
नेफेड पर होगी जिम्मेदारी
सरकार ने बजट 2018-19 में ऑपरेशन ग्रीन का जिक्र किया था। उस दौरान कहा गया था कि 500 करोड़ रुपए की लागत से इसका निर्माण किया जाएगा। ऑपरेशन ग्रीन को दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में आलू, टमाटर और प्याज के दाम का एक समान बनाए रखने की जिम्मेदारी नेफेड एजेंसी पर होगी। यह एक शार्ट टर्म प्रॉसेस होगा। इसमें एजेंसी इन फसलों के उत्पादन, ढ़ुलाई और भंडारण का काम करेगी। इसके लिए सरकार के खाद्य प्रसंस्करण की उद्योग मंत्रालय की ओर से 50 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी। हालांकि इसके लिए योजना 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की होनी चाहिए।
एफपीओ और उनके केंद्रों की क्षमता बढ़ाने पर होगा जोर
सरकार दूसरे चरण में लांग टर्म के लिए प्याज और टमाटर के दाम एक समान रखने की योजनाओं पर काम किया जाएगा। इसमें किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और उनके केंद्रों की क्षमता को बढ़ाया जाएगा। साथ ही बेहतर उत्पादन सुविधाएं दी जाएंगी। फसल तैयार होने के बाद उसका उचित प्रसंस्करण किया जाएगा। इसके अलावा टमाटर, प्याज और आलू फसलों की मांग और आपूर्ति प्रबंधन के लिए ई-प्लेटफॉर्म का निर्माण और प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा।
इस योजना से विभिन्न किसान उत्पादन संगठन, कृषि प्रोसेसिंग यूनि और कृषि प्रबंधन संस्थाओं को बढ़ावा दिया जाएगा।
सरकार किसानों की बढ़ाना चाहती है आमदनी
योजना का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है। बता दें कि सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का ऐलान किया है। इसके तहत 22,000 कृषि मंडियों का निर्माण किया जाएगा। इस मंडियों के निर्माण से किसानों की बाजार तर पहुंच आसाना हो जाएगी। इसके लिए सरकार 470 ऑनलाइन कृषि सेवा केंद्र शुरु करेगी।
योजना का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है। बता दें कि सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का ऐलान किया है। इसके तहत 22,000 कृषि मंडियों का निर्माण किया जाएगा। इस मंडियों के निर्माण से किसानों की बाजार तर पहुंच आसाना हो जाएगी। इसके लिए सरकार 470 ऑनलाइन कृषि सेवा केंद्र शुरु करेगी।
किसानों तक सूचना पहुंचाने पर होगा जोर
इस तरह सरकार टॉप प्रोसेसिंग को बढ़ावा देगी और इसके जरिए आलू, टमाटर प्याज के उत्पादन को बढ़ाएगी। इसके लिए सरकार आकृतिक आपदाओं से निपटने की योजना बनाएंगी और जलवायु संबंधी जानकारी किसानों तक पहुंचाएगी।
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