
तृणमूल सांसद ने पूछा था सवाल
दरअसल, तृणमूल के राज्यसभा सदस्य मो. इनामुल हक ने वित्त मंत्रालय ने बीते दो सालों में गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में देशभर से प्राप्त निवेश की जानकारी मांगी थी। अब केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पोन राधाकृष्णन ने इस स्कीम के तहत मिले निवेश की जानकारी संसद को दी है। वित्त मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, देशभर के मंदिरों/कंपनियों/फर्मों की ओर से बीते दो वर्षों यानी वित्त वर्ष 2016-17 में 4,488.44 किलो ग्राम और वित्त वर्ष 2017-18 में 6,383 किलोग्राम सोने का निवेश किया गया है।
आम जनता ने किया 1134 किलो सोने का निवेश
वित्त मंत्रालय की ओर से संसद को दी गई जानकारी के अनुसार, गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में आम लोगों ने भी उत्साह के साथ निवेश किया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 और वित्त वर्ष 2017-18 में आम लोगों की ओर से करीब 1134 किलो सोने का निवेश किया गया है। वित्त मंत्रालय की ओर से संसद में दी गई जानकारी में दावा किया है कि इस स्कीम के आने के बाद देश में सोने के आयात में कमी आई है। सरकार ने दावा किया है कि इस स्कीम के तहत जमा हुए सोने का प्रयोग स्वर्ण धातु ऋण के रूप में प्रयोग करने के कारण सोने के आयात में कमी हुई है।
ये है गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम
केंद्र की मोदी सरकार ने घरों और संस्थानों में रखे सोने को बाहर लाने और इसके बेहतर इस्तेमाल के उद्देश्य से 2015 में गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम की शुरुआत की थी। उस समय सरकार ने 5 से 7 साल तक के लिए मिडियम टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट और 12 साल के लिए लॉन्ग टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट के विकल्प दिए थे। 2018 में आरबीआई ने इसमें बदलाव कर डिपॉजिट ब्रोकेन अवधि यानी यानी 1 साल 3 महीने, 2 साल 4 महीने 5 दिन आदि का भी विकल्प दिया था। इस स्कीम में 2.25 से 2.50 फीसदी तक ब्याज मिलता है। मैच्योरिटी पर निवेशक पैसा या उस समय की कीमत के हिसाब से सोना ले सकते हैं। हालांकि, इसकी जानकारी निवेश के समय ही देनी होगी।
No comments:
Post a Comment