केरल : बोगस वोटिंग दिखाने पर मुस्लिम लीग गुंडों ने पत्रकार को पीट दिया ; चुनाव आयोग ने क्या कार्यवाही की? क्या वहां का चुनाव रद्द होगा?

                              सीपीएम विधायक सीएच कुन्हाबु से धक्का मुक्की (साभार: onmanorama)
केरल के कासरगोड में शुक्रवार (26 अप्रैल 2024) को फर्जी मतदान की रिपोर्टिंग करने गए चार पत्रकारों पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के संदिग्ध कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया। इस दौरान पत्रकारों से मारपीट की गई और उनके कपड़े तक फाड़ दिए गए। मुस्लिम लीग के कार्यकर्ताओं ने पिटाई करने के बाद पत्रकारों को वहाँ से भगा दिया।
चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त स्टाफ और पुलिस ने उच्च अधिकारीयों को तुरंत सूचित किया? क्या  उन्होंने Returning Officer को सूचित किया? यदि नहीं, क्यों? अगर सूचित किया तो Returning Officer ने क्या कार्यवाही की? यह सिर्फ कासरगोड ही नहीं, भारत में शायद हो कोई ऐसा अनोखा पोलिंग बूथ होगा, जहां फर्जी वोटिंग न होता हो। लेकिन इसको रोकने में आज तक चुनाव आयोग पूरी तरफ से नकारा ही है। यह आरोप नहीं, कटु सत्य है। पोलिंग एजेंट से लेकर चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त स्टाफ तक कोई झूठला नहीं सकता। आधार कार्ड, चुनाव मतदान कार्ड सब बेकार। एक सुहागन को 500 रूपए के लिए अपना सिन्दूर पोंछ बुर्का पहनकर फर्जी वोट डालते देखा गया है। पार्टियों के प्रतिनिधियों को सुबह और शाम पोलिंग बूथ में EVM चैक करने और सील करने के लिए अंदर जाने की अनुमति होनी चाहिए। समाजसेवक के नाम पर किसी को बूथ में जाने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। 

घटना कासरगोड के चेंगला स्थित सरकारी हाई स्कूल के बूथ की है। यहाँ पर फर्जी मतदान की खबर मिलते ही कैराली न्यूज के रिपोर्टर शिजू कन्नन, चैनल के कैमरामैन शैजू पिलाथारा, मातृभूमि न्यूज के रिपोर्टर सारंग और मातृभूमि अखबार के रिपोर्टर प्रदीप जीएन बूथ पर पहुँचे और रिपोर्टिंग की कोशिश की। इसी दौरान IUML कार्यकर्ताओं ने उनके साथ मारपीट की।

दरअसल, मतदान के दिन दोपहर में मार्क्सवादी पार्टी के एजेंटों ने स्कूल में बूथ संख्या 113, 114 और 115 में बड़े पैमाने पर फर्जी मतदान की सूचना अपने पार्टी के अधिकारियों को दी। उन्होंने यह भी बताया कि IUML के कार्यकर्ता उन्हें मतदान केंद्र पर बैठने नहीं दे रहे हैं। इसके बाद CPM चुनाव प्रबंधक कासरगोड विधानसभा क्षेत्र में IUML के गढ़ चेंगला के स्कूल पहुँचे।

एलडीएफ चुनाव समिति के संयोजक केपी सतीश चंद्रम ने आरोप लगाया कि मुस्लिम लीग के कार्यकर्ता उन लोगों के वोट डाल रहे थे, जो केरल में मौजूद नहीं थे। उन्होंने कहा, “हमने जिला निर्वाचन अधिकारी के पास शिकायत दर्ज कराई है।” सतीश चंद्रम ने इसकी जानकारी मीडिया को भी दी। इसके साथ ही उदमा के विधायक और सीपीएम के जिला सचिव को भी इसके बारे में बताया।

जब मीडिया घटना की रिपोर्टिंग के लिए पहुँची तो IUML के कार्यकर्ताओं ने रिपोर्टिंग नहीं करने के लिए कहा और वहाँ से तुरंत भागने के लिए धमकाया। उसी समय उदमा विधायक और कार्यवाहक सीपीएम जिला सचिव कुन्हाम्बु स्कूल पहुँचे। उन्होंने कहा, “IUML कार्यकर्ताओं ने विधायक के साथ मारपीट करने की कोशिश की, लेकिन कासरगोड विधायक एनए नेल्लिकुन्नु ने हस्तक्षेप कर मामले को सुलझाया।”

इधर, हमले के शिकार पत्रकारों ने इसकी शिकायत पुलिस और जिला कलेक्टर से की है। कलेक्टर इनबासेकर ने एक बयान में कहा कि उन्होंने बूथ संख्या 115 पर फर्जी मतदान पर कार्रवाई की है। हालाँकि, उन्होंने की गई कार्रवाई के बारे में विस्तार से नहीं बताया।

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केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग UDF (यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) गठबंधन में कॉन्ग्रेस की सहयोगी दल है। इस गठबंधन में और भी कई छोटे-छोटे दल हैं। वहीं, दूसरी तरफ CPM की अगुवाई वाली LDF (लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट) गठबंधन है। इसमें सीपीएम और सीपीआई सहित कई दल हैं। फिलहाल मुख्यमंत्री विजयन पिनराई के नेतृत्व में केरल में LDF की सरकार है।

पश्चिम बंगाल : संदेशखाली में TMC नेता हफीजुल खान के ठिकाने पर CBI को छापे में मिला गोला बारूद और विदेशी पिस्टल: शाहजहाँ शेख का है करीबी; ममता देश को बताओ बारूद क्यों जमा किया जा रहा था?

यह छापेमारी 5 जनवरी के हमले के संबंध में बताई जा रही है (चित्र साभार: HT & India today)
केन्द्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में शुक्रवार (26 अप्रैल, 2024) को छापेमारी की है। CBI को संदेशखाली में बड़ी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद हुए हैं। CBI संदेशखाली में ED टीम पर हुए जनवरी, 2025 में हुए हमले की जाँच कर रही है।
अब इस जाँच को रुकवाने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव आयोग के आगे रोना रोने भागी हैं, लेकिन जो बारूद पकड़ में आ रहा है, उसमे चुनाव आयोग क्या करेगा? ममता कब तक कितने उपद्रवियों को बचाओगी? देश को बताओ कि ये असला किस लिए जमा किया जा रहा था? CBI हर मुस्लिम बहुल क्षेत्र की सघन जाँच करनी चाहिए। अगर आर्मी की मदद की जरुरत पड़े तो मदद लेनी चाहिए। विशेषकर बांग्लादेश से सटे क्षेत्रों की बहुत ही गंभीरता से तलाशी लेनी चाहिए। केंद्र सरकार को इन आरोपियों को मिलने वाली हर सरकारी सुविधा तुरंत वापस ले लेनी चाहिए, जेल में एक समय का नाश्ता/रिफ्रेशमेंट और एक समय का खाना। दामाद की तरह मत पालो इन उपद्रवियों। 

CBI ने संदेशखाली में शाहजहाँ शेख के एक करीबी के घर पर छापेमारी की है जहाँ से उसे बड़ी मात्रा में हथियार बरामद हुए हैं। बताया जा रहा है कि यहाँ से उसे विदेश में बने हथियार तक बरामद हुए हैं। CBI की टीम केन्द्रीय सुरक्षा बलों के साथ यहाँ पहुँची है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, CBI की टीम संदेशखाली के सर्बेरिया इलाके में छापेमारी करने पहुँची है जहाँ उसने शाहजहाँ के एक करीबी हफीजुल खान के घर से यह हथियार बरामद किए हैं। हफीजुल भी तृणमूल कांग्रेस का नेता बताया जा रहा है।

CBI 5 जनवरी, 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) पर संदेशखाली में हुए हमले के सिलसिले में यह छापेमारी करने पहुँची है। CBI की यह छापेमारी सुबह से ही जारी है। इस मामले में अभी बंगाल सरकार की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

5 जनवरी, 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एक टीम संदेशखाली में पूछताछ करने गई थी। यह टीम राशन घोटाला मामले में शेख शाहजहाँ से पूछताछ करने पहुँची थी। इस दौरान ED और केन्द्रीय सुरक्षा बलों की टीम पर शाहजहाँ के गुंडों ने हमला बोल दिया था।

उनकी गाड़ियाँ तोड़ दी थीं और अधिकारियों को घायल कर दिया था। इस हमले में तीन अधिकारी घायल हो गए थे। ED की टीम काफी मुश्किल से यहाँ से निकल पाई थी। इसके बाद इस हमले के मामले में FIR दर्ज हुई थी।

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पश्चिमी बंगाल : TMC नेता जिन्ना अली बना रहा था देसी बम, हाथ में ही हो गया ब्लास्ट: बुरी तरह घायल, EC ने

इस हमले के लगभग एक महीने के बाद संदेशखाली का भयावह सच देश के सामने आना चालू हुआ था। पूर्व TMC नेता और स्थानीय दबंग शेख शाहजहाँ और कुछ अन्य नेताओं पर महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगे थे। इसके अलावा इन पर लोगों की जमीन कब्जाने, मारने पीटने और धमकाने के आरोप भी लगे थे। शेख शाहजहाँ पहले फरार हो गया था लेकिन बाद में वह पकड़ा गया था। वर्तमान में वह केन्द्रीय एजेंसियों की हिरासत में है।

‘केजरीवाल के लिए राष्ट्रहित से ऊपर व्यक्तिगत हित’: भड़का हाई कोर्ट, जेल से सरकार चलाने के कारण दिल्ली के 2 लाख+ स्टूडेंट को न किताब मिली, न ड्रेस; क्या केजरीवाल कोर्ट को कोई सख्त फैसला लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं?

शराब घोटाले में जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई। यानि कोर्ट ने केजरीवाल को इस्तीफा नहीं देने के कारण दिल्ली को हो रहे नुकसान पर सख्त आदेश देने के संकेत दे दिए हैं। हर जगह केजरीवाल की तानाशाही काम नहीं आने वाली। हाई कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल राष्ट्रहित से ऊपर अपना व्यक्तिगत हित रखते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि उनके जेल में होने के कारण दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में 2 लाख विद्यार्थियों को किताब एवं यूनिफॉर्म मिलने में देरी हो रही है।

केजरीवाल पहले खुद ही कह चुके हैं कि 'मैं anarchy हूँ' लेकिन ये anarchy मुख्यमंत्री बने केजरीवाल को नहीं मालूम कि सांप का फन कैसे कुचला जाता है। हर जिद की एक सीमा होती है। सीमा से बाहर जाने पर होने वाली कार्यवाही को उचित ही कहा जायेगा अनुचित नहीं। केजरीवाल दिल्ली की जनता और स्कूल के छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ मत करो। घोटाले करके ईमानदार मत बनो। 

दरअसल, ‘सोशल ज्यूरिस्ट’ नाम के एक NGO ने एक जनहित याचिका दाखिल करके कहा है कि नगर निगम के स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को अब तक किताबें नहीं मिली हैं। इस पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली सरकार को सिर्फ सत्ता की चाह है।

बेंच ने कहा, “किताब और यूनिफॉर्म बँटवाना कोर्ट का काम नहीं है। हम ये इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि कोई अपना काम नहीं कर रहा है… आपके क्लाइंट (दिल्ली सरकार) को सिर्फ सत्ता में दिलचस्पी है। मैं नहीं जानता कि आप कितनी शक्ति चाहते हैं? समस्या यह है कि आप शक्ति को हथियाने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके कारण आपको शक्ति नहीं मिल रही है।”

इस पर दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने कोर्ट को बताया कि MCD की स्थायी समिति की गैर-मौजूदगी में किसी अधिकारी को शक्ति देने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति जरूरी है। मुख्यमंत्री अभी हिरासत में हैं, इसलिए देरी हो रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि ये कोई बहाना नहीं हो सकता।

इस पर जस्टिस मनमोहन ने कहा कि खुद हाई कोर्ट अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की माँग वाली कई याचिकाओं को खारिज कर चुका है। उन्होंने कहा, “आपने कहा है कि मुख्यमंत्री के हिरासत में होने के बावजूद सरकार जारी रहेगी। आप हमें उस रास्ते पर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जिस पर हम नहीं जाना चाहते थे। यदि आप चाहते हैं कि हम इस पर टिप्पणी करें, तो हम पूरी सख्ती से करेंगे।”

कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब ये नहीं है कि इस मामले को ऐसे ही छोड़ दिया जाए। कोर्ट ने आगे कहा कि अगर स्टैंडिंग कमिटी किसी भी वजह से नहीं बन पा रही है तो दिल्ली सरकार किसी उपयुक्त अथॉरिटी को वित्तीय अधिकार दे। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि वो इस मामले में दो दिन के अंदर जरूरी कार्रवाई करे।

भाजपा का दिल्ली सरकार पर हमला

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रामवीर बिधूड़ी ने कहा क‍ि मुख्यमंत्री केजरीवाल की जेल से सरकार चलाने की जिद से संवैधानिक संकट गहराता जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की सिफारिश के अभाव में द‍िल्‍ली नगर न‍िगम में मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव स्थगित हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में पिछले 35 दिनों से कैबिनेट की बैठक नहीं हुई है। राजधानी में बिजली और पानी का समर प्लान नहीं बना है। पिछले साल डूबने के बावजूद मॉनसून के दौरान राजधानी को बचाने के लिए कोई मीटिंग नहीं हो रही है। पूरा प्रशासन ठप पड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि इस मामले में उपराज्यपाल को हस्तक्षेप करना चाहिए।

शराब घोटाले में नष्ट किए सबूत

शराब घोटाले में जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट में अपनी बात रखी है। हलफनामे में ED ने कहा, “घोटाले की अवधि में और जब 2021-22 की दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति में घोटाला और अनियमितताएँ सार्वजनिक हो गईं, तब 36 व्यक्तियों (आरोपित और इसमें शामिल अन्य व्यक्तियों) द्वारा कुल 170 से अधिक मोबाइल फोन बदले/नष्ट किए गए।”
हलफनामे में आगे कहा गया है, “घोटाले और धन के लेन-देन के महत्वपूर्ण डिजिटल सबूतों को आरोपियों और इसमें शामिल अन्य व्यक्तियों द्वारा सक्रिय रूप से नष्ट कर दिया गया है। सबूतों के इतने सक्रिय और आपराधिक विनाश के बावजूद एजेंसी महत्वपूर्ण सबूतों को फिर से हासिल करने में सक्षम रही है, जो सीधे तौर पर प्रक्रिया में याचिकाकर्ता का खुलासा करती है।”

सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच VVPAT पर विपक्ष को बेनकाब करती है तो दूसरी बेंच केंद्र सरकार पर एक याचिका दायर करने के लिए 5 लाख रुपये जुर्माना लगा कर मानसिक दिवालिया होने का सबूत दे गई

सुभाष चन्द्र

अप्रैल 25 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मेघालय हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ अपील दायर करने को “तुच्छ याचिका” कह कर केंद्र सरकार पर 5 लाख रुपये का जुर्माना ठोक दिया और चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी तुच्छ याचिकाएं दायर न की जाए। 

हाई कोर्ट के फैसले कोई ब्रह्मा जी की कलम से लिखे हुए नहीं होते जिनके खिलाफ अपील न की जा सके और ऐसा करने का अधिकार यदि हर किसी को है तो केंद्र सरकार को भी है अगर आपको अपील में जान नहीं लगती थी तो ख़ारिज कर देते लेकिन उसे तुच्छ कहना और सरकार पर जुर्माना ठोकना साबित करता है कि अहंकार से भरे आप लोग “तानाशाही” की तरफ बढ़ रहे हैं जिन्हे बस अपनी हुकूमत चलानी है आप केंद्र को मजबूर कर रहे हैं कि मौका देख कर आपके पर क़तर दे

लेखक 
दोनों जजों को यह मालूम होना चाहिए कि अटॉर्नी जनरल और ASGs सुप्रीम कोर्ट के जज की तरह ही रुतबा रखते हैं, उन जजों से वो कम नहीं होते और इसलिए उनकी दायर की गई याचिकाओं को तुच्छ कह कर आप अपने आप को “तुच्छ” साबित कर रहे हैं 

EVM के खिलाफ 40 याचिकाएं खारिज होने पर भी जो प्रशांत भूषण VVPAT पर याचिका दायर करता है और जिरह में मानता है कि EVM/VVPAT में अभी तक कोई गड़बड़ नहीं हुई लेकिन कोर्ट की दूसरी बेंच उसकी याचिका सुनती है और कोई जुर्माना नहीं लगाती इतना ही नहीं प्रशांत भूषण के केवल इतना कहने पर कि अब तक गड़बड़ी नहीं हुई मगर हो सकती है, सुप्रीम कोर्ट कैसे सुनवाई कर सकता है क्या 40 याचिकाएं खारिज होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट पर संशय रह गया था

अप्रैल 26 को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने साफ़ कह दिया कि EVM और VVPAT का 100% मिलान नहीं हो सकता और यह मांग करना पुराने दौर में वापस जाना है जो संभव नहीं है

वोट और VVPAT से मिलान तो वोट डालते हुए ही हो जाता है आज मैं जब वोट डालने गया तो पाया कि VVPAT इतने समय तक साफ़ Display हुआ जिसे देख कर मुझे पता चल रहा था कि वोट कहां गया लेकिन फिर भी विपक्ष हाय तौबा मचाए हुए है 

आज के फैसले के बाद भी विपक्ष को होश नहीं आ रहा अखिलेश यादव नारा दे रहा है “इंडी को जिताएं, EVM हटाएं” विपक्ष को पता है उनके पास बाहुबली हैं जो मतपेटियों को उड़ाने में और फर्जी मतपत्रों की पेटियों को सजाने में माहिर होते हैं, वो लोग भी कई साल से “बेरोजगार” बैठे हैं हर पार्टी में जिनके रोजगार का प्रबंध करना है विपक्ष को 

अब भविष्य में यदि विपक्ष की तरफ से EVM/VVPAT के खिलाफ कोई याचिका दायर की जाए तो सुने बिना ही 10 लाख का जुर्माना लगा कर घर भेज दिया जाए क्या इतनी हिम्मत करेगा सुप्रीम कोर्ट?

‘मुस्लिमों का संसाधनों पर पहला दावा’, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2009 में दोहराया था 2006 वाला बयान

         मनमोहन सिंह मुस्लिमों को पहला हक़ वाले बयान पर कायम थे (चित्र साभार: BJP4India/X & TOI)
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2009 लोकसभा चुनावों के समय ‘मुस्लिमों का देश के संसाधनों पर पहला हक’ वाला बयान दोहराया था। इसका एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह अपने पुराने बयान पर कायम रहने की बात करते हैं। भाजपा ने इस वीडियो के जरिए कांग्रेस पर हमला बोला है।

भाजपा ने एक्स (पहले ट्विटर) पर मनमोहन सिंह का एक वीडियो डालते हुए लिखा है, “अप्रैल 2009 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले डॉ मनमोहन सिंह ने अपना बयान दोहराया था कि अल्पसंख्यकों जिसमें विशेष कर गरीब मुसलमानों को देश के संसाधनों के विषय में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह अपने पूर्व बयान पर कायम हैं जिसमें कहा गया था कि संसाधनों के मामले में मुसलमानों का पहला अधिकार होना चाहिए।”

भाजपा ने आगे लिखा, “डॉ मनमोहन सिंह का यह स्पष्ट बयान कांग्रेस के झूठ और उनके पहले के बयान पर दी गई सफाई को ध्वस्त करता है। साथ ही यह इस बात को सिद्ध करता है कि मुसलमानों को तरजीह देना कांग्रेस पार्टी की स्पष्ट नीति है। यह आरक्षण से लेकर संसाधनों तक हर चीज में मुस्लिमों को प्राथमिकता देने की कांग्रेस की मानसिकता का एक और साक्ष्य है।”

इस वीडियो में मनमोहन सिंह कहते सुने जा सकते हैं, “मैनें यह नहीं कहा (सुना नहीं जा सका)… मैंने कहा कि अल्पसंख्यक और विशेषकर मुस्लिम अल्पसंख्यक, अगर वह गरीब हैं तो उनका देश के संसाधनों पर पहला दावा बनता है, मैंने कहा कि सब तरह के अल्पसंख्यक और साथ में जोड़ा कि विशेषकर मुस्लिम अल्पसंख्यक का हक़ है, मैं अपने इस बयान पर कायम हूँ।” इस बयान में पीएम मनमोहन सिंह अपने 2006 के एक बयान की बात कर रहे थे।

मनमोहन सिंह ने दिसम्बर 2006 में एक कार्यक्रम में कहा था, “हमें अल्पसंख्यकों और विशेष कर मुस्लिमों, के लिए ऐसी योजनाएँ बनानी होंगी जिससे वह हमारे विकास के लाभ का समान रूप से लाभ ले सकने के लिए सशक्त हों। उनका संसाधनों पर पहला दावा हो।” यह बात पीएमओ की वेबसाइट पर भी लिखी हुई है। इस बयान के बाद खूब बवाल मचा था। इस बयान के अगले दिन पीएमओ ने सफाई भी पेश की थी। हालाँकि, अब सामने आए नए वीडियो से स्पष्ट है कि पीएम मनमोहन सिंह 2009 तक अपने बयान पर कायम थे।

उनके इस बयान का जिक्र हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक चुनावी रैली में किया था। पीएम मोदी ने कांग्रेस के सम्पत्ति दोबारा बाँटने के वादे को लेकर कहा था कि कांग्रेस महिलाओं के मंगलसूत्र छीन कर उनको बाँटना चाहती है जिनका वह सम्पत्ति पर पहला अधिकार मानती है। कांग्रेस ने इसके बाद फिर से इस बयान को झुठलाने की कोशिश की थी लेकिन इसमें सफल नहीं हो सकी थी। अब मनमोहन सिंह का यह वीडियो सामने आने के बाद कांग्रेस और घिर गई है।

पश्चिमी बंगाल : देसी बम बनाते TMC नेता जिन्ना अली बुरी तरह घायल, EC ने माँगी रिपोर्ट

                                            देसी बम की तस्वीर (फोटो साभार: इंडिया टुडे)
बंगाल में लोकसभा चुनावों के बीच तृणमूल कांग्रेस का नेता/कार्यकर्ता देसी बम बनाते समय घायल हो गया। घटना मुर्शिदाबाद की है। कार्यकर्ता का नाम जिन्ना अली है। बताया जा रहा है कि जिन्ना कथिततौर पर बम बना रहा था जब वही बम उसके हाथ में फट गया और उसका सीधा हाथ चोटिल हो गया।

घटना के संबंध में डेक्कन क्रॉनिकल ने रिपोर्ट प्रकाशित की है। बताया गया है कि विस्फोट बुधवार(अप्रैल 24) को हुआ था। पड़ोसियों ने रात में जब ये आवाज सुनी तो वो भागकर जिन्ना के घर गए। वहाँ उन्होंने जिन्ना को बेहोश खून से लथपथ देखा।

स्थानीय फौरन उसे बीरभूम इलाज के लिए लेकर गए। बाद में मुर्शिदाबाद के कांग्रेस प्रवक्ता जयंत दास ने इस संबंध में बताया कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता क्रूड बम बना रहे थे ताकि प्रतिद्वंदी पार्टी के कार्यकर्ताओं को चुनाव से पहले डराया जा सके।

रिपोर्ट में बताया गया कि इस घटना के संबंध में चुनाव आयोग ने भी संज्ञान लिया है। चुनाव आयोग ने राज्य पुलिस और जिला प्रशासन से घटना के संबंध में रिपोर्ट माँगी है। चुनाव आयोग ने कहा है कि बेहरामपुर के बुरवान गाँव के मुनई कांद्रा में घटना घटी है उस पर रिपोर्ट दी जाए। ये जगह पोलिंग स्टेशन के 50 यार्ड के भीतर है। 13 मई को यहाँ लोकसभा चुनाव होने हैं।

बंगाल में देसी बम फेंकने की घटना हो रही आम

बंगाल में चुनावों के समय में देसी बमों का मिलने की घटनाएँ हर चुनाव में सामान्य होती जा रही हैं। मुर्शिदाबाद में पिछले साल बड़ी तादाद में देसी बम मिल चुके हैं। पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव तक में बमबाजी की जाती है।
पिछले साल ही पंचायत चुनाव की रिपोलिंग के दिन तालाब के पास मुर्शिदाबाद में 35 बम मिले थे। इसी तरह इन चुनावों में भी प्रथम चऱण की वोटिंग वाले दिन बमबाजी की घटनाएँ सामने आई थीं। भाजपा कार्यकर्ता के घर के बाहर भी बम मिले थे।

कर्नाटक : चुनाव आयोग आंखे खोलो, चुनाव रद्द करो; हजारों महिलाओं की सेक्स वीडियो रिकॉर्डिंग, घर-घर जाकर अश्लील फोटो दिखा वोट न करने की अपील: एक्शन में महिला आयोग

मुख्यमंत्री सिद्दारमैया (बाएँ) और कर्नाटक महिला आयोग प्रमुख नागालक्ष्मी चौधरी (साभार: Deccan Herald & ET)
कर्नाटक महिला आयोग ने राज्य के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को एक पत्र लिख कर एक मामले में SIT जाँच की माँग की है। कर्नाटक महिला आयोग ने यह जाँच कथित तौर पर हासन में वायरल हो रही सेक्स वीडियो के विषय में करने को कहा है। आयोग ने कहा है कि हासन में बड़े नेता ने महिलाओं से सेक्सुअल फेवर की माँग की और कुछ का रेप तक किया।

कर्नाटक महिला आयोग ने कहा है कि हासन में हजारों महिलाओं सेक्स वीडियो की वीडियो रिकॉर्ड की गई हैं। उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा है और इससे समाज का सर शर्म से झुक गया है। आयोग ने कहा है कि मुख्यमंत्री सिद्दारमैया एक SIT बनाकर इस मामले में की जाँच करवाएँ।

कर्नाटक महिला आयोग की अध्यक्ष नागलक्ष्मी चौधरी ने इस पत्र में कहा है कि उनको इन वीडियो के वायरल होने की शिकायत कर्नाटक राज्य महिला दुर्जन्य विरोधी वेदिके नाम की एक संस्था से मिली है। आयोग ने कहा है कि महिलाओं की यह आपत्तिजनक वीडियो पेन ड्राइव के जरिए वायरल की जा रही हैं। महिला आयोग ने एक पत्र कर्नाटक के DGP को भी लिखा है।

दूसरी तरफ हासन के वर्तमान सांसद और जेडीएस नेता प्रज्व्वल रेवन्ना के एक पोलिंग एजेंट ने पुलिस से एक शिकायत दर्ज करवाई है। शिकायत में कहा गया है कि जेडीएस सांसद की फर्जी अश्लील वीडियो वायरल की जा रही हैं।

पोलिंग एजेंट तेजस्वी एमजी ने अपनी शिकायत में कहा है कि उनके सांसद की अश्लील फोटो और वीडियो बनाकर कुछ लोग हर दरवाजे जा रहे हैं और प्रज्ज्वल रेवन्ना के खिलाफ वोट ना देने की अपील कर रहे हैं। इससे चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश हो रही है। तेजस्वी एमजी ने आरोप लगाया कि नवीन नाम का शख्स कुछ लोगों के साथ मिलकर यह काम कर रहा है।

प्रज्व्व्ल रेवन्ना देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौडा के पोते और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के भतीजे हैं। वह 2019 में हासन से सांसद बने थे। इस बार वह फिर इस सीट से ताल ठोंक रहे हैं। इस बार उनको भाजपा का भी समर्थन प्राप्त है क्योंकि राज्य में दोनों पार्टियों ने गठबंधन किया है। उनका मुकाबला कांग्रेस के श्रेयस एम पटेल से है।

कांग्रेस ने हासन में वायरल हो रहे वीडियो को लेकर एचडी कुमारस्वामी को भी घेरा है। कांग्रेस ने एक ट्वीट में लिखा है, “कुमारस्वामी क्या आप जिस पेन ड्राइव को लम्बे समय से सीक्रेट बना कर रख रहे थे अब बाहर आ गई है? क्या हासन की सड़कों पर घूम रही पेन ड्राइव आपकी है?”

अवलोकन करें:-

क्या चुनाव आयोग कुछ मामलों में लड़खड़ाया हुआ है? कांग्रेस के “Communal Manifesto” और राहुल के बयानों पर स्वतः

कर्नाटक के हासन में शुक्रवार (26 अप्रैल, 2024) को मतदान है। इन कथित सेक्स वीडियो के सामने आने के बाद इनका प्रभाव चुनाव पर भी पड़ सकता है।

क्या चुनाव आयोग कुछ मामलों में लड़खड़ाया हुआ है? कांग्रेस के “Communal Manifesto” और राहुल के बयानों पर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए था लेकिन नहीं लिया, क्यों? News Nation पर बीजेपी उम्मीदवार का interview, जिसे सुन चुनाव आयोग ही नहीं हर मुसलमान को ओवैसी और ओवैसी जैसों से सवाल करना चाहिए

सुभाष चन्द्र

अप्रैल 25 को खबर में बताया गया है कि चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी के बयानों पर संज्ञान लेते हुए भाजपा और कांग्रेस को नोटिस जारी करके 29 अप्रैल, सुबह 11 बजे तक जवाब मांगा है। 

चुनाव आयोग ने राहुल के मोदी के लिए “पनौती” शब्द का प्रयोग करने पर हाई कोर्ट के निर्देश पर 6 महीने बाद 6 मार्च, 2024 को राहुल गांधी को सलाह दी थी कि वे “सार्वजनिक बयान देते हुए सावधानी बरतें”

चुनाव आयोग आखिर लड़खड़ा क्यों रहा है? राहुल मोदी को छोड़िए, तेलंगाना में हैदराबाद लोक सभा सीट पर असदुद्दीन ओवैसी प्रचार के दौरान जब beef की दुकान पर पहुँच कहता है 'काटो काटो' क्या चुनाव आयोग को इसका संज्ञान नहीं लेना चाहिए था? क्यों नहीं लिया? बीजेपी उम्मीदवार माधवी लता द्वारा आकाश की तरफ(मस्जिद की तरफ नहीं, लेकिन इस वीडियो को ठीक उसी तरह प्रसारित किया जा रहा है, जैसे नूपुर शर्मा का वीडियो प्रस्तुत कर मुस्लिम कट्टरपंथियों ने 'सर तन से जुदा' गैंग को सक्रीय कर दिया था) तीर छोड़ने का जो नाटक किया उस पर FIR, क्या तमाशा चल रहा है? चुनाव आयोग निष्पक्ष काम क्यों नहीं कर रहा? देखिए News Nation पर बीजेपी उम्मीदवार का interview, जिसे सुन चुनाव आयोग ही नहीं हर मुसलमान को ओवैसी और ओवैसी जैसों से सवाल करना चाहिए। सेकुलरिज्म का मजाक बनाया हुआ है, देखिए 2 वीडियो:

         


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लेकिन ऐसी सावधानी न तो राहुल गांधी बरत रहा है और न उसकी पार्टी के नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कंगना रनौत के सभी मर्यादाएं लांघते हुए बयान दिया लेकिन उसे EC ने केवल Censure करके छोड़ दिया सुरजेवाल को हेमा मालिनी का मानमर्दन करने पर बस 48 घंटे चुनाव प्रचार से रोका

लोक सभा चुनाव 16 मार्च को घोषित हुए थे और उसी दिन से आचार संहिता लग गई थी लेकिन 1 अप्रैल, 2024 को राहुल गांधी ने धमकी देते हुए बयान दिया जिसमे ECI की भी धज्जियाँ उड़ा दी उन्होंने कहा कि “अगर match fixing से भाजपा तीसरी बार चुनाव जीतती है और संविधान को बदला जाता है तो इस देश को आग लग जाएगी, ये देश नहीं बचेगा”

जबकि जवाहर लाल नेहरू से लेकर राजीव गाँधी तक अनेकों बार संविधान में बदलाव किये जा चुके हैं, जो केवल अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए किये गए थे। प्रथम महामहिम डॉ राजेंद्र प्रसाद नेहरू पर नकेल कसते रहते थे। हिन्दू कोड बिल का जितना विरोध राजन बाबू ने किया किसी हिन्दू सांसद ने नहीं किया। सबके सब नेहरू भक्ति में लीन रहे। इतिहास साक्षी है। 

राहुल के इस घिनौने बयान से क्या आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होता? बिल्कुल होता है लेकिन ECI ने कोई संज्ञान नहीं लिया, क्यों?

कांग्रेस का घोषणापत्र तो अपने आप में आचार संहिता की बखिया उधेड़ने वाला है, ये पूरी तरह Communal Manifesto है जो केवल एक धर्म के लोगों के लिए सभी सुविधाएं देने का वादा करता है

मोदी द्वारा कांग्रेस Communal Manifesto पर घोर आपत्ति करने पर क्या राहुल ने यू-टर्न लेने को क्या चुनाव आयोग ने नहीं देखा? 

उसके बाद 6 अप्रैल को ये राहुल गांधी ही था जिसने बयान देते हुए कहा कि लोगों की संपत्ति का X Ray कराया जाएगा और Financial/Institutional Survey करा कर गरीबों को उनके हक़ के अनुसार X Ray में पाई गई अधिक संपत्ति बांट दी जाएगी गरीब कौन, यह कांग्रेस बता चुकी है कि देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का है 

अब प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल, मनमोहन सिंह के बयान और कांग्रेस के Manifesto को ध्यान में रखकर 21 अप्रैल को यदि कह दिया कि कांग्रेस आपकी संपत्ति छीन कर, सोना चांदी और मंगलसूत्र तक लेकर ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले रोहिंग्या और अन्य घुसपैठियों को दे देगी, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है

चुनाव आयोग को नहीं मालूम कि तरह कांग्रेस हिन्दुओं द्वारा मंदिरों में चढ़ावा देने पर गिद्ध नज़र रखती रही है। पद्मनाभन मंदिर से सोना लेने के लिए यूपीए सरकार ने क्या-क्या हरकतें की, चुनाव आयोग को नहीं मालूम क्या?

चुनाव आयोग ने कांग्रेस की शिकायत और भाजपा की भी शिकायत का संज्ञान लेकर दोनों दलों को मोदी और राहुल के बयानों पर नोटिस दिया है

चुनाव आयोग को यह नोटिस राहुल गांधी को 6 अप्रैल को ही दे देना चाहिए था लेकिन नहीं दिया  और उसके पहले के Match Fixing से BJP के जीतने के 1 अप्रैल के  बयान पर भाजपा द्वारा शिकायत करने पर भी चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। यह चुनाव आयोग पर सीधे-सीधे बहुत गंभीर आरोप था, लेकिन चुनाव आयोग खामोश रहा क्यों? वो कौन-सी मजबूरी थी कि चुनाव आयोग ने इस गंभीर आरोप पर चुप्पी साध ली?

अपनी रैलियों में कांग्रेस बराबर मुस्लिम समाज को डराने का काम कर रही है, क्या यह क्या आचार संहिता का उल्लंघन नहीं? आखिर चुनाव आयोग पक्षपाती क्यों है?

इससे भी पहले राहुल गांधी के “हिंदू धर्म में शक्ति” के बयान पर 20 मार्च को भाजपा की  शिकायत पर ECI ने कोई कार्रवाई नहीं की नए चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू के बारे में सुना गया था कि वे बहुत सख्त हैं लेकिन अभी चुनाव आयोग द्वारा  कांग्रेस और मौलानाओं के मस्जिदों से भाजपा के खिलाफ वोट देने के फतवों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई हैअगर यही काम हिन्दू मंदिरों एवं मठों से हो गया होता, चुनाव आयोग तो क्या जितने भी छद्दम सेक्युलरिस्ट्स हैं छातियां पीट रहे होते। 

अवलोकन करें:-

मोदी के खिलाफ चुनाव आयोग जाने वालों को ही नहीं मालूम कांग्रेस मैनिफेस्टो में क्या लिखा है और रा

राहुल और मोदी के मामले दोनों एक साथ लेने का मतलब है दोनों को दबा दिया जाएगा यानी जितना कसूर राहुल का दिखाई देगा उतना मोदी का भी कह दिया जाएगा मोदी ने तो दुखती नव्ज पर अभी हाथ ही रखा है, कार्यवाही तो बाकि है। वह उचित नहीं है 

संपत्ति के बँटवारे पर बोला सुप्रीम कोर्ट : मार्क्सवादी सोच पर काम नहीं करेंगे काम: निजी प्रॉपर्टी नहीं ले सकते


संपत्ति के बँटवारे मामले में बढ़ रहे राजनैतिक विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (24 अप्रैल 2024) को कहा है कि वो इस मामले में किसी मार्क्सवादी विचार का काम नहीं करेंगे। कोर्ट ने कहा कि वह संपत्ति बँटवारे मामले में संविधान के अनुच्छेद 39 (ब) पर जस्टिस वीर कृष्णा की 1977 में की गई ‘मार्क्सवादी टिप्पणी’ का पालन नहीं करेंगे, जिसमें कहा गया था कि सार्वजनिक भलाई के लिए एक समुदाय के ‘भौतिक संसाधनों’ में पुनर्वितरण के लिए निजी संपत्तियाँ शामिल होंगी।

संविधान के अनुच्छेद 39 (B) में प्रावधान है कि राज्य अपनी नीति को यह सुनिश्चित करने की दिशा में निर्देशित करेगा कि ‘समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार वितरित किया जाए जो आम लोगों की भलाई के लिए सर्वोत्तम हो’। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई की अध्यक्षता में 9 जजों की पीठ विभिन्न याचिकाओं से उत्पन्न जटिल कानूनी प्रश्न पर विचार कर रही है कि क्या निजी संपत्ति को संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत ‘समुदाय का भौतिक संसाधन’ माना जा सकता है।

इसी की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि कहना ‘खतरनाक’ होगा कि किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति को ‘समुदाय का भौतिक संसाधन’ नहीं माना जा सकता, साथ ही ‘सार्वजनिक भलाई’ के लिए राज्य की तरफ से उस पर कब्जा नहीं किया जा सकता। सुनवाई के दौरान, बेंच ने कहा कि समुदाय के भौतिक संसाधन और निजी संपत्ति में फर्क होना चाहिए। कोई बिन कीमत चुकाए निजी संपत्ति नहीं ले सकता, लेकिन चूँकि समुदाय के भौतिक संसाधनों में नैचुरल रिसोर्स भी आते है। इसलिए अगर किसी व्यक्ति के पास निजी वन है तो ऐसा नहीं कह सकते कि जरूरत पड़ने पर समुदाय के लिए उसका प्रयोग नहीं हो पाएगा। अदालत ने कहा कि आर्टिकल 39 (ब) का प्रयोग किसी की निजी संपत्ति लेने के लिए नहीं करना चाहिए।

TOI की रिपोर्ट के अनुसार सीजेआई ने कहा, “हमें 1977 के रंगनाथ रेड्डी मामले में (अनुच्छेद 39(बी) की) जस्टिस कृष्णा अय्यर की मार्क्सवादी समाजवादी व्याख्या तक जाने की जरूरत नहीं है, लेकिन सामुदायिक संसाधनों में निश्चित रूप से वे संसाधन शामिल होंगे जिन पर वर्तमान पीढ़ी भरोसा करती है।” उन्होंने आगे संपत्ति बँटवारे मामले में दो विचार समझाए। कोर्ट ने कहा, “मार्क्सवादी समाजवादी दृष्टिकोण यह है कि सब कुछ राज्य और समुदाय का है। पूंजीवादी दृष्टिकोण व्यक्तिगत अधिकारों को महत्व देता है। इसके अलावा अंतर-पीढ़ीगत समानता की रक्षा के लिए संसाधनों को भरोसे में रखने का गाँधीवादी दृष्टिकोण है।”

साल 1977 में रंगनाथ रेड्डी मामले में कोर्ट की बहुमत ने स्पष्ट किया था कि समुदाय के भौतिक संसाधनों में निजी संपत्ति शामिल नहीं है। वहीं, जस्टिस अय्यर का अलग रूख था। उन्होंने कहा था कि जनता की भलाई के लिए एक समुदाय के ‘भौतिक संसाधनों’ में पुनर्वितरण के लिए निजी संपत्तियाँ शामिल होंगी।

बिक गई है कलकत्ता हाई कोर्ट… एक भी वोट मत देना BJP को: ममता बनर्जी

घोटाले उजागर होने पर विपक्ष बौखला गया है। उनकी और हिटलर की कार्यशैली कोई अंतर नहीं। शिक्षक घोटाले पर कार्यवाही करने पर कलकत्ता हाई कोर्ट को कहना कि बिक गयी है। या तो घोटालेबाज़ों को घोटाले करने दो, वरना कोर्ट पर भी कीजड़ फेंकेंगे। 

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा सुनाए गए ‘शिक्षक घोटाला’ मामले में फैसले पर कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने हाई कोर्ट को खरीद लिया है। उन्होंने घोटाले के तहत भर्ती हुए 26000 शिक्षकों की भर्ती रद्द किए जाने के मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। जनता को भड़काते हुए सीएम ममता ने अपील की कि चाहे कुछ भी हो जाए भाजपा और सीपीएम को टीचरों और सरकारी मुलाजिमों से एक भी वोट नहीं मिलना चाहिए।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जाहिर करने के दौरान कहा, “भाजपा और सीपीए या कॉन्ग्रेस को एक भी वोट नहीं मिलना चाहिए।” उन्होंने कहा कि भाजपा ने हाई कोर्ट को खरीद लिया है। अब बस उम्मीद बची है तो सुप्रीम कोर्ट से।

अपनी बात कहते हुए ममता बनर्जी बोलीं, “उन्होंने (भाजपा) हाई कोर्ट को खरीद लिया है। उन्होंने सीबीआई को खरीद लिया है। उन्होंने एनआईए को खरीद लिया है। उन्होंने बीएसएफ को खरीद लिया है। उन्होंने सीएपीएफ को खरीद लिया है। उन्होंने दूरदर्शन का रंग भगवा करवा दिया है। वो सिर्फ भाजपा और मोदी की बात करता है। उसे बिलकुल मत देखो। उसका बहिष्कार करो।”

ममता के इस बयान के बयान के बाद वरिष्ठ वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयानों पर स्वत: संज्ञान लेने के लिए एक याचिका दायर की। उन्होंने कह कि ये कोर्ट की अवमानना है। लोग अदालत पर हँस रहे हैं। जजों को पक्षपाती कहा जा रहा है। अपनी याचिका के साथ उन्होंने पेपर की कटिंग भी दी है। उनकी इस याचिका पर कोर्ट ने मामले को लिस्ट करते हुए इसपर हलफनामा दायर करने को कहा है।

हाई कोर्ट का फैसला और टीएमसी की राजनीति

बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में लंबे समय से जाँच चल रही थी। इस केस में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी समेत कई तृणमूल नेता जेल जा चुके हैं। वहीं कुछ दिन पहले ही SSC भर्ती घोटाले में फैसला सुनाते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली TMC सरकार को झटका दिया था।
स्कूल भर्ती घोटाले पर फैसला सुनाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा था कि 2016 के पूरे पैनल को रद्द किया जाए। 9वीं से लेकर 12वीं ग्रुप C एवं D में हुई सभी नियुक्तियों को अवैध ठहराते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि 23,753 नौकरियों को रद्द किया जाए। इतना ही नहीं, इन सभी को 4 सप्ताह के भीतर पूरा वेतन लौटाना होगा, वो भी 12% ब्याज के साथ।
अब ममता बनर्जी इसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ जनता में जो गुस्सा उमड़ा है उसका प्रयोग चुनाव जीतने के लिए कर रही हैं। कुछ समय से संदेशखाली मुद्दे पर उनकी सरकार को बहुत आलोचना झेलनी पड़ी थी लेकिन इस मुद्दे को टीएमसी इस्तेमाल करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही।