भारत के कारण पाकिस्तान को FATF दे सकता है बड़ा झटका

Pakistan FM
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी   तस्वीर साभार: BCCL
पुलवामा में आतंकी हमला पहली बार नहीं हुआ, इससे पहले भी इतने वर्षों से भारत के किसी न किसी हिस्से में हमले करते रहे थे, जिस पर पाकिस्तान और भारत में रह रहे, पाकिस्तान और आतंकवादी समर्थक जश्न मनाते थे। लेकिन कोई आतंकवादियों और उनके संरक्षणों पर नकेल डालने की बजाए मगरमछी आँसू ही बहाते रहे। वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने कई बार समझाने का प्रयत्न किया, परन्तु किसी की कान में जूं तक नहीं रेंगा। अंत में मोदी को आतंकवादियों और उनको संरक्षण देने वालों पर चाबुक चलाने से सबकी नींद हराम हो गयी। आतंकवादियों को संरक्षण देने वालों को विश्व स्तर पर घेरना शुरू कर दिया। परिणामस्वरुप, आज विश्व में पाकिस्तान अकेला पड़ गया और भारत में पल रहे उनके हिमायतियों की भी हवा निकलनी शुरू हो गयी।     
भारत की लॉबिंग की वजह से पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) द्वारा काली सूची में डाला जा सकता है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अप्रैल 2 को यह बात कही। कुरैशी ने कहा कि यदि पाकिस्तान एफएटीएफ की निगरानी सूची में रहता है तो उसे सालाना 10 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। 10 अरब डॉलर भारतीय रुपए में 70 हजार करोड़ रुपए होते हैं। 1 डॉलर की कीमत 70 रुपए।
पेरिस के एफएटीएफ ने पिछले साल जून में पाकिस्तान को निगरानी वाले देशों की सूची में डाला था। इस सूची में वे देश शामिल हैं जो मनी लांड्रिंग तथा आतंकवाद के वित्तपोषण की चुनौतियों से निपटने में कमजोर माने जाते हैं।
एफएटीएफ आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लांड्रिंग पर अंकुश के लिए काम कर रहा है। उसने पाकिस्तान से देश में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के परिचालन का नए सिरे से आकलन करने को कहा था। पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद से पाकिस्तान पर जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों पर अंकुश लगाने के लिए भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव है। 
कुरैशी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि विदेश विभाग यह गणना कर रहा है कि यदि पाकिस्तान को एफएटीएफ की खाली सूची में डाला जाता है तो कितना नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि भारत इसके लिए लॉबिंग कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार का आकलन है कि यदि उसे निगरानी सूची में कायम रखा जाता है तो सालाना 10 अरब डॉलर का नुकसान होगा।

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