सत्ता की विलासिता ने डाली रामविलास पासवान परिवार में फूट

रामविलास पासवान की बढ़ सकती है मुश्किलें, RJD ने उनके दामाद को दी यह जिम्मेदारी...
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
राजनीति में आम नागरिक से लेकर समस्त कांग्रेस विरोधी नेहरू-गाँधी परिवार की चर्चा करते हैं, लेकिन इस परिवार के अतिरिक्त अन्य पार्टियों में कितना परिवारवाद पनप रहा है, कोई नहीं बोलता, क्यों? वास्तव में सियासत में अपने ही परिवार को बढ़ावा देकर ये नेता राजनीती को अपनी बपौती समझ बैठे हैं। और इन्ही नेताओं के कारण राजनीति एक जनसेवा न होकर एक व्यापार बन गयी है।
जनता को केवल नेहरू-गाँधी परिवार ही नहीं, बल्कि उन सभी प्रमुख नेताओं का बहिष्कार करना चाहिए, जिनके परिवार राजनीति में दखल दे रहे हों। यही कारण है कि देश में जातिवाद और भ्रष्टाचार दिन-दुगुनी रात-चौगनी विकास पर है। क्योकि राजनीति में लिप्त परिवारों को ऐशोआराम की ऐसी लत पड़ चुकी है, किसी दुकान अथवा कार्यालय में नौकरी कर अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करने में शर्म आती है। क्योकि चुनाव में निर्वाचित होने पर इतनी सुख-सुविधाएं मिलती हैं, जिसकी कोई सरकारी बाबू कल्पना भी नहीं कर सकता। निगम पार्षद, विधायक और सांसद पहले भी रहे हैं, उन्होंने कभी विलासिता का जीवन जीने की कल्पना भी नहीं की थी।
विरोधी पक्ष भी जन समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित करने की बजाए नेताओं के ही परिवारों में मतभेद पैदा कर घर तोड़ रहे हैं, फिर ऐसे नेताओं से देश जोड़ने की कल्पना करना भी व्यर्थ है। प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। जब देश आज़ाद हुआ था, कुल कितने प्रदेश थे और आज कितने हैं? अपने स्वार्थ के लिये देश को टुकड़ों में बाँट दिया। जब अपने एक छोटे से प्रदेश को नहीं संभाल पा रहे, देश को सँभालने की बात कर क्यों जनता को मूर्ख बनाया जा रहा है? ये नेता अपने परिवार तो एक रख नहीं पा रहे, देश को एक रखने की बात करते हैं। राजनीती में बिखड़ते परिवारों की एक लम्बी सूची बन सकती है।
बरहाल, सियासत की बिसात और विलासिता की तड़पन की आग देखिए, और सोचिए क्या ऐसे नेताओं से किसी जाति, धर्म या देश को एकजुट रख सकते हैं :--
रामविलास पासवान और उनके दामाद अनिल कुमार साधु के बीच अनबन काफी समय से चल रही है. हाल ही में अनिल साधु ने रामविलास पासवान को हाजीपुर सीट पर चुनौती देने का ऐलान किया था. वहीं, रामविलास पासवान की मुश्किलें और बढ़ सकती है, क्योंकि आरजेडी ने भी अब रामविलास पासवान के खिलाफ उनके दामाद अनिल साधु को खड़ा कर दिया है. 
दरअसल, आरजेडी ने अनिल साधु को नई जिम्मेदारी सौंपी है. आरजेडी ने अनिल साधु को बिहार के एससी-एसटी सेल का प्रमुख बनाया है. यानी की बिहार के दलित वोटरों को अपनी ओर खींचने के लिए अब आरजेडी ने रामविलास पासवान के खिलाफ अनिल साधु को खड़ा कर दिया है.
रामविलास पासवान और अनिल साधु के बीच काफी समय से अनबन चल रही है. अनिल साधु ने पहले ही रामविलास पासवान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने रामविलास पासवान को खुली चुनौती दी थी कि वह उनके खिलाफ कहीं से भी खड़े हो सकते हैं. अनिल साधु ने रामविलास पासवान पर आरोप भी लगाया था कि वह एससी-एसटी विरोधी है.
उन्होंने कहा था कि वह एससी-एसटी के मुद्दों पर केवल अपनी रोटी सेकना जानते हैं. अनिल ने पासवान पर दलितों को बंधुआ मजदूर समझने का आरोप लगाते हुए कहा कि 'पासवान ने सभी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों का अपमान किया है. दलित उनके बंधुआ मजदूर नहीं हैं.'View image on Twitter



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RJD appoints Union Minister Ram Vilas Paswan's son-in-law Anil Kumar Sadhu as the State President of SC/ST Cell. (file pic)
अनिल कुमार साधु पिछले चुनाव में ही आरजेडी में शामिल हुए थे. हाल ही में उन्होंने ऐलान किया था कि वह और उनकी पत्नी रामविलास पासवान से टकराने को तैयार हैं.
वहीं, रामविलास पासवान की बेटी आशा ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि अगर उन्हें आरजेडी से टिकट दिया जाता है तो वह अपने पिता और उनकी पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ने को तैयार हैं.
आशा पासवान ने अपना दर्द मीडिया के सामने बताते हुए कहा था कि 'पिता ने हमेशा चिराग पासवान को ही आगे बढ़ाने का सोचा है. उन्होंने कहा कि रामविलास पासवान शुरुआत से उनकी अनदेखी करते हुए आ रहे हैं, जिसके कारण उन्होंने आरजेडी खेमे का रुख करने का फैसला लिया है.'
आशा ने कहा कि राजनीतिक गलियारा हो या फिर घर रामविलास पासवान, बेटे चिराग को ही तवज्जों देते हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक गलियारों में बेशक उनके पिता साथ न खड़े हो, लेकिन उनके पति अनिल साधु उनका हाथ थामेंगे और चुनाव लड़ने में मदद करेंगे.

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