सोनिया गाँधी ने प्रधानमन्त्री बनाया, लेकिन अपनी मर्जी से कुछ न कर सका-- डॉ मनमोहन सिंह

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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
आज कांग्रेस The Accidental Prime Minister फिल्म पर जो विवाद खड़ा कर रहे हैं, भूल रहे हैं, कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुस्तक ‘‘ द कोलिशन इयर्स’’ के उद्घाटन के अवसर पर अपने श्रीमुख से जो कुछ कहा था, संजय बारू द्वारा उपरोक्त पुस्तक में जो लिखा है, लगभग मोहर लगा दी थी। जो केवल किताबी कीड़ों तक ही सीमित था, लेकिन फिल्म के माध्यम से डॉ सिंह के सीने में छुपे दर्द से देश का हर प्राणी अवगत हो जाएगा। कांग्रेस का विरोध फिल्म से नहीं, बल्कि सच्चाई के सार्वजनिक होने से है। कांग्रेस आम जनता को सच्चाई से दूर रखना चाहती है, जो अब तक करती रही है। वास्तव में जनता को भ्रमित कर कांग्रेस इतने वर्ष राज करती रही। कांग्रेस के विरोध से फिल्म और पुस्तक को चर्चित कर दिया। स्मरण हो, सलमान रुश्दी की पुस्तक को बैन कर, न चाहते हुए भी भारत में चोरी से पुस्तक खूब बिकी। वही स्थिति इस फिल्म और पुस्तक के साथ होने जा रही है। मध्य प्रदेश में या दूसरे कांग्रेस शासित राज्य में फिल्म बैन हो सकती है, लेकिन दूसरे राज्यों में यही फिल्म अपने वितरक को भरपूर पैसा देगी।दूसरे यह भी स्मरण होगा कि "A" फिल्मों को देखने 18 से छोटे सोनीपत या साहिबाबाद जाते थे।         
केन्द्र में 2004 से 2014 तक लगातार दो बार संप्रग गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर चुके पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने आज दावा किया कि प्रधानमंत्री बनने के मामले में उनके पास तो कोई विकल्प ही नहीं बचा था तथा पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस बात को अच्छी तरह जानते थे। उन्होंने यह बात आज यहां तीन मूर्ति सभागार में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुस्तक ‘‘ द कोलिशन इयर्स’’ के उद्घाटन के अवसर पर कही जो इस दौर में केन्द्र की विभिन्न गठबंधन सरकारों का लेखाजोखा है। डा. सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति को प्रतिष्ठित एवं जिंदादिल सांसद एवं कांग्रेस जन के रूप में याद करते हुए कहा कि पार्टी में हर कोई उनसे जटिल एवं मुश्किल मुद्दों के हल की उम्मीद करते थे। मनमोहन ने वर्ष 2004 में अपने प्रधानमंत्री बनने का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में चुना और ‘‘प्रणबजी मेरे बहुत ही प्रतिष्ठित सहयोगी थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इनके (मुखर्जी के) पास यह शिकायत करने के सभी कारण थे कि मेरे प्रधानमंत्री बनने की तुलना में वह इस पद (प्रधानमंत्री) के लिए अधिक योग्य हैं।… पर वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानते थे कि मेरे पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था।’’ उनकी इस टिप्पणी पर न केवल मुखर्जी तथा मंच पर बैठे सभी नेता बल्कि श्रोताओं की अग्रिम पंक्ति में बैठी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया सहित सभी श्रोता हंसी में डूब गये। मुखर्जी की पुस्तक के लोकार्पण अवसर पर मुखर्जी, मनमोहन के साथ साथ माकपा नेता सीताराम येचुरी, भाकपा नेता सुधाकर रेड्डी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, द्रमुक नेता कानिमोई मंच पर मौजूद थें। श्रोताओं में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे।
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सिंह ने कहा कि इससे उनके और मुखर्जी के संबंध बेहतरीन हो गये तथा सरकार को एक समन्वित टीम की तरह चलाया जा सका। जिस प्रकार से उन्होंने भारतीय राजनीति के संचालन में महान योगदान दिया है, वह इतिहास में दर्ज होगा। मनमोहन ने मुखर्जी के साथ अपने संबंधों को याद करते हुए कहा कि वह 1970 के दशक से ही उनके साथ काम कर रहे हैं। डा. सिंह ने कहा कि वह दुर्घटनावश राजनीति में आये जबकि मुखर्जी एक कुशल एवं मंझे हुए राजनीतिक नेता हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री रहने के दौरान सरकार को जब भी किसी जटिल मुद्दे का हल निकालना होता था तो मंत्री समूह का गठन किया जाता था और अधिकतर जीओएम की अध्यक्षता उस समय मुखर्जी ही कर रहे होते थे।
पीएम पद के लिए प्रणब मुझसे बेहतर थे: मनमोहन सिंह
मनमोहन की यह टिप्पणी इसलिए महत्व रखती है क्योंकि मुखर्जी ने अपनी पुस्तक में कहा, ‘‘यह व्यापक उम्मीद थी कि सोनिया गांधी के मना करने के बाद प्रधानमंत्री के लिए मैं ही अगली पंसद रहूंगा। यह उम्मीद संभवत: इस तथ्य पर आधारित थी कि सरकार में मेरे पास व्यापक अनुभव है।’’ मुखर्जी ने यह भी कहा कि जब उन्होंने मनमोहन सरकार में शामिल होने से इंकार कर दिया, सोनिया ने इस में शामिल होने पर बल दिया क्योंकि यह उसके ‘‘कामकाज के लिए महत्वपूर्ण होगा। साथ ही सिंह को भी सहयोग मिलेगा।’’
प्रणव को प्रधानमन्त्री न बनाना कांग्रेस की सबसे बड़ी भूल थी  
एक हिन्दी पाक्षिक को सम्पादित करते प्रणव मुख़र्जी को ऱाष्ट्रपति पद पर नामांकित करने पर लिखा था कि "अब कांग्रेस का भविष्य अंधकारमय की ओर अग्रसर हो रहा है।" क्योकि पार्टी में एक वही अनुभवी थे, जो कांग्रेस के लिए अनेकों अवसरों पर संकटमोचन सिद्ध हुए थे। यदि डॉ मनमोहन सिंह के स्थान पर उन्हें प्रधानमन्त्री बना दिया होता, 2014 चुनाव में कांग्रेस की इतनी दुर्गति नहीं होती।और अब जिस हाशिए पर कांग्रेस पहुँच गयी है, वहां से उठाने का वर्तमान किसी भी नेता में साहस नहीं। प्रणव मुख़र्जी को राष्ट्रपति बनाना ही कांग्रेस के लिए "विनाश काले विपरीत बुद्धि" सिद्ध हो गया। प्रणव मुख़र्जी को प्रधानमन्त्री न बनाना कांग्रेस यानि सोनिया की सबसे बड़ी भूल थी।     
उन्होंने पुस्तक लोकार्पण समारोह में कहा कि कांग्रेस स्वयं में एक गठबंधन है क्योंकि यह सभी विचारों को एक मंच पर लाती है। उन्होंने कहा, ‘‘भीतर के साथ साथ बाहर गठबंधन होना कठिन है। किन्तु यह किया गया।’’ मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने पुस्तक में गठबंधन वर्षों का उल्लेख किया है और किसी व्यक्तिगत मामलों को शामिल नहीं किया गया। इस अवसर पर माकपा नेता सीताराम येचुरी ने मुखर्जी के साथ अपने लंबे अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत स्वयं में ही एक महागठबंधन है जिसमें बहुलतावादी विचार शामिल हैं। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के प्रथम कार्यकाल में कई जटिल मुद्दों पर मुखर्जी के साथ उनका विचार विमर्श हुआ और उनके अनुभवों का लाभ उठाया गया।

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