मुख्यमंत्री कमलनाथ की कर्जमाफी की खुली पोल

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ तथा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की कर्जमाफी की घोषणा की पोल एक हफ्ते में ही खुल गई है जब कर्जमाफी योजना की बेहद कड़ी शर्तों को पूरा न करने पाने के कारण एक किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसका शव खेत पर पेड़ से लटका मिला  किसान ने बैंक और सहकारी समिति से कर्ज ले रखा था किसान कांग्रेस पर कर्जमाफी के वादे पर धोखा देने की बात परिजनों से कह रहा था पुलिस ने केस दर्ज कर मामला जांच में लिया है 
खबर के मुताबिक़, मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के पंधाना से 15 किमी दूर अस्तरिया गांव निवासी किसान जुवान सिंह पिता गुलाब सिंह (45) ने दिसंबर 22 की सुबह फांसी लगाकर जान दे दी सुबह वह घर से खेत पर जाने का कहकर निकला था ग्रामीण सुबह खेत पर पहुंचे तो जुवान पेड़ पर फंदे से लटका हुआ था ग्रामीणों ने पुलिस और परिजनों को तत्काल इसकी सूचना दी घटना की जानकारी लगते ही पंधाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजा पंधाना थाना प्रभारी शिवेंद्र जोशी ने बताया कि मर्ग कायम कर मामले की जांच में लिया है किसान ने आत्महत्या किस कारण की यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा प्रारंभिक पूछताछ में परिजन कर्ज की वजह से सुसाइड करने की बात कह रहे हैं बताया जा रहा है कि कर्ज माफ़ न होने की बदौलत किसान तनाव में था 
मृतक के भाई काशीराम ने कहा – सरकार ने डिफाॅल्टर किसानों का कर्ज माफ किया है मेरे भाई ने अभी मार्च में पलटी किया था, इसी कारण वह दुखी था वह तीन-चार दिन से कांग्रेस के कर्जमाफी के वादे पर धोखा देने की बात कह रहा था मेरे भाई ने बैंक और साहूकारों से कर्ज लेकर खेती में लगाया था उसने मार्च के बाद मार्केट से पैसा उधार लेकर खाते को अप्रैल में रिन्यू करा लिया था कांग्रेस के कर्जमाफी के वादे से उसे बहुत ज्यादा उम्मीद थीचुनाव में कांग्रेस के कर्जमाफी के वादे के बाद वह काफी खुश था, लेकिन जैसे ही उसे पता चला कि कांग्रेस सरकार 31 मार्च 2018 तक लिए कर्ज को ही माफ करने जा रही है, वह बहुत दुखी हो गया था 
किसान के परिजनों तथा ग्रामवासियों की मानें तो किसान जुवान सिंह कह रहा था कि सरकार ने उन किसानों का कर्ज माफ़ जो डिफाॅल्टर हैं किसान के ग्रामवासियों का कहना है कि ज्यादातर किसान मार्च में कर्ज की पलटी कर चुके हैं लेकिन सरकार ने कहा कि वह वही कर्ज माफ़ करेगी जो 31 मार्च 2018 से पहले लिया गया है, ऐसे में ज्यादातर किसानों का कर्ज माफ़ ही नहीं हुआ क्योंकि ये कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ धोखा किया गयाऔर सरकार के इसी धोखे से किसान जुवान सिंह की उम्मीद टूट गई और उन्होंने आत्महत्या कर ली 

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