शराब घोटाले में जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई। यानि कोर्ट ने केजरीवाल को इस्तीफा नहीं देने के कारण दिल्ली को हो रहे नुकसान पर सख्त आदेश देने के संकेत दे दिए हैं। हर जगह केजरीवाल की तानाशाही काम नहीं आने वाली। हाई कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल राष्ट्रहित से ऊपर अपना व्यक्तिगत हित रखते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि उनके जेल में होने के कारण दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में 2 लाख विद्यार्थियों को किताब एवं यूनिफॉर्म मिलने में देरी हो रही है।
केजरीवाल पहले खुद ही कह चुके हैं कि 'मैं anarchy हूँ' लेकिन ये anarchy मुख्यमंत्री बने केजरीवाल को नहीं मालूम कि सांप का फन कैसे कुचला जाता है। हर जिद की एक सीमा होती है। सीमा से बाहर जाने पर होने वाली कार्यवाही को उचित ही कहा जायेगा अनुचित नहीं। केजरीवाल दिल्ली की जनता और स्कूल के छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ मत करो। घोटाले करके ईमानदार मत बनो।
दरअसल, ‘सोशल ज्यूरिस्ट’ नाम के एक NGO ने एक जनहित याचिका दाखिल करके कहा है कि नगर निगम के स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को अब तक किताबें नहीं मिली हैं। इस पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली सरकार को सिर्फ सत्ता की चाह है।
बेंच ने कहा, “किताब और यूनिफॉर्म बँटवाना कोर्ट का काम नहीं है। हम ये इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि कोई अपना काम नहीं कर रहा है… आपके क्लाइंट (दिल्ली सरकार) को सिर्फ सत्ता में दिलचस्पी है। मैं नहीं जानता कि आप कितनी शक्ति चाहते हैं? समस्या यह है कि आप शक्ति को हथियाने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके कारण आपको शक्ति नहीं मिल रही है।”
इस पर दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने कोर्ट को बताया कि MCD की स्थायी समिति की गैर-मौजूदगी में किसी अधिकारी को शक्ति देने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति जरूरी है। मुख्यमंत्री अभी हिरासत में हैं, इसलिए देरी हो रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि ये कोई बहाना नहीं हो सकता।
इस पर जस्टिस मनमोहन ने कहा कि खुद हाई कोर्ट अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की माँग वाली कई याचिकाओं को खारिज कर चुका है। उन्होंने कहा, “आपने कहा है कि मुख्यमंत्री के हिरासत में होने के बावजूद सरकार जारी रहेगी। आप हमें उस रास्ते पर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जिस पर हम नहीं जाना चाहते थे। यदि आप चाहते हैं कि हम इस पर टिप्पणी करें, तो हम पूरी सख्ती से करेंगे।”
कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब ये नहीं है कि इस मामले को ऐसे ही छोड़ दिया जाए। कोर्ट ने आगे कहा कि अगर स्टैंडिंग कमिटी किसी भी वजह से नहीं बन पा रही है तो दिल्ली सरकार किसी उपयुक्त अथॉरिटी को वित्तीय अधिकार दे। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि वो इस मामले में दो दिन के अंदर जरूरी कार्रवाई करे।
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