आतंकवाद पर अपना रवैया नहीं बदलेगा पाकिस्तान!

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अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक्कानी ने कहा है कि पाकिस्तानी नेतृत्व आतंकवाद को अमेरिकी सरकार से अलग तरह से परिभाषित करता है और अमेरिका की मांग पर सभी आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की संभावना नहीं है। अमेरिकन इंटरेस्ट जर्नल में एक आलेख में हक्कानी ने कहा है कि पाकिस्तानी नेतृत्व का मानना है कि अफगानिस्तान में उनका हित अमेरिका से काफी अलग है और यही अफगान युद्ध की समाप्ति में सहयोग की संभावना को सीमित करता है।
Image result for पाकिस्तान में आतंकवादवॉशिंगटन के ह्यूडसन इंस्टीट्यूट में अब दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के निदेशक हक्कानी ने कहा, "पाकिस्तानी नेतृत्व अमेरिकी सरकार से अलग तरह से आतंकवाद को परिभाषित करता है और ऐसी संभावना नहीं है कि वह सभी आतंकवादी संगठनों के विरुद्ध कार्रवाई करे (जैसा कि अमेरिकी विदेश मंत्री) माइक पोम्पिओ की मांग है।"
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए दो अक्टूबर को पोम्पिओ से मिलने का कार्यक्रम है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने भारत यात्रा के दौरान पांच सितंबर को इस्लामाबाद में संक्षिप्त ठहराव के दौरान यह वार्ता शुरु की थी। हक्कानी ने कहा, 'अमेरिकी राजनायकों ने पाकिस्तान में निर्णय लेने वालों को चीजें अपने ढंग से देखने के लिए अपने पाले में लाने की कोशिश में करीब तीन दशक बीता दिए हैं।'
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उन्होंने कहा कि (बात नहीं बनने पर) नतीजा यह निकला कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर अमेरिका ने इस साल जनवरी से पाकिस्तान को सभी सुरक्षा सहायता पर रोक लगा दी। हक्कानी ने चेतावनी दी कि ट्रंप प्रशासन को आतंकवाद के संदर्भ में पाकिस्तान से बहुत कम सहयोग के लिए तैयार रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पोम्पियो की संक्षिप्त यात्रा के हफ्ते भर के अंदर ही पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा से संबद्ध संगठन जमात उद दवा और उसके चैरिटी संगठन फलाही इंसानियत फाउंडेशन पर पिछली सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी हटा दी। दोनों ही संगठनों का सम्बन्ध संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी हाफिज सईद से है। 
हक्कानी ने आरोप लगाया कि यह इस बात का संकेत है कि सेना और न्यायपालिका का समर्थन प्राप्त पाकिस्तान की नई सरकार की मंशा किसी संगठन या व्यक्ति को अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित करने के प्रति सम्मान नहीं करना है। यह भी कहा जा सकता है कि बोतल जरूर बदल गयी है, लेकिन शराब वही पुरानी है। पाकिस्तान में सरकार किसी भी पार्टी की बन जाए, लेकिन कश्मीर और फौज के चुंगल से कोई बच नहीं पाया, जिसने भी प्रयास किया, वह सत्ता में टिक भी नहीं पाया।     

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