क्या चुनाव आयोग कुछ मामलों में लड़खड़ाया हुआ है? कांग्रेस के “Communal Manifesto” और राहुल के बयानों पर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए था लेकिन नहीं लिया, क्यों? News Nation पर बीजेपी उम्मीदवार का interview, जिसे सुन चुनाव आयोग ही नहीं हर मुसलमान को ओवैसी और ओवैसी जैसों से सवाल करना चाहिए

सुभाष चन्द्र

अप्रैल 25 को खबर में बताया गया है कि चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी के बयानों पर संज्ञान लेते हुए भाजपा और कांग्रेस को नोटिस जारी करके 29 अप्रैल, सुबह 11 बजे तक जवाब मांगा है। 

चुनाव आयोग ने राहुल के मोदी के लिए “पनौती” शब्द का प्रयोग करने पर हाई कोर्ट के निर्देश पर 6 महीने बाद 6 मार्च, 2024 को राहुल गांधी को सलाह दी थी कि वे “सार्वजनिक बयान देते हुए सावधानी बरतें”

चुनाव आयोग आखिर लड़खड़ा क्यों रहा है? राहुल मोदी को छोड़िए, तेलंगाना में हैदराबाद लोक सभा सीट पर असदुद्दीन ओवैसी प्रचार के दौरान जब beef की दुकान पर पहुँच कहता है 'काटो काटो' क्या चुनाव आयोग को इसका संज्ञान नहीं लेना चाहिए था? क्यों नहीं लिया? बीजेपी उम्मीदवार माधवी लता द्वारा आकाश की तरफ(मस्जिद की तरफ नहीं, लेकिन इस वीडियो को ठीक उसी तरह प्रसारित किया जा रहा है, जैसे नूपुर शर्मा का वीडियो प्रस्तुत कर मुस्लिम कट्टरपंथियों ने 'सर तन से जुदा' गैंग को सक्रीय कर दिया था) तीर छोड़ने का जो नाटक किया उस पर FIR, क्या तमाशा चल रहा है? चुनाव आयोग निष्पक्ष काम क्यों नहीं कर रहा? देखिए News Nation पर बीजेपी उम्मीदवार का interview, जिसे सुन चुनाव आयोग ही नहीं हर मुसलमान को ओवैसी और ओवैसी जैसों से सवाल करना चाहिए। सेकुलरिज्म का मजाक बनाया हुआ है, देखिए 2 वीडियो:

         


लेखक 
लेकिन ऐसी सावधानी न तो राहुल गांधी बरत रहा है और न उसकी पार्टी के नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कंगना रनौत के सभी मर्यादाएं लांघते हुए बयान दिया लेकिन उसे EC ने केवल Censure करके छोड़ दिया सुरजेवाल को हेमा मालिनी का मानमर्दन करने पर बस 48 घंटे चुनाव प्रचार से रोका

लोक सभा चुनाव 16 मार्च को घोषित हुए थे और उसी दिन से आचार संहिता लग गई थी लेकिन 1 अप्रैल, 2024 को राहुल गांधी ने धमकी देते हुए बयान दिया जिसमे ECI की भी धज्जियाँ उड़ा दी उन्होंने कहा कि “अगर match fixing से भाजपा तीसरी बार चुनाव जीतती है और संविधान को बदला जाता है तो इस देश को आग लग जाएगी, ये देश नहीं बचेगा”

जबकि जवाहर लाल नेहरू से लेकर राजीव गाँधी तक अनेकों बार संविधान में बदलाव किये जा चुके हैं, जो केवल अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए किये गए थे। प्रथम महामहिम डॉ राजेंद्र प्रसाद नेहरू पर नकेल कसते रहते थे। हिन्दू कोड बिल का जितना विरोध राजन बाबू ने किया किसी हिन्दू सांसद ने नहीं किया। सबके सब नेहरू भक्ति में लीन रहे। इतिहास साक्षी है। 

राहुल के इस घिनौने बयान से क्या आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होता? बिल्कुल होता है लेकिन ECI ने कोई संज्ञान नहीं लिया, क्यों?

कांग्रेस का घोषणापत्र तो अपने आप में आचार संहिता की बखिया उधेड़ने वाला है, ये पूरी तरह Communal Manifesto है जो केवल एक धर्म के लोगों के लिए सभी सुविधाएं देने का वादा करता है

मोदी द्वारा कांग्रेस Communal Manifesto पर घोर आपत्ति करने पर क्या राहुल ने यू-टर्न लेने को क्या चुनाव आयोग ने नहीं देखा? 

उसके बाद 6 अप्रैल को ये राहुल गांधी ही था जिसने बयान देते हुए कहा कि लोगों की संपत्ति का X Ray कराया जाएगा और Financial/Institutional Survey करा कर गरीबों को उनके हक़ के अनुसार X Ray में पाई गई अधिक संपत्ति बांट दी जाएगी गरीब कौन, यह कांग्रेस बता चुकी है कि देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का है 

अब प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल, मनमोहन सिंह के बयान और कांग्रेस के Manifesto को ध्यान में रखकर 21 अप्रैल को यदि कह दिया कि कांग्रेस आपकी संपत्ति छीन कर, सोना चांदी और मंगलसूत्र तक लेकर ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले रोहिंग्या और अन्य घुसपैठियों को दे देगी, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है

चुनाव आयोग को नहीं मालूम कि तरह कांग्रेस हिन्दुओं द्वारा मंदिरों में चढ़ावा देने पर गिद्ध नज़र रखती रही है। पद्मनाभन मंदिर से सोना लेने के लिए यूपीए सरकार ने क्या-क्या हरकतें की, चुनाव आयोग को नहीं मालूम क्या?

चुनाव आयोग ने कांग्रेस की शिकायत और भाजपा की भी शिकायत का संज्ञान लेकर दोनों दलों को मोदी और राहुल के बयानों पर नोटिस दिया है

चुनाव आयोग को यह नोटिस राहुल गांधी को 6 अप्रैल को ही दे देना चाहिए था लेकिन नहीं दिया  और उसके पहले के Match Fixing से BJP के जीतने के 1 अप्रैल के  बयान पर भाजपा द्वारा शिकायत करने पर भी चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। यह चुनाव आयोग पर सीधे-सीधे बहुत गंभीर आरोप था, लेकिन चुनाव आयोग खामोश रहा क्यों? वो कौन-सी मजबूरी थी कि चुनाव आयोग ने इस गंभीर आरोप पर चुप्पी साध ली?

अपनी रैलियों में कांग्रेस बराबर मुस्लिम समाज को डराने का काम कर रही है, क्या यह क्या आचार संहिता का उल्लंघन नहीं? आखिर चुनाव आयोग पक्षपाती क्यों है?

इससे भी पहले राहुल गांधी के “हिंदू धर्म में शक्ति” के बयान पर 20 मार्च को भाजपा की  शिकायत पर ECI ने कोई कार्रवाई नहीं की नए चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू के बारे में सुना गया था कि वे बहुत सख्त हैं लेकिन अभी चुनाव आयोग द्वारा  कांग्रेस और मौलानाओं के मस्जिदों से भाजपा के खिलाफ वोट देने के फतवों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई हैअगर यही काम हिन्दू मंदिरों एवं मठों से हो गया होता, चुनाव आयोग तो क्या जितने भी छद्दम सेक्युलरिस्ट्स हैं छातियां पीट रहे होते। 

अवलोकन करें:-

मोदी के खिलाफ चुनाव आयोग जाने वालों को ही नहीं मालूम कांग्रेस मैनिफेस्टो में क्या लिखा है और रा

राहुल और मोदी के मामले दोनों एक साथ लेने का मतलब है दोनों को दबा दिया जाएगा यानी जितना कसूर राहुल का दिखाई देगा उतना मोदी का भी कह दिया जाएगा मोदी ने तो दुखती नव्ज पर अभी हाथ ही रखा है, कार्यवाही तो बाकि है। वह उचित नहीं है 

No comments: