
हालांकि इस मामले की जांच करना पुलिस के लिए भी आसान नहीं क्योंकि मौत के बाद राजीव दीक्षित के शव का पोस्टमार्टम नहीं हो सका था। इस कारण से मौत का कारण संदेह के घेरे में है। वहीं जांच शुरू होने की सुगबुगाहट के बाद राजीव दीक्षित के परिजनों ने पुलिस के बजाए किसी आयोग से इसकी निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। ताकि सच्चाई लोगों के सामने आ सके।
भिलाई के अस्पताल में तोड़ा था दम
स्वदेशी उत्पादों के प्रणेता रहे राजीव दीक्षित की मौत 29 नवंबर 2010 की रात में भिलाई के अपोलो बीएसआर अस्पताल में हुई थी। दीक्षित 29 नवंबर 2010 को स्वदेशी उत्पादों के प्रचार के लिए दुर्ग जिले के प्रवास पर थे। अविभाजित दुर्ग जिले बेमेतरा तहसील में स्वदेशी उत्पादों पर व्याख्यान देने के बाद वह भिलाई आ रहे थे।
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भाई राजीव दीक्षित
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भाई राजीव दीक्षित जी
भाई राजीव दीक्षित जी
राजीव दीक्षित नहीं जाना चाहते थे अस्पताल
बेमेतरा तहसील में स्वदेशी उत्पादों पर व्याख्यान देने के बाद राजीव दीक्षित भारत स्वाभिमान आंदोलन के दुर्ग के पदाधिकारी दया सागर के साथ भिलाई के अक्षयपात्र फाउंडेशन आ रहे थे। कार में दया सागर के अलावा ड्राइवर कन्हैया भी था। रास्ते में राजीव दीक्षित को बेचैनी हुई तो उन्होंने अक्षयपात्र फाउंडेशन का कार्यक्रम रद कर दिया और दया सागर के घर दुर्ग चले गए। राजीव दीक्षित बाथरूम में गए तो वे वहां गिर गए।
इसके बाद उन्हें अस्पताल चलने के लिए कहा गया, लेकिन दीक्षित ने एलोपैथिक उपचार लेने से इन्कार करते हुए अस्पताल जाने से भी मना कर दिया। बताया जाता है कि अस्पताल न जाने की जिद पर अड़ने की जानकारी योग गुरु बाबा रामदेव को हुई तो उन्होंने फोन पर राजीव दीक्षित से बात की और उन्हें अस्पताल जाने के लिए कहा।
बाबा रामदेव के कहने पर वे सेेक्टर-9 अस्पताल पहुंचे। जहां डॉ. शशिकांत सक्सेना ने उनका इलाज किया, लेकिन सेक्टर-9 में हृदय रोग के बेहतर उपचार की सुविधा न होने पर उन्हें अपोलो बीएसआर रेफर कर दिया गया। अपोलो बीएसआर में डॉ. दिलीप रत्नानी की देख-रेख में उनका इलाज शुरू हुआ, लेकिन रात में दो बजे राजीव दीक्षित की मौत की खबर बाहर आई। डॉ. दिलीप रत्नानी ने गंभीर हृदयघात से राजीव दीक्षित की मौत की जानकारी दी थी।
सरकार की नीयत साफ है तो आयोग से कराएं जांच : प्रदीप दीक्षित
राजीव दीक्षित की मौत के मामले की दोबारा जांच की जानकारी सामने आने के बाद नईदुनिया ने राजीव दीक्षित के भाई प्रदीप दीक्षित से संपर्क किया। चर्चा में प्रदीप दीक्षित ने कहा कि उनके भाई की मौत सामान्य नहीं थी, बल्कि इसके पीछे बड़ी राजनीतिक साजिश थी। उन्होंने कहा कि राजीव दीक्षित के आंदोलन के चलते विदेशी कंपनियों की नींव हिलने लगी थी। इस कारण से उनकी हत्या की गई थी। उन्होंने कहा कि यदि सरकार की मंशा साफ है और वे वास्तव में मौत का राज सबके सामने लाना चाहती है तो इसकी जांच पुलिस के बजाए किसी आयोग से कराई जाए।
मुझ तक नहीं पहुंचा पत्र
राजीव दीक्षित की मौत के जांच के संबंध में अभी तक कोई पत्र नहीं मिला है। मुझे भी चर्चा में पता चला है कि पीएमओ से इस संबंध में कोई पत्र जारी हुआ है। पत्र प्राप्त होते ही इसकी जांच शुरू कर दी जाएगी। - प्रखर पांडेय, एसपी दुर्ग
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