
जॉर्ज फर्नांडिस 10 भाषाओं के जानकार हैं - हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, मराठी, कन्नड़, उर्दू, मलयाली, तुलु, कोंकणी और लैटिन. उनकी मां किंग जॉर्ज फिफ्थ की बड़ी प्रशंसक थीं. उन्हीं के नाम पर अपने छह बच्चों में से सबसे बड़े का नाम उन्होंने जॉर्ज रखा.
मंगलौर में पले-बढ़े फर्नांडिस जब 16 साल के हुए तो एक क्रिश्चियन मिशनरी में पादरी बनने की शिक्षा लेने भेजे गए. पर चर्च में पाखंड देखकर उनका उससे मोहभंग हो गया. उन्होंने 18 साल की उम्र में चर्च छोड़ दिया और रोजगार की तलाश में बंबई चले आए.
जॉर्ज खुद बताते हैं कि इस दौरान वे चौपाटी की बेंच पर सोया करते थे और लगातार सोशलिस्ट पार्टी और ट्रेड यूनियन आंदोलन के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते थे. फर्नांडिस की शुरुआती छवि एक जबरदस्त विद्रोही की थी. उस वक्त मुखर वक्ता राम मनोहर लोहिया, फर्नांडिस की प्रेरणा थे.
1950 आते-आते वे टैक्सी ड्राइवर यूनियन के बेताज बादशाह बन गए. बिखरे बाल, और पतले चेहरे वाले फर्नांडिस, तुड़े-मुड़े खादी के कुर्ते-पायजामे, घिसी हुई चप्पलों और चश्मे में खांटी एक्टिविस्ट लगा करते थे. कुछ लोग तभी से उन्हें ‘अनथक विद्रोही’ (रिबेल विद्आउट ए पॉज़) कहने लगे थे. जंजीरों में जकड़ा उनकी एक तस्वीर इमरजेंसी की पूरी कहानी बयां करती है.
जॉर्ज सादगी की एक मिसाल तो थे ही, साथ ही बहुत स्वभाव के भी धनी थे. जिस का प्रमाण देखने को मिला, उनके रक्षा मन्त्री रहते। एक बार किसी कार्यक्रम में ज्यादा रात होने पर इन्हे लौटने में बहुत देरी होने पर, निवास पर सुरक्षाकर्मी भी सो गए, बहुत प्रयत्न करने उपरान्त उनके न जागने पर, अपने कमांडोज़ को चुपचाप गेट निकाल अन्दर जाने को कहा. जब तक वह रक्षा मन्त्री रहे, इनके निवास द्धार बन्द नहीं हुए और न ही किसी सुरक्षाकर्मी की शिकायत की.
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, जॉर्ज साहब ने भारत के सबसे अच्छे राजनीतिक नेतृत्व का प्रतिनिधित्व किया। फ्रैंक और निडर, ईमानदार और दूरदर्शी, उन्होंने हमारे देश के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों के लिए सबसे प्रभावी तरीके आवाज उठाते थे। उनके निधन से दुखी हूं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, मैं पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस के निधन पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। वह एक उग्र ट्रेड यूनियन के नेता थे जिन्होंने न्याय के लिए लड़ाई लड़ी। उनकी आत्मा को शांति मिले। मेरी संवेदना उनके परिवार के साथ है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, मैं उनके निधन पर शोक व्यक्त करता हूं। उन्होंने देश के लिए अपना जीवन लगा दिया। मैं उनके निधन पर शोक व्यक्त करता हूं। उन्होंने देश के लिए अपना जीवन दिया। उन्होंने ट्रेड यूनियनों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ी। मैंने उन्हें अपना आइकन माना।
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