महागठबंधन में दरार : मांझी पहले अपना कुनबा तो बचा लें-- ज्यादा सीटें के मांगने पर कांग्रेस का मांझी को जवाब

महागठबंधन में रार, मांझी ने मांगी ज्‍यादा सीटें तो RJD ने कहा-यहां मांगने पर मौत नहीं मिलती मनचाही सीट तो छोड़‍िए
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
बि‍हार में चुनाव से पहले महागठबंधन की राह आसान होती नजर नहीं आ रही है। सीट बंटवारे को लेकर आपस में तकरार बढ़ती जा रही है। जीतन राम मांझी ने महागठबंधन में आरजेडी के बाद सबसे ज्यादा सीटों की डिमांड कर दी है। मांझी की इस डिमांड ने कांग्रेस को नाराज कर दिया हैकांग्रेस के विधायक ने तो मांझी पर बीजेपी के साथ राज्यपाल पद को लेकर सेटिंग तक का आरोप लगा दिया हैवहीं आरजेडी ने कह दिया है कि यहां तो मांगने पर मौत भी नहीं मिलती ऐसे में मनचाही सीट की बात तो दूर है 
यहां तो मांगने पर मौत भी नहीं मिलती ऐसे में मनचाही सीट की बात तो दूर है --आरजेडी 
जीतनराम मांझी की पार्टी हम की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की फरवरी 18 को बैठक हुई बैठक के बाद जीतन राम मांझी ने महागठबंधन में आरजेडी के बाद सबसे ज्यादा सीट की डिमांड कर दी। मांझी की ये डिमांड कांग्रेस को नागवार गुजरी है। कांग्रेस के विधायकों ने एक एक कर मांझी पर जमकर हमला बोल दिया हैकांग्रेस विधायक राजेश कुमार ने कहा है कि मांझी पहले अपना कुनबा तो बचा लें। मांझी जी को पहले ये गठबंधन अच्छा लग रहा था और अब यहां वो असहज महसूस कर रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं बीजेपी से राज्यपाल के पद को लेकर मांझी जी बातचीत कर चुके हैं 
कांग्रेस विधायक आनंद शंकर ने भी मांझी के बयान पर हमला बोला है। कांग्रेस विधायक ने कहा है कि मांझी जी अपनी बात महागठबंधन पर थोप नही सकते। सीट को लेकर फैसला महागठबंधन में होना है न कि मीडिया में। दरअसल मांजी को लेकर कांग्रेस के विधायकों की नाराजगी यूं ही नहीं। जीतन राम मांझी ने अपनी पार्टी हम को महागठबंधन में दूसरे नंबर की पार्टी बता दिया है। फरवरी 18 से पहले पार्टी ही हुई बैठक में मांझी ने ये कह कर भी सनसनी फैला दी थी कि उनकी पार्टी की हैसियत बिहार में कांग्रेस से ज्यादा है, जिसके बाद कांग्रेस के विधायक लगातार मांझी पर हमला बोल रहे हैं। 
इधर मांझी की दावेदारी से आरजेडी से भी असहज हो गई है। पार्टी के विधायक प्रवक्ता रामानुज प्रसाद ने मांझी को दबी जुबान में सलाह दे डाली है। रामानुज प्रसाद ने कहा है कि यहां मांगने पर मौत भी नहीं मिलती है। फिर मनचाही सीट की बात तो दूर है। दावा करना और दावा जमीन पर उतरने में काफी अंतर होता है। जहां तक सीटों की बात है तो वो साथ बैठकर ही फैसला होगा। 
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उड़ान लेती मांझी की महत्वाकांक्षा  
इधर महागठबंधन में मांझी के डिमांड के बाद बने हालात पर एनडीए के नेता चुटकी लेने में जुटे हैं। बीजेपी विधायक तारकिशोर प्रसाद ने कहा है कि मांझी जी की महत्वाकांक्षा उड़ान ले रही है। पूर्व सीएम के नाते उन्हें अपनी गरिमा बचाकर रखनी चाहिए। वहीं जेडीयू विधायक मनीष कुमार ने कहा है कि मांझी जी को छोड़कर तो सभी जा रहे हैं। ऐसे में जितनी सीटों की डिमांड मांझी जी कर रहे है तो क्या मांझी जी अकेले सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। 
क्या है महागठबन्धन का औचित्य ?
महागठबन्धन में सम्मिलित समस्त गैर-भाजपाइयों दलों को जनता से कोई सरोकार नहीं, बल्कि चिन्ता है अपने अस्तित्व की एवं चिन्ता है घोटालों में जमा की गयी धन-दौलत की। इन सभी ने जितनी जनसेवा के नाम पर भारी भड़कम धन-दौलत जमा कर जो अपनी आने वाली पीढ़ियों तक को राजशाही ज़िन्दगी बिताने के लिए एकत्रित की है, उस पर नकेल डाली जा रही है। और जिस दिन लूट से अर्जित धन वसूला जायेगा, जो सम्भव नहीं लगता, जनता के समक्ष इनकी साख भी गिर जाएगी। यह कटु सत्य है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी यह नहीं भूलना चाहिए कि भाजपा के समस्त नेता दूध के धुले हैं। ये जितने भी मौज-मस्ती कर रहे हैं केवल दो के कन्धों पर, एक नरेन्द्र मोदी, और दूसरे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। किसी भी नेता--चाहे वह किसी भी पार्टी से सम्बंधित हो-- की धर्मपत्नियां अपने नेता-पति से अधिक है।         

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