ी पर कार्तिगई दीपम जलाने की अनुमति देने के निर्णय के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन पर महाभियोग चलाने का प्रस्ताव लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को देने का दुस्साहस कर दिया। इन कालनेमि हिन्दुओं को बेनकाब करने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली में जामा मस्जिद, निजामुद्दीन दरगाह, अजमेर दरगाह और अन्य मजारों की कमाई पर PIL दाखिल करनी चाहिए। इन जगहों की मोटी आय किन की जेब में जा रही है जबकि इनके रखरखाव पर सरकारी(वक़्फ़) पैसा खर्च किया जाता है, क्यों? जब सरकार मन्दिरों में आये चढ़ावे पर गिद्ध की नज़र रख सकती है मस्जिदों, दरगाहों और मजारों की अंधी कमाई पर क्यों नहीं?
सनातन प्रेमियों को उन हिन्दुओं का सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए जो अपने शक्तिशाली देवी-देवताओं को छोड़ दरगाहों पर जाकर खून-पसीने की कमाई चढ़ा कर अपने ही विरुद्ध इस्तेमाल करने की सहायता कर रहे हैं।
अभी कुछ दिन पहले चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था कि मंदिर का धन मंदिर के देवता का है और उसे केवल मंदिर के हितों के लिए बचाया, संरक्षित और उपयोग किया जाना चाहिए। यह किसी सहकारी बैंक के लिए आय या अस्तित्व का स्रोत नहीं बन सकता। जब विपक्ष जस्टिस स्वामीनाथन के मदुरई के थिरुपरंकुन्द्रम पहाड़ी पर कार्तिगई दीपम जलाने की अनुमति देने के निर्णय के खिलाफ उन पर महाभियोग चलाने का प्रस्ताव संसद में ला सकता है तो फिर मंदिर के धन को देवता का धन कहने पर विपक्ष को CJI सूर्यकांत के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव संसद में लाने की हिम्मत करनी चाहिए।
जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव लाने वाले दलों में DMK, कांग्रेस और सपा समेत कई दल शामिल हैं। ये चाहते हैं कि कोई जज हिंदुओं के संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण के लिए कोई निर्णय ही न दे, उसे बस मुस्लिमों के हक़ में निर्णय देना चाहिए। जस्टिस शेखर यादव ने हिंदू बहुसंख्यक समुदाय के उत्पीड़न की बात कर दी तो सिब्बल उनके खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव लाने की कोशिश कर रहा था। सबरीमाला मंदिर को मलिन करने के सुप्रीम कोर्ट के सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ने के निर्णय पर सारा लेफ्ट लिबरल कबाड़ खुश था लेकिन उस निर्णय के खिलाफ Review Petition की सुनवाई के लिए 8 साल से बेंच तक गठित नहीं हुई है।
Tamil Nadu Hindu Religious and Charitable Endowments (HRCE) Act of 1959 के जरिए तमिलनाडु सरकार करीब 40 हजार मंदिरों का धन लूट रही है लेकिन फिर भी सनातन धर्म को समाप्त करने का शोर मचाती है कांग्रेस के साथ। चीफ जस्टिस सूर्यकांत को चाहिए कि वे अगर समझते हैं कि मंदिर का धन उस मंदिर के देवता का होता है तो तमिलनाडु जैसे सभी बोर्ड भंग करें और मंदिरों से धन लेना बंद करने के आदेश दें।
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| लेखक चर्चित YouTuber |
एक तरफ राहुल गांधी चीख चीख कर कह रहा है कि मोदी सरकार संवैधानिक संस्थाओं पर कंट्रोल कर रही है जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस जजों को केवल कांग्रेस की नीति के अनुरूप निर्णय देने के लिए बाध्य करना चाहती है और जो ऐसे निर्णय नहीं देते, उनके खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव लाती है। तो कंट्रोल तो न्यायपालिका पर कांग्रेस चाहती है जैसा वो इंदिरा गांधी के समय से करती रही है जब कांग्रेस ने कहा था we want committed judiciary.
चीफ जस्टिस सूर्यकांत रोहिंग्याओं के विरोध में कुछ कहते हैं तो अर्बन नक्सल गिरोह के पूर्व जज और वकीलों को उनके पीछे लगा दिया जा रहा है। यानी विदेशी घुसपैठियों के लिए न्यायपालिका ही नहीं चीफ जस्टिस की जुबान पर भी अंकुश लगाना चाहते हैं।
अब समय आ गया है विपक्षी दलों को हिंदू एकजुट होकर हर चुनाव में जवाब दे जिससे विपक्ष की विचारधारा पर ही बुलडोज़र चलाया जा सके।
जस्टिस स्वामीनाथन का हम दिल से समर्थन करते है। वैसे विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव की हवा निकलना तय है क्योंकि जो बहुमत चाहिए वो उन्हें हटाने के लिए मिलना संभव नहीं है। स्वामीनाथन के निर्णय के खिलाफ आप सुप्रीम कोर्ट जा सकते है लेकिन विपक्ष को अराजकता फैलाने से मतलब है। जिस जज के घर से हजारों करोड़ के अधजले नोट मिले, उसे cover fire देने के लिए स्वामीनाथन के खिलाफ प्रस्ताव लाया है विपक्ष।

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