
कहते हैं कि आदमी ठोकर खाकर कुछ सीखता है, ज्ञान अर्जित करता है। लेकिन कांग्रेस एक के बाद एक ठोकर खाने के बावजूद तुष्टिकरण का दामन छोड़ने को तैयार नहीं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को लाने वाली कांग्रेस, कश्मीर को मुस्लिम बहुल क्षेत्र बनाने वाली कांग्रेस,आखिर देश के साथ इतना अनर्थ करने के बाद भी यह कहना कि "अगर जम्मू कश्मीर हिन्दू बहुल राज्य होता तो अनुच्छेद 370 नहीं हटाया जाता।" इससे पहले दिग्विजय सिंह कहते हैं कि "कश्मीर जल रहा है।" कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कश्मीर को लेकर एक ऐसा बयान दिया है जो उनकी पार्टी के लिए दिक्कत पैदा कर सकता है। मध्य प्रदेश के सीहोर में मीडिया से बात करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान जल्द होना चाहिए वरना वो हमारे हाथ से निकल सकता है। दिग्विजय ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से अपील भी की।सिद्ध करता है कि कांग्रेस के दिमाग का दिवाला निकल गया है। अदालतों में गीता पर हाथ रख, सच बोलने की कसम दिलवाई जाती है, लेकिन स्कूलों में गीता पढ़ाने पर साम्प्रदायिकता नज़र आने लगती है, इस साम्प्रदायिक जहर को फैलानी वाली कौन, कांग्रेस?
दूसरे यह कि कश्मीर से बाहर भी देखें, दिल्ली की चार दीवारी हिन्दुओं से क्यों खाली हुई? कौन है ज़िम्मेदार? एक तरफ, मुस्लिम समाज अपने आपको गरीब और शोषित बताता है, लेकिन कोई मकान खरीदने के लिए लाखों कहाँ से आते हैं? चिदंबरम साहब, साम्प्रदायिक सोंच से बाहर निकलकर धरातल पर आइए। आज भिखारी, फल-सब्ज़ी और छोले-कुलचे बेचने वाला किसी वेतनभोगी से कहीं ज्यादा धनी है। वेतनभोगी किसी बीमारी पर 20/25000 रूपए खर्च करने पर अपने अन्य खर्चों में कटौती कर, जीवन जीता है। परन्तु इन व्यवसायों में लगे लोग किसी भी काम पर लाखों खर्च करने में लेशमात्र भी संकोच नहीं करते। फिर कहते हैं कि "हम गरीब हैं।"
कश्मीर में अशांति श्री नेहरू जी के गलत फैसलों के कारण थी। धारा 370 कश्मीर के लिए अभिशाप थी, आतंकवाद का कारण थी। इस धारा ने कभी कश्मीर की जनता का बहुत नुकसान किया। नेहरूजी ने जो गलती की, श्री @narendramodi जी ने सुधार दी। कांग्रेस परेशान क्यों है?
पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने के लिए अगस्त 11 को भाजपा की आलोचना की और कहा कि यदि जम्मू कश्मीर हिन्दू बहुल राज्य होता तो भगवा पार्टी इस राज्य का विशेष दर्जा नहीं छीनती। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने अपनी ताकत से अनुच्छेद को समाप्त किया। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर अस्थिर है और अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियां इस अशांत स्थिति को कवर कर रही हैं लेकिन भारतीय मीडिया घराने ऐसा नहीं कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा, उनका(भाजपा) दावा है कि कश्मीर में हालात ठीक हैं। अगर भारतीय मीडिया घराने जम्मू-कश्मीर में अशांति की स्थिति को कवर नहीं करते हैं तो क्या इसका मतलब स्थिरता होता है? उन्होंने सात राज्यों में सत्तारूढ़ सात क्षेत्रीय दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्होंने राज्यसभा में भाजपा के कदम के खिलाफ भय के कारण सहयोग नहीं किया।
विपक्षी पार्टियों के असहयोग पर असंतोष व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, हमें पता है कि लोकसभा में हमारे पास बहुमत नहीं है लेकिन सात पार्टियों (अन्नाद्रमुक, वाईएसआरसीपी, टीआरएस, बीजद, आप, टीएमसी, जद(यू) ने सहयोग किया होता तो विपक्ष राज्यसभा में बहुमत में होता। यह निराशाजनक है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि जम्मू कश्मीर के सौरा क्षेत्र में लगभग 10 हजार लोगों ने विरोध किया जो एक सच है, पुलिस ने कार्रवाई की जो एक सच है और इस विरोध के दौरान हुई गोलीबारी एक सच्चाई है। उन्होंने कहा कि भाजपा के कदम की निंदा करने के लिए यहां एक जनसभा हुई थी। उन्होंने कहा कि देश के 70 साल के इतिहास में ऐसा कभी कोई उदाहरण नहीं आया जब एक राज्य को केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया हो।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने आरोप लगाया कि यदि जम्मू कश्मीर हिंदू बहुल राज्य होता तो भाजपा कभी भी ऐसा नहीं करती। उन्होंने ऐसा केवल इसलिए किया क्योंकि यह मुस्लिम बहुल है। चिदंबरम ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पूर्व गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के बीच कभी भी संघर्ष की स्थिति नहीं थी। उन्होंने कहा, पटेल कभी भी आरएसएस के पदाधिकारी नहीं रहे थे। उनका(भाजपा) कोई नेता नहीं है, वे हमारे नेता को चुरा रहे हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन चोरी करता है, इतिहास यह नहीं भूलता कि कौन किससे जुड़ा हुआ है।
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