सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच VVPAT पर विपक्ष को बेनकाब करती है तो दूसरी बेंच केंद्र सरकार पर एक याचिका दायर करने के लिए 5 लाख रुपये जुर्माना लगा कर मानसिक दिवालिया होने का सबूत दे गई

सुभाष चन्द्र

अप्रैल 25 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मेघालय हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ अपील दायर करने को “तुच्छ याचिका” कह कर केंद्र सरकार पर 5 लाख रुपये का जुर्माना ठोक दिया और चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी तुच्छ याचिकाएं दायर न की जाए। 

हाई कोर्ट के फैसले कोई ब्रह्मा जी की कलम से लिखे हुए नहीं होते जिनके खिलाफ अपील न की जा सके और ऐसा करने का अधिकार यदि हर किसी को है तो केंद्र सरकार को भी है अगर आपको अपील में जान नहीं लगती थी तो ख़ारिज कर देते लेकिन उसे तुच्छ कहना और सरकार पर जुर्माना ठोकना साबित करता है कि अहंकार से भरे आप लोग “तानाशाही” की तरफ बढ़ रहे हैं जिन्हे बस अपनी हुकूमत चलानी है आप केंद्र को मजबूर कर रहे हैं कि मौका देख कर आपके पर क़तर दे

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दोनों जजों को यह मालूम होना चाहिए कि अटॉर्नी जनरल और ASGs सुप्रीम कोर्ट के जज की तरह ही रुतबा रखते हैं, उन जजों से वो कम नहीं होते और इसलिए उनकी दायर की गई याचिकाओं को तुच्छ कह कर आप अपने आप को “तुच्छ” साबित कर रहे हैं 

EVM के खिलाफ 40 याचिकाएं खारिज होने पर भी जो प्रशांत भूषण VVPAT पर याचिका दायर करता है और जिरह में मानता है कि EVM/VVPAT में अभी तक कोई गड़बड़ नहीं हुई लेकिन कोर्ट की दूसरी बेंच उसकी याचिका सुनती है और कोई जुर्माना नहीं लगाती इतना ही नहीं प्रशांत भूषण के केवल इतना कहने पर कि अब तक गड़बड़ी नहीं हुई मगर हो सकती है, सुप्रीम कोर्ट कैसे सुनवाई कर सकता है क्या 40 याचिकाएं खारिज होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट पर संशय रह गया था

अप्रैल 26 को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने साफ़ कह दिया कि EVM और VVPAT का 100% मिलान नहीं हो सकता और यह मांग करना पुराने दौर में वापस जाना है जो संभव नहीं है

वोट और VVPAT से मिलान तो वोट डालते हुए ही हो जाता है आज मैं जब वोट डालने गया तो पाया कि VVPAT इतने समय तक साफ़ Display हुआ जिसे देख कर मुझे पता चल रहा था कि वोट कहां गया लेकिन फिर भी विपक्ष हाय तौबा मचाए हुए है 

आज के फैसले के बाद भी विपक्ष को होश नहीं आ रहा अखिलेश यादव नारा दे रहा है “इंडी को जिताएं, EVM हटाएं” विपक्ष को पता है उनके पास बाहुबली हैं जो मतपेटियों को उड़ाने में और फर्जी मतपत्रों की पेटियों को सजाने में माहिर होते हैं, वो लोग भी कई साल से “बेरोजगार” बैठे हैं हर पार्टी में जिनके रोजगार का प्रबंध करना है विपक्ष को 

अब भविष्य में यदि विपक्ष की तरफ से EVM/VVPAT के खिलाफ कोई याचिका दायर की जाए तो सुने बिना ही 10 लाख का जुर्माना लगा कर घर भेज दिया जाए क्या इतनी हिम्मत करेगा सुप्रीम कोर्ट?

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