Pulwama Attack :सर्वदलीय बैठक, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार के साथ सभी दल

Pulwama attack: All party meeting called by central govt. underway at the Parliamentपुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद जवाबी कार्रवाई पर मंथन के लिए संसद परिसर में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक खत्म हो गई। सर्वदलीय बैठक के दौरान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सभी दलों ने सरकार का साथ देने की बात कही और इसको लेकर एक प्रस्ताव भी पास किया गया। इस बैठक में सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल रहे। 
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कल कहा था कि वे सरकार और सेना के साथ खड़े हैं। वहीं, ममता बनर्जी ने भी सरकार के साथ खड़े रहने की बात कही है। संसद परिसर में हो रही सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, एनसीपी नेता शरद पवार शामिल रहे, जबकि इस बैठक की अध्यक्षता गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने की।
कई दलों के नेता बैठक में शामिल 

इस बैठक में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, लोजपा प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय और डेरेक ओब्रायन, सीपीआई नेता डी राजा, शिवसेना सांसद संजय राउत, राजद नेता जय प्रकाश नारायण यादव, टीआरएस नेता जितेंद्र रेड्डी, आरएलएसपी नेता उपेंद्र कुशवाहा और अन्नाद्रमुक नेता एन कृष्णन शामिल हुए।
ANI ✔ @ANI The resolution passed at the all-party meeting: We strongly condemn the dastardly terror act of 14th February at Pulwama in J&K in which lives of 40 brave jawans of CRPF were lost. 1,420 1:12 PM - Feb 16, 2019
इस बैठक से पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह के घर पर एक बड़ी बैठक हुई जिसमें केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा सहित इंटेलीजेंस ब्यूरो के बड़े अधिकारी शामिल हैं। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने इस बाबत बताया था कि सभी दलों को पुलवामा हमले और सरकार द्वारा अब तक उठाए गए कदमों की जानकारी साझा की जाएगी।
फरवरी 15 को CCS की बैठक के बाद सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया गया था। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि पुलवामा हमले के बारे में सभी राजनीतिक दलों को जानकारी देने के लिए एक बैठक बुलाई गई है ताकि पूरा देश इस मुद्दे पर एक स्वर में बात करे। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे जिसके बाद देशभर से पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठने लगी है।

सूत्रों के अनुसार, यदि समस्त विपक्ष भारत सरकार के साथ रहकर, भारत में फैले सैकड़ों मिनी पाकिस्तान और करोड़ों में पाकिस्तान समर्थकों पर नकेल डालने के साथ-साथ पाकिस्तान पर हमला होता है, निश्चितरूप से पाकिस्तान पर तिरंगा नहीं फहराया जा सका, कोई बात नहीं, लेकिन पाकिस्तान की सीमाएँ जरूर छोटी हो जाएंगी, क्योकि भारत का वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी है, लाल बहादुर शास्त्री या इन्दिरा गाँधी नहीं। दूसरे, यह कि पाकिस्तान का गुणगान करने वालों की भी खैर नहीं। क्या सच होता है यह भविष्य के गर्भ में छिपा है।   
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पुलवामा अटैक (Pulwama Attack) के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव खासा बढ़ गया है। इसका असर कंगाली के कगार पर खड़े पाकिस्तान ...

कहीं 44 शहीदों के पीछे मुफ्ती मोहम्मद सईद का वो फैसला तो नहीं ?
जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में फिदायीन हमले में CRPF के 44 जवानों की शहादत पर पूरा देश आक्रोशित है। देश भर में लोग अपने-अपने हिसाब से क्रोध व्यक्त कर रहे हैं। वहीं भारत सरकार इस आतंकी हमले का जवाब देने की तैयारी कर रही है। ऐसे में इस बात का भी जांच की जा रही है कि, आखिर कहां और कौन सी चूक हमसे हो गई, जिसके चलते आतंकी इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने में कामयाब हो गए। 
इन्हीं सारी बातों के मध्य घाटी के पूर्व सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकार में लिए गए एक फैसले की तरफ सेना के विशेषज्ञ संकेत कर रहे हैं। दरअसल, वर्ष 2002 तक भारतीय सेना के काफिले को जम्मू-कश्मीर में विशेष सुरक्षा दी जाती थी। इसके तहत जब कभी भी भारतीय सुरक्षा बलों का कफिला जम्मू-कश्मीर के किसी क्षेत्र से गुजरता था, तो वो सड़क खाली करा दी जाती थीं और आम आदमी को वहां एंट्री की अनुमति नहीं होती थी।
सुरक्षा बलों के काफिले के बीच कोई और वाहन ना आ जाए इसे रोकने के लिए सड़क के किनारे भी जवान तैनात किए जाते थे। वर्ष 2002-03 में तत्कालीन सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद ने यह कहते हुए इस नियम को हटा दिया कि इससे आम जनता को परेशानी उठानी पड़ती है। सईद का कहना था कि सुरक्षाबल भी मुल्क की आम जनता की तरह ही हैं, ऐसे में उनके काफिले को अलग सुविधा देने की कोई आवश्यकता नहीं है।(एजेंसीज इनपुट्स सहित)

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