भारत आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित दुनिया का तीसरा देश है, जबकि देश में सुरक्षा बलों पर कई हमलों को अंजाम देने वाले नक्सलियों का संगठन सीपीआई-माओवादी चौथा बड़ा आतंकी संगठन है। यह बात एक अमेरिकी रिपोर्ट में कही गई है। अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, यह लगातार दूसरी बार है, जब भारत आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित देशों की सूची में तीसरे स्थान पर है।
साल 2015 तक पाकिस्तान आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित दुनिया का तीसरा देश था। अमेरिकी विदेश विभाग की यह रिपोर्ट गुरुवार को सामने आई, जिसमें 2017 में दुनिया के विभिन्न देशों में हुई हिंसक आतंकी घटनाओं का विश्लेषण किया गया। इसमें आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित देश इराक को बताया गया है। उसके बाद अफगानिस्तान को रखा गया है, जबकि तीसरे स्थान पर भारत है।
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में सबसे अधिक हमले नक्सलियों द्वारा किए जाते हैं। भारत में 2017 में हुए विभिन्न हमलों में 53 प्रतिशत के लिए सीपीआई-माओवादी को जिम्मेदार ठहराया गया है और इसे इस्लामिक स्टेट (IS), तालिबान और अल-शबाब के बाद दुनिया का चौथा बड़ा आतंकी समूह बताया गया है।
रिपोर्ट में साल 2017 में जम्मू एवं कश्मीर में आतंकी वारदातें बढ़ने का दावा भी किया गया है। इसके मुताबिक, 2017 में राज्य में आतंकी हमलों में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि इन हमलों में जान गंवाने वालों की संख्या में 89 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2017 में 860 आतंकी हमले हुए, जिनमें से 25 प्रतिशत अकेले जम्मू एवं कश्मीर में हुए।
देखिए, क्या आपका जिला है इस लिस्ट में
देश के 106 जिलों में नक्सली मौजूद हैं. देखिए, क्या आपका जिला है इस लिस्ट में, क्या आप गए हैं कभी किसी नक्सली इलाके में
बिहार के 22 जिले- अरवल, औरंगाबाद, भोजपुर, पूर्वी चंपारण, गया, जमुई, जहानाबाद, कैमूर, मुंगेर, नालंदा, नवादा, पटना, रोहतास, सीतामढ़ी, पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर, शिवहर, वैशाली, बांका, लखीसराय, बेगुसराय और खगड़िया.
उत्तर प्रदेश के 3 जिले- चंदौली, मिर्जापुर और सोनभद्र.
झारखंड के 21 जिले- बोकारो, चतरा, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, हजारीबाग, कोडरमा, लातेहार, लोहरदग्गा, पलामू, रांची, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, पश्चिम सिंहभूम, खूंटी, रामगढ़, दुमका, देवघर और पाकुड़.
छत्तीसगढ़ में 16 जिले- बस्तर, बीजापुर, दंतेवाडा, जशपुर, कांकेर, कोरिया, नारायणपुर, राजनांदगांव, सरगुजा, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद बालौद, सुकमा, कोंडागांव और बलरामपुर.
मध्य प्रदेश में 1 जिला- बालाघाट
पं. बंगाल में 4 जिले- बांकुरा, पश्चिम मिदनापुर, पुरुलिया और बीरभूम.
आंध्र प्रदेश के 16 जिले- अनंतपुर, आदिलाबाद, पूर्वी गोदावरी, गुंटूर, करीमनगर, खम्मम, करनूल, मेडक, महबूबनगर, नालगोंडा, प्रकाशम, श्रीककुलम, विशाखापट्टनम, विजयनगरम, वारंगल और निजामाबाद.
महाराष्ट्र के 4 जिले- चंदनपुर, गढ़चिरौली, गोंडिया और अहेरी.
उड़ीसा के 19 जिले- गजपति, गंजाम, क्योंझर, कोरापुट, मलकानगिरि, मयूरभंज, नवरंगपुर, रायगढ़, संभलपुर, सुंदरगढ़, नयागढ़, कंधमाल, देवगढ़, जयपुर, ढेंकनाल, कालाहांडी, नुआपाड़ा, बरगढ़ और बोलंगीर.
लगे आंध्रप्रदेश में पुलिस का नेटवर्क तगड़ा होने के भय से माओवादी वहां जाने से डरते हैं। जिससे मध्यप्रदेश के जंगलों की ओर माओवादी भागते हैं। माओवादियों ने मध्यप्रदेश में सुरक्षित पनाह लेने के लिए राजनांदगांव के रास्ते नया कॉरीडोर बनाया है। वे नारायणपुर, कांकेर के जंगली इलाके से राजनांदगांव के जंगलों से होकर मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिले शहडोल, मंडला, डिंडौरी, बालाघाट पहुंचते हैं। इसके साथ ही उमरिया और अनूपपुर के जंगलों को भी संभावित माना जाता है। बालाघाट में वर्चस्व गंवा चुके नक्सली संगठन पीपुल्स वार ग्रुप (पीडब्ल्यूजी) ने दोबारा अपना दबदबा बनाने के लिए गोपनीय तरीके से एक बड़ी योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि नक्सलियों ने इस जिले को अपनी दमदार मौजूदगी वाले महाराष्ट्र के गढ़चिरौली डिवीजन में शामिल कर अपने पुराने तीनों दलम मलाज खंड, परसवाड़ा और टांडा की गतिविधियां तेज कर दी है। नक्सलियों की योजना छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा से लगे बालाघाट जिले को अपना डिवीजनल मुख्यालय बनाकर इसे पश्चिम बंगाल के लालगढ़ के अभेद्य दुर्ग की तरह बनाने की तैयारी है। बालाघाट में पिछले कुछ सालों में नक्सलियों के केवल एक दलम मलाजखंड की सक्रियता देखी गई है। इसमें नक्सलियों की संख्या आमतौर पर 14 या 15 ही रही है। जबकि यहां पूर्व में सक्रिय रहे परसवाड़ा और टांडा दलम की यहां मौजूदगी न के बराबर ही बची थी। लेकिन पिछले कुछ माह से यहां नक्सलियों के चार-पांच ग्रुपों के मौजूद होने की खबरें पुलिस को मिल रही हैं। इन ग्रुपों ने लांजी और पझर थाना क्षेत्र के अलावा भरवेली, हट्टा, बैहर, किरनापुर और बालाघाट के ग्रामीण थाना क्षेत्रों में भी मूवमेंट बढ़ा दी है। बालाघाट के पुलिस अधीक्षक गौरव कुमार तिवारी कहते हैं कि नक्सलियों की गतिविधियों को पूरी तरह समाप्त करने की दिशा में पुलिस एक्शन प्लान भी चला रही हैं। इसके साथ ही विशेष बल भी जंगलों में लगातार सर्चिग कर रहा है। हाल ही में हमने नक्सलियों का एक सरगना पकड़ाया है। जिसे रिमांड में लेकर लगातार पूछताछ भी चल रही है। इससे कई अहम सुराग भी सामने आ सकता है।
प्रदेश के आठ जिले बारूद के ढेर पर
गृह मंत्री बाबूलाल गौर कहते हैं कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में नक्सलवादियों द्वारा की जा रही बड़ी वारदातें मप्र के लिए भी खतरे की घंटी हैं। केंद्र सरकार ने बालाघाट को ही नक्सल प्रभावित माना है जबकि सीधी, सिंगरौली, मंडला, डिंडौरी, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया आदि जिले भी नक्सल प्रभावित हैं। प्रदेश पुलिस की सतर्कता के कारण अभी यहां नक्सलवाद पूरी तरह सक्रिय नहीं हो पा रहा है। गृहमंत्री के इन दावों के इतर सत्य यह है कि भोपाल सहित करीब एक दर्जन से ज्यादा जिलों में नक्सली अपनी आमद दे चुके हैं। मप्र में घटनाओं, गतिविधियों और भौगोलिक दृष्टि से शासन ने भले ही 8 जिलों को नक्सल प्रभावित माना है। लेकिन इनकी गतिविधियां अन्य जिलों में भी चल रही है। इनमें बालाघाट के बाद सिंगरौली ही सर्वाधिक नक्सल प्रभावित माना गया है। लेकिन केन्द्र सरकार ने एसआरई में केवल बालाघाट को ही नक्सल प्रभावित जिले का दर्जा दिया है। एसआरई के तहत आने वाले जिले में नक्सलवाद को खत्म करने सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर प्रयास किए जाते हैं।
इसके लिए केन्द्र सरकार अलग से आर्थिक मदद करता है। मालवा-निमाड़ के आदिवासी जिले धार-बड़वानी में नक्सली से हटकर दूसरे तरह की गतिविधियां सामने आ चुकी हैं। इसलिए सुरक्षा के नाते इन जिलों को भी सतत निगरानी के लिए रखा गया है। फिलहाल, बालाघाट में नक्सल मूवमेंट रोकने और प्रभावित दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में अब सड़क, पुल-पुलिया सहित अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट के काम को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार स्पेशल इंडियन रिजर्व बटालियन (एसआईआरबी) का गठन करेगी। इसमें सात कंपनियां होंगी, जिसमें दो में सिर्फ इंजीनियरिंग वाले अफसर और जवान ही रहेंगे। गृह मंत्रालय की अनुमति के बाद राज्य सरकार ने बटालियन के गठन का प्रस्ताव तैयार किया है। इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। दरअसल केन्द्र सरकार इन क्षेत्रों के विकास के लिए भारी भरकम पैकेज तो दे रहा है, लेकिन नक्सली गतिविधियों के चलते सरकारी एजेंसी या निजी ठेकेदार विकास कार्य पूरा नहीं कर पाते। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए नक्सल प्रभावित जिलों की कमान अब एसआईआरबी को सौंपी जा रही है। 1070 जवानों वाली बटालियन में पांच कंपनियों में 770 अफसर और जवान होंगे। वहीं इंजीनियरिंग वाली दो कंपनियों में 300 अफसर और जवान रहेंगे। इस बटालियन के लिए केन्द्र सरकार सात वर्ष तक 65 फीसदी राशि देगी शेष 35 फीसदी राज्य सरकार को मिलाना होगी।
टाइगर रिजर्व बने सुरक्षित स्थान
मप्र में पेंच, कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व होने के कारण यहां आरक्षित वन हैं। जंगल होने से इनमें मानव एवं सुरक्षाबलों की गतिविधियां कम हैं। इस कारण माओवादियों के लिए यह सुरक्षित स्थान बनते जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सीमावर्ती जंगलों में माओवादियों की गतिविधियां बढ़ रही हैं। नर्मदा, टांडा और सोन नदी को माओवादी लंबे समय से आवाजाही के लिए उपयोग करते आ रहे हैं। नक्सल प्रभावित माना जाने वाले बालाघाट में माओवादियों के अभी भी कई दलम सक्रिय हैं। टांडा दलम से लेकर मलाजखण्ड, देवरी और परसबाड़ा दलम की एक्टिविटी मिलती है। माओवादी छत्तीसगढ़ में वारदात करने के बाद मप्र को छिपने के लिए उपयोग कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो माओवादी सुरक्षा के दबाव के चलते टांडा और सोन नदी का भी उपयोग करते हैं।
भारत आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित तीसरा देश
साल 2015 तक पाकिस्तान आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित दुनिया का तीसरा देश था। अमेरिकी विदेश विभाग की यह रिपोर्ट गुरुवार को सामने आई, जिसमें 2017 में दुनिया के विभिन्न देशों में हुई हिंसक आतंकी घटनाओं का विश्लेषण किया गया। इसमें आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित देश इराक को बताया गया है। उसके बाद अफगानिस्तान को रखा गया है, जबकि तीसरे स्थान पर भारत है।रिपोर्ट के मुताबिक, देश में सबसे अधिक हमले नक्सलियों द्वारा किए जाते हैं। भारत में 2017 में हुए विभिन्न हमलों में 53 प्रतिशत के लिए सीपीआई-माओवादी को जिम्मेदार ठहराया गया है और इसे इस्लामिक स्टेट (IS), तालिबान और अल-शबाब के बाद दुनिया का चौथा बड़ा आतंकी समूह बताया गया है।
रिपोर्ट में साल 2017 में जम्मू एवं कश्मीर में आतंकी वारदातें बढ़ने का दावा भी किया गया है। इसके मुताबिक, 2017 में राज्य में आतंकी हमलों में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि इन हमलों में जान गंवाने वालों की संख्या में 89 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2017 में 860 आतंकी हमले हुए, जिनमें से 25 प्रतिशत अकेले जम्मू एवं कश्मीर में हुए।
देखिए, क्या आपका जिला है इस लिस्ट में
देश के 106 जिलों में नक्सली मौजूद हैं. देखिए, क्या आपका जिला है इस लिस्ट में, क्या आप गए हैं कभी किसी नक्सली इलाके में
बिहार के 22 जिले- अरवल, औरंगाबाद, भोजपुर, पूर्वी चंपारण, गया, जमुई, जहानाबाद, कैमूर, मुंगेर, नालंदा, नवादा, पटना, रोहतास, सीतामढ़ी, पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर, शिवहर, वैशाली, बांका, लखीसराय, बेगुसराय और खगड़िया.
उत्तर प्रदेश के 3 जिले- चंदौली, मिर्जापुर और सोनभद्र.
झारखंड के 21 जिले- बोकारो, चतरा, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, हजारीबाग, कोडरमा, लातेहार, लोहरदग्गा, पलामू, रांची, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, पश्चिम सिंहभूम, खूंटी, रामगढ़, दुमका, देवघर और पाकुड़.
छत्तीसगढ़ में 16 जिले- बस्तर, बीजापुर, दंतेवाडा, जशपुर, कांकेर, कोरिया, नारायणपुर, राजनांदगांव, सरगुजा, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद बालौद, सुकमा, कोंडागांव और बलरामपुर.
पं. बंगाल में 4 जिले- बांकुरा, पश्चिम मिदनापुर, पुरुलिया और बीरभूम.
आंध्र प्रदेश के 16 जिले- अनंतपुर, आदिलाबाद, पूर्वी गोदावरी, गुंटूर, करीमनगर, खम्मम, करनूल, मेडक, महबूबनगर, नालगोंडा, प्रकाशम, श्रीककुलम, विशाखापट्टनम, विजयनगरम, वारंगल और निजामाबाद.
महाराष्ट्र के 4 जिले- चंदनपुर, गढ़चिरौली, गोंडिया और अहेरी.
उड़ीसा के 19 जिले- गजपति, गंजाम, क्योंझर, कोरापुट, मलकानगिरि, मयूरभंज, नवरंगपुर, रायगढ़, संभलपुर, सुंदरगढ़, नयागढ़, कंधमाल, देवगढ़, जयपुर, ढेंकनाल, कालाहांडी, नुआपाड़ा, बरगढ़ और बोलंगीर.
मप्र के जंगल नक्सलियों की पनाहगार
छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे मध्यप्रदेश के घने जंगल माओवादियों की पनाहगार बनते जा रहे हैं। माओवादियों के लिए ओडिशा, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सुरक्षित पनाहगार है। छत्तीसगढ़ की सीमा सेप्रदेश के आठ जिले बारूद के ढेर पर
गृह मंत्री बाबूलाल गौर कहते हैं कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में नक्सलवादियों द्वारा की जा रही बड़ी वारदातें मप्र के लिए भी खतरे की घंटी हैं। केंद्र सरकार ने बालाघाट को ही नक्सल प्रभावित माना है जबकि सीधी, सिंगरौली, मंडला, डिंडौरी, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया आदि जिले भी नक्सल प्रभावित हैं। प्रदेश पुलिस की सतर्कता के कारण अभी यहां नक्सलवाद पूरी तरह सक्रिय नहीं हो पा रहा है। गृहमंत्री के इन दावों के इतर सत्य यह है कि भोपाल सहित करीब एक दर्जन से ज्यादा जिलों में नक्सली अपनी आमद दे चुके हैं। मप्र में घटनाओं, गतिविधियों और भौगोलिक दृष्टि से शासन ने भले ही 8 जिलों को नक्सल प्रभावित माना है। लेकिन इनकी गतिविधियां अन्य जिलों में भी चल रही है। इनमें बालाघाट के बाद सिंगरौली ही सर्वाधिक नक्सल प्रभावित माना गया है। लेकिन केन्द्र सरकार ने एसआरई में केवल बालाघाट को ही नक्सल प्रभावित जिले का दर्जा दिया है। एसआरई के तहत आने वाले जिले में नक्सलवाद को खत्म करने सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर प्रयास किए जाते हैं।
इसके लिए केन्द्र सरकार अलग से आर्थिक मदद करता है। मालवा-निमाड़ के आदिवासी जिले धार-बड़वानी में नक्सली से हटकर दूसरे तरह की गतिविधियां सामने आ चुकी हैं। इसलिए सुरक्षा के नाते इन जिलों को भी सतत निगरानी के लिए रखा गया है। फिलहाल, बालाघाट में नक्सल मूवमेंट रोकने और प्रभावित दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में अब सड़क, पुल-पुलिया सहित अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट के काम को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार स्पेशल इंडियन रिजर्व बटालियन (एसआईआरबी) का गठन करेगी। इसमें सात कंपनियां होंगी, जिसमें दो में सिर्फ इंजीनियरिंग वाले अफसर और जवान ही रहेंगे। गृह मंत्रालय की अनुमति के बाद राज्य सरकार ने बटालियन के गठन का प्रस्ताव तैयार किया है। इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। दरअसल केन्द्र सरकार इन क्षेत्रों के विकास के लिए भारी भरकम पैकेज तो दे रहा है, लेकिन नक्सली गतिविधियों के चलते सरकारी एजेंसी या निजी ठेकेदार विकास कार्य पूरा नहीं कर पाते। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए नक्सल प्रभावित जिलों की कमान अब एसआईआरबी को सौंपी जा रही है। 1070 जवानों वाली बटालियन में पांच कंपनियों में 770 अफसर और जवान होंगे। वहीं इंजीनियरिंग वाली दो कंपनियों में 300 अफसर और जवान रहेंगे। इस बटालियन के लिए केन्द्र सरकार सात वर्ष तक 65 फीसदी राशि देगी शेष 35 फीसदी राज्य सरकार को मिलाना होगी।
टाइगर रिजर्व बने सुरक्षित स्थान
मप्र में पेंच, कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व होने के कारण यहां आरक्षित वन हैं। जंगल होने से इनमें मानव एवं सुरक्षाबलों की गतिविधियां कम हैं। इस कारण माओवादियों के लिए यह सुरक्षित स्थान बनते जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सीमावर्ती जंगलों में माओवादियों की गतिविधियां बढ़ रही हैं। नर्मदा, टांडा और सोन नदी को माओवादी लंबे समय से आवाजाही के लिए उपयोग करते आ रहे हैं। नक्सल प्रभावित माना जाने वाले बालाघाट में माओवादियों के अभी भी कई दलम सक्रिय हैं। टांडा दलम से लेकर मलाजखण्ड, देवरी और परसबाड़ा दलम की एक्टिविटी मिलती है। माओवादी छत्तीसगढ़ में वारदात करने के बाद मप्र को छिपने के लिए उपयोग कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो माओवादी सुरक्षा के दबाव के चलते टांडा और सोन नदी का भी उपयोग करते हैं।
No comments:
Post a Comment